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Channel: gurtur goth
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पांच बछरिया गनपति

राजधानी म पइठ के , परभावली म बइठ के । हमर बर मया बरसाथे , हमींच ला अइंठ के । रिद्धी सिद्धी पाके , मातगे जोगी जति । ठेमना गिजगिजहा , पांच बछरिया गनपति । बड़का बुढ़हा तरिया के , करिया भुरवा बेंगवा । अनखाहा...

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दानी राम बंजारे और जानकी बाई बंजारे द्वारा प्रस्‍तुत गोपी चंदा गाथा

मत जाना रे बालक बेटा कौरू नगर मत जाना मत जाना रे गोपी चंदा कौरू नगर मत जाना कौरू नगर के अटपट हे जादू कोई पारे नइ पाया बड़े-बड़े राज हॅ पथरा गा होगे । वापस कोनो नहीं आया रे बालक देखे करम ला छाड़ दीस कथंव...

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नान्हे कहिनी –सवाल

‘बबा!ये दिया काबर बरत हे?’ ‘अंजोर करे खातिर बरत हे बेटा!!’ बबा ह अपन नाती ल समझावत बताइस। ताहने ओकर नाती ह फेर एक ठ सवाल पूछथे- ‘ये अंजोर काकर बर हरे बबा?’ ‘जेन ह ओकर अंजोर के फयदा उठाही तेकर बर!!’...

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बस्ता

घाठा परगे खाँध म धर लेथन बस्ता कभू-कभू हाथ म झोला के पट्टी संघार के बोह लेथन बस्ता लकड़ी के साँगा डार के ज्ञान के जोरन आय सबो पढ़थैं जेला प्राथमिक शिक्षा कहाय पीठ म पाठ लदाथे भाग गढ़े खातिर कतको दूरिहा...

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कहानी –देवारी के कुरीति

गाँव म देवारी के लिपई-पोतई चलत रिहिस। सुघ्घर घर-दुवार मन ल रंग-रंग के वारनिश लगात रहिस। जम्मो घर म हाँसी-खुशी के महौल रिहिस। लइका मन किसम-किसम के फटाका ल फोरत रिहिस। एक झन ननकी लइका ह अपन बबा संग म घर...

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कब बबा मरही ….. कब बरा खाबो

मोर राज आवन दव, तहन तुंहर गांव के संगे संग, तुंहरो भाग जाग जही। एक बेर मोला जितावव तो सही ………? बीते पचास बछर ले, कतको मुहुं ले, इही बात सुने बर मिल चुके हे। अइसन बोलइया कतको मुहुं ला, मउका घलो, कतको...

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सुन तो भईरी

अई सुनत हस का भईरी, बड़े बड़े बम फटाका फुटीस हे I येदे नेता मन के भासन सुनके कुकुर मन बिकट हाँव हाँव भूकिस हे I पंडरा ह करिया ल देखके, मुंहूँ ल फूलोलिस I कीथे मोर अंगना में काबर हमाये, आय हाबै चुनई त,...

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माफी के किम्मत

भकाड़ू अऊ बुधारू के बीच म, घेरी बेरी पेपर म छपत माफी मांगे के दुरघटना के उप्पर चरचा चलत रहय। बुधारू बतावत रहय – ये रिवाज हमर देस म तइहा तइहा के आय बइहा, चाहे कन्हो ला कतको गारी बखाना कर, चाहे मार, चाहे...

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नान्हे कहिनी –ढुलबेंदरा

कका! एसो काकर सरकार आही ग?’ ‘जेला जनता जिताही तेकरे सरकार आही जी’ ‘तभो ले तोर बिचार म का जमत हे?’ ‘मोर बिचार म तो कन्हो नी जमत हे। जेला भरोसा करके बइठारथन उही हमर गत बिगाड़ देथे।’ ‘फेर एक ठ बात अउ पूछना...

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अग्यातवास

अपन हक ले बंचित, पांडो मन के भाग म लिखाये अग्यातवास हा, कलजुग म घला पीछू नि छोरत रहय। अग्यातवास के कलजुगी समे म, द्वापर जुग कस, यक्छ ले इंखर मुलाखात, फूल टोरे के बहाना तरिया म फेर हो जथे। कलजुगिया यक्छ...

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देवता मन के देवारी : कारतिक पुन्नी

हमर हिन्दू धरम मा देवी-देवता के इस्थान हा सबले ऊँच हावय। देवी-देवता मन बर हमर आस्था अउ बिसवास के नाँव हरय ए तीज-तिहार, परब अउ उत्सव हा। अइसने एक ठन परब कारतिक पुन्नी हा हरय जेमा अपन देवी-देवता मन के...

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“गंवई-गंगा”के गीत गवइया

गिरे-परे-हपटे ल रददा देखइया, जन-मन के मया-पीरा गवइया। “मोर संग चलव” कहिके भईया आँखीओझल होगए रद्दा रेंगइया।। माटी के मोर बेटा दुलरुवा, छत्तीसगढ़ी के तैंहा हितवा। सोला आना छत्तीसगढ़िया, मया-मयारू के तैं...

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नान्हे कहिनी- बेटी अउ बहू

एक झन दूधवाला ह अपन गिराहिक कना दूध लेके जाथे त एकझन माइलोगिन ह दूध ल झोंकाथे। पहिली दिन- ‘उपराहा दूध कोन मंगाय हे गा! काबर अतेक दूध देवत हस?’ वो माइलोगिन ह पूछिस। “भऊजी ह देबर केहे हे दाई!” दूध वाला ह...

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छत्तीसगढ़ी नाटक –मतदान बर सब्बो झन होवव जागरूक

(चुनाव के बुता म लगे शिक्षक घर-घर जा के मतदाता मन के सूद लेथे अउ मतदान करे बर सब्बो ल जागरूक करत हे) शिक्षक रददा म रेंगत जात रहिथे त ओखर भेंट एक पागल मनखे ले हो जाथे, पागल- जय हिंद गुरुजी कहाँ जात हास।...

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सोच समझ के देहू वोट

अपन हिरदे के सुनव गोठ। सोच समझ के देहू वोट। जीत के जब आथे नेता मन, पथरा लहुट जाथे नेता मन. चिन्हव इँखर नियत के खोट। सोच समझ के संगी देहू वोट।-1 चारों खूँट सवारथ के अँधियार हे. लालच के हथियार तियार हे....

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भारत माँ के दुलौरिन बेटी

मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोर कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। :-तोर कोरा मं जनम-जनम ले…2,लेवंव मै आंवतारी मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोरे कोरा मं मांथ...

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चरनदास चोर

चरनदास चोर ला कोन नी जानय। ओकर इमानदारी अऊ सेवा भावना के चरचा सरग तक म रहय। अभू तक कन्हो चोर ला, सरग म अइसन मान सममान नी मिलिस जइसन चरनदास पइस। एक दिन के बात आय, चरनदास हा, सरग म ठलहा बइठे भजन गावत रहय...

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का होही?

बाढत नोनी के संसो म ददा के नींद भगा जाथे। कतको चतुरा रहिथे तेनो ह रिश्ता-नत्ता म ठगा जाथे। दू बीता के पेट म को जनी!! कतेक बड दाहरा खना जाथे। रात-दिन के कमई ह नी पूरय जतेक रहिथे जम्मो समा जाथे। दुब्बर...

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जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे

बिहनिया ले उठ के दाई , चूल्हा ल जलावत हे । आगी ल बारत हे अऊ , चाहा ला बनावत हे । जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे हँसिया ला धर के दाई , खेत डाहर जावत हे । घाम म बइठे बबा , नाती ला खेलावत हे ।। जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे...

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तभे होही छत्तीसगढ़ी भाखा के विकास

छत्तीसगढ़िया मन ल पहली अपन भाखा ल अपनाये ल लगही तभे होही छत्तीसगढ़ी भाखा के विकास छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी भाखा बर राज भाखा आयोग त बना डारे हे फेर भाखा के विकास बर कुछु काम नइ होइस, अठरा बछर होगे छत्तीसगढ़...

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