गोविन्द राव विट्ठल के छत्तीसगढ़ी नाग-लीला के अंश
सब संग्रवारी मन सोचे लगिन कि, पूक, कोन मेर खेलबो, विचार जमगे। जमुना के चातर कछार में, जाके खेल मचाई। दुरिहा के दुरिहा है अउ, लकठा के लकठा भाई।। केरा ला शक्कर, पागे अस, सुनिन बात संगवारी। कृष्ण चन्द्र...
View Articleकुंवर दलपति सिंह के राम-यश मनरंजन के अंश
सीता माता तुम्हार करत सुरता रे, झर झर बहै आंसू भीजथे कुरता रे पथरा तक पिघले टघलैं माटी रे। सुनवइया के हाय फटत छाती रे, कोनों देतेव आगी में जरि जातेंव रें, जिनगी में सुख नइये में मरि जातेवें रे। कहिके...
View Articleदैनिक देशबंधु के संदर्भ में छत्तीसगढ़ी की साहित्यिक पत्रकारिता का...
An analytical study of Chhattisgarhi literary journalism in the context of Dainik Deshbandhu शोधकर्ता: तृप्ता कश्यप गाइड : श्रद्धा चंद्राकर, कीवर्ड: कला और मानविकी, छत्तीसगढ़ी की साहित्यिक पत्रकारिता,...
View Articleलॉकडाउन म का करत हें असम के छत्तीसगढ़ वंशी
लाकडाउन के बीच कई दिन के बाद असम म रहइया कुछ छत्तीसगढ़िया मनखे मन ले बातचीत होइस। पहली बात होइस बामनवाड़ी निवासी ललित साहू ले जेकर काली जन्मदिन रहिस। ललित के पूर्वज धमतरी तीर के जंवरतला नाम के गांव ले...
View Articleदेहे ल घलव सीखव –नीति कथा
एक भिखारी बिहनिया भीख माँगे ल निकलिस। निकलत बेरा ओ ह अपन झोली म एक मुठा चना डार लीस। कथें के टोटका या अंधविश्वास के सेती भिक्षा मांगे बर निकलत समें भिखारी मन अपन झोली खाली नइ रखयं। थैली देखके दूसर मन ल...
View Articleलईका मन कर सरगुजिहा समूह गीत: पेटू बघवा
ये गीत कहिनी ला लइका मन नाटक बनाए घलो खेल सकत आहाएं एक झन बघवा बनही और बाकी लइका मन जनावर। पाछू बाट जंगल कर परदा लगाए के, साज बाज संघे खेल सकथें। पेटू बघवा पेटू बघवा बन में आइस पेटू बघवा (गुर्र गुर्र...
View Articleसरगुजिहा बोली कर गोठ
बदलाव परकिरती कर नियम हवे। संसार कर कोनों चीज जस कर तस नई रहथे। सरलग बदली होअत रहथे। एहर आपन संघे कहों सुख त कहों दुख लानथे। जेकर में सहज रूप ले बदली होथे . ओकर परिनाम सुख देवईया अउ जिहाँ जबरजस्ती...
View Articleकरिया अंगरेज
बस ले उतरिस । अपन सिकल के पसीना ला पोंछिस । ऐती ओती जम्मो कोती ला देखे लागिस। जुड़ सांस लेके कुछु गुणत गुणत आगू कोती बाढ़गे अऊ होटल मा खुसरगे । ’’पानी देतो भइयां ! अब्बड़ पियास लागत हावय’’ हलु हलु...
View Articleसरगुजिहा व्यंग्य कबिता: लचारी
जीना दूभर होइस, अटकिस खाली मांस है। बेटा अठवीं फेल, बहुरिया सुनथों बी.ए. पास है।। झाडू-पोंछा बेटा करथे, घर कर भरथे पानी। पढ़ल-लिखल मन अइसन होथें, हम भुच्चड़ का जानी। दाई-दाउ मन पखना लागें, देवता ओकर...
View Articleसरगुजिहा गीत- मोर संगे गा ले संगी
मोर संगे गा ले संगी मोर संगे गा। राग तैं मिला ले संगी राग तैं मिला।। आमा कर बीरो लीम कर मुखारी लकरा कर चटनी चीला सोहारी मोर संगे खा ले संगी मोर संग खा।। जटंगी कर फूल मुनगा कर पाना उरदा कर दार। डॉड़का...
View Articleसरगुजिहा गीत : बरखा कर पानी
लबरा कर गोएठ लेखे, ए बच्छर बरखा कर पानी। एकस हें कइसें होए पारही, हमरे मन कर किसानी। एकघरी कर बरखा हर बुइध ला भुलाइस अगास कर बदरा हर, बुंदी बर तरसाइस। परिया परल हवे, जोंग ला नसाइस लागत हवे बतर ला...
View Articleछत्तीसगढ़ गौरव के रचियता पंडित शुकलाल पांडेय
प्रो. अश्विनी केशरवानी भव्य ललाट, त्रिपुंड चंदन, सघन काली मूंछें और गांधी टोपी लगाये सांवले, ठिगने व्यक्तित्व के धनी पंडित शुकलाल पांडेय छत्तीसगढ़ के द्विवेदी युगीन साहित्यकारों में से एक थे.. और...
View Articleछत्तीसगढ़ी व्यंग्य साहित्य को लतीफ घोंघी के अवदान का मूल्यांकन
Evaluation of the contribution of Latif Ghonghi to Chhattisgarhi satire literature शोधकर्ता: देवांगन, रीना गाइड : शर्मा, शीला कीवर्ड: कला और मानविकी, साहित्य, साहित्य विश्वविद्यालय: पं. रविशंकर शुक्ल...
View Articleछत्तीसगढ़ की महिला रचनाकारों की साहित्य का अनुशीलन
शोधकर्ता: साहू, लीना गाइड : सिंह, तीर्थेश्वर कीवर्ड: हिंदी साहित्य, महिला लेखिका पूर्ण तिथि: 2009 विश्वविद्यालय: पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ की महिला रचनाकारों की साहित्य का अनुशीलन...
View Articleढेलवा डोंगरी
हमर गांव डाहर झलप के तीर म ढेलवा डोंगरी हे। एकर ले संबंधित भीम अउ हिरमिसी कैना (हिडम्बनी) के एक कथा हे। ये डोंगरी म ओ कैना के महल रिहीस अउ झूले बर बड़े जनिक ढेलवा रिहीस। पंडो मन के बनवास के समय घूमत...
View Articleनान्हे कहिनी- चिन्हारी
चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन म नौकरी करत मोला डेढ़ बछर होगय रहे। शुरू शुरू म मोला लागे कि ….मैं ये कहां आके फँस गए ! फेर धीरे-धीरे करत मैं उहां खुसर गए रहय। फेर अतेक दिन ल मोर देश -राज कोती के एको झन...
View Articleसरगुजिहा कहनी –हिस्सा-बांटा
रामपाल जइसे तइसे हाईस्कूल पास करके जंगल ऑफिस में बाबू बन गइस । तेजपाल आठवीं कछा ले आगू नइ बढ़े सकिस । हार के ओकेला नागर कर मुठिया धरेक बर परिस । तेजपाल अपन खेती-पाती कर काम में बाझे रहे त दीन दुनियां...
View Articleछत्तीसगढ़ म जनचेतना के उन्नायक संत गुरु घासीदास
संत परंपरा के मनखे मन जन-चेतना के बिकास म अपन योगदान दे के समाज ल एक नवा दिसा देथे। समाज में अइसे कतको बिसगति समा जाथे, जोन ह समाज ल आगू नइ बढ़न दे। धीरे-धीरे समाज म एक जड़ता आ जाथे। आम मनखे मन ये जड़ता ल...
View Articleनवा थियेटर के वरिष्ठ कलाकार अऊ रिंगनी-रवेली नाच पार्टी के जोक्कर उदय राम...
छत्तीसगढ़ के माटी म एक ले बढ़के एक लोक कलाकार मन के जनम होए हे। ये धरती के लोक कलाकार मन देस-बिदेश म अपन कला के डंका बजाए हें, तइसनहे एक कलाकार उदय श्रीवास घलो ह रहिस। उदय श्रीवास हास्य अउ...
View Articleछत्तीसगढ़ी काव्य के कुछ महत्वपूर्ण कवि: डॉ. बलदेव
हिन्दी के स्वाधीनता अऊ स्वावलम्बन सब्द मन के बीच म गाढ़ा सम्बन्ध हवय, ए दूनो सब्द के मूर्तिमान रूप पं. शुकलाल प्रसाद पाण्डेय छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य के दूसर मजबूत खंभा आये जिंकर रचना कर्म के कारन...
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