संतरू के अंगना म पारा भर के लइका मन सकलाय हे। आज अकती ये। पुतरी, पुतरा के बिहाव करे बर, आमा डारा के छोटे कन ढेखरा ल मढवा बना के आधा लइका मन पुतरा अउ आधा लइका मन पुतरी के सगा सोदर, ढेडहीन, सुवासिन अउ पगरइत, पगरइतिन बन के बिहाव के नेंग जोग करिस। अब्बड […]
Continue reading...
Continue reading...