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गीत: सुरता के सावन

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घुमङे घपटे घटा घनघोर।
सुरता के सावन मारे हिलोर।।
घुमङे घपटे घटा घनघोर….

मेछरावे करिया करिया बादर,
नयना ले पिरीत छलके आगर।
होगे बइहा मन मंजूर मोर,
सुरता के सावन मारे हिलोर।।१




नरवा,नँदिया,तरिया बउराय,
मनमोहनी गिंया मोला बिसराय।
चिट्ठी,पतरी,संदेस ना सोर,
घुमङे घपटे घटा घनघोर।।२

बरसा बरसे मन बिधुन नाँचे,
बिन जँउरिहा हिरदे जेठ लागे।
लामे मन मयारूक मया डोर,
सुरता के सावन मारे हिलोर।।३

पुरवाही जुङ, डोलय पाना डारा,
पूँछव पिरोहिल ल पारा ओ पारा।
फिरँव खोजव खेत खार खोर,
घुमङे घपटे घटा घनघोर।।४
सुरता के सावन मारे हिलोर……..

कन्हैया साहू “अमित”
शिक्षक~भाटापारा
जिला~बलौदाबाजार (छ.ग.)
संपर्क~9200252055

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