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आल्हा छंद –नवा बछर के स्वागत करलन

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बिते बछर के करन बिदाई,दे के दया मया संदेश।
नवा बछर के स्वागत करलन,त्याग अहं इरखा मद द्वेष।

आज मनुष्य हाथ ले डारिस,विश्व ज्ञान विज्ञान समेट।
नवा बछर मा हमू खुसर जन,खोल उही दुनिया के गेट।

हंसी खुशी मा हर दिन बीतय,हर दिन होवय परब तिहार।
सदा हमर बानी ले झलकय,सदाचरण उत्तम व्यवहार।

अंतस मा झन फोरा पारन,हिरदे मा झन देवन घाँव।
मिले बखत हे चार रोज के,रहलन दया मया के छाँव।

पूर्वाग्रह के चश्मा हेरन,अंतस मा सम भाव जगान।
पूर्वाग्रह के कारण संगी,मानवता हावय परसान।

छोड़ अलाली के संगत ला,महिनत के सँग नाता जोड़।
नेक सोच के नेव धरन जी,गड़े गोठ नइ हेरन कोड़।

आवव एक परन हम लेवन,नवा बछर के आघू ठान।
सदा हमर कथनी करनी ले,पावय देश राज घर मान।

सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा छत्तीसगढ़

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