
संस्कार – छट्ठी (छठी), मुहू जुठारना (अन्न प्राशन संस्कार), झालर उतारना (मुंडन संस्कार), बरवा (जनेऊ संस्कार), मंगनी-जंचनी, बिहाव (विवाह संस्कार), मुह देखउनी, सधउरी (गोद भराई), काठी /लेसना/माटी देना (अंतिम संस्कार)) आगी देना (मुखाग्नि), तिज नहावन (तीसरा करना), दसनहावन (दशगात्र), तेरही (तेरहवाँ करना), बरसी (वार्षिक श्राद्ध)।
विवाह संबंधी प्रक्रिया– मंगनी-जंचनी, मंगनी /सगई, चूलमाटी, मड़वा, तेल-हरदी, हरदाही, माई मौरी, नहडोरी, बरात, परघनी, दूधभत्ता, भांवर, टिकावन, बिदा, चौथिया, लिहे बर जाना, गवना।
व्यक्ति– ढेड़हा, पगरईत (दूल्हे के पिता, चाचा आदि), लोकड़हीन, सुवासीन, लेठवा, चूल मंदरिहा (दोनो पक्षों का मध्यस्थ) आदि ।
सामग्री– मर, पर्रा, झाँपी, करसी, मंगरोहन आदि।
आवास संबंधी– कुरिया, कुंदरा, रंधनीखोली, बैइठका, परछी, भितरी कुरिया, कोठा, कोठी, खोर, गली, ब्याँरा, बारी, कोला, छत, चंउक, परसार, अड़गसनी, गुड़ी चौरा।
शोधार्थी – राजेन्द्र कुमार काले, रायपुर. निदेशक – चित्तरंजन कर
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