हरेली तिहार आवत हे
हरियर-हरियर खेत खार, सुग्घर अब लहरावत हे। किसान के मन मा खुशी छागे, अब हरेली तिहार आवत हे।। खेत खार हा झुमत गावत, सुग्घर पुरवाही चलावत हे। छलकत हावे तरीया डबरी, नदिया नरवा कलकलावत हे।। रंग बिरंग के फूल...
View Articleलघु कथा संग्रह –धुर्रा
धुर्रा (नान्हे कहिनी) जितेंद्र सुकुमार ‘ साहिर’ वैभव प्रकाशन रायपुर ( छ.ग. ) छत्तीसगढ राजभाषा आयोग रायपुर के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित आवरण सज्जा : अशोक सिंह प्रजापति प्रथम संस्करण : 2016 मूल्य : 50.00...
View Articleबिन बरसे झन जाबे बादर
हमर देस के सान तिरंगा, आगे संगी बरखा रानी, बिन बरसे झन जाबे बादर, जेठ महीना म, गीत खुसी के गाबे पंछी, मोर पतंग, झरना गाए गीत, जम्मो संग करौ मितानी, खोरवा बेंदरा, रहिगे ओकर कहानी, बुढवा हाथी, चलो बनाबो,...
View Articleउत्ती के बेरा
कविता, झन ले ये गाँव के नाव, ठलहा बर गोठ, हद करथे बिलई, बिजली, चटकारा, बस्तरिहा, अंतस के पीरा, संस्कृति, तोला छत्तीसगढी, आथे!, फेसन, कतका सुग्घर बिदा, गणेश मढाओ योजना, बेटा के बलवा, बाई के मया,...
View Articleहिन्दी साहित्य के महान साहित्यकार उपन्यास सम्राट, कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद
हमर देस ह बैदिक काल ले आज तलक साहित्य के छेत्र म समरिध हावय चाहे वो जब हिन्दीर भाखा के जननी देव बानी संसकिरीत रहय जेमा बालमिकी के रामायन होवय, चाहे बेदबियास के महाभारत, चाहे कालीदास के अभिज्ञान...
View Articleरफी के छत्तीसगढ़ी गीत
रफी साहब….. हिंदी सनिमा जगत के बहुत बड़े नाम आय। जिंकर गुरतुर अउ मीठ अवाज के जादू के मोहनी म आज घलो जम्मो संगीत परेमी मनखे झूमरत रथे। उंकर अवाज के चरचा के बिना हिंदी सनिमा के गीत-संगीत के गोठ ह अधूरहा...
View Articleसुरता : प्रेमचंद अउ गांव
मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित के अनमोल रतन आय। उंकर लिखे कहानी अउ उपन्यास आज घलो बड चाव से पढ़े जाथे। उंकर कहानी ल पढत रबे त अइसे लागथे जानो मानो सनिमा देखत हैं। उंकर कहानी के पात्र के हर भाव ल पाठक ह...
View Articleकिताब कोठी: आवौ भैया पेड़ लगावौ
छत्तीसगढ में बालगीतों का सृजन सबसे पहली बात तो यह कि बाल-गीत या कहें कि बालकों यानी बच्चों के लिए किसी भी विधा में लिखना ही अपने-आप में बडा चुनौती भरा काम है। लेकिन उन सबमें ‘बाल गीत’? इसके लिए गीतकार...
View Articleकविता : वा रे मनखे
वा रे मनखे रूख रई नदिया नरवा सबो ल खा डरे रूपिया- पैसा धन-दोगानी, चांदी-सोना सबो ल पा डरे जीव-जंतु, कीरा-मकोरा सब के हक ल मारत हस आंखी नटेरे घेरी बेरी ऊपर कोती ल ताकत हस पानी नी गीरत हे त तोला जियानत...
View Articleकविता: कुल्हड़ म चाय
जबले फैसन के जमाना के धुंध लगिस हे कसम से चाय के सुवारद ह बिगडिस हे अब डिजिटल होगे रे जमाना चिट्ठी के पढोईया नंदागे गांव ह घलो बिगड़ गे जेती देखबे ओती डिस्पोजल ह छागे कुनहुन गोरस के पियैया “साहिल” घलो...
View Articleछत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
आँसू के कीमत तैं का जनाबे। प्रेम- मोहब्बत तैं का जानबे। झगरा हावै धरम अउर जात के, हे असल इबादत तैं का जानबे। आँसू पोंछत हावै अँछरा मा, दुखिया के हालत तैं का जानबे। सटका बन के तैं बइठे हावस, हे...
View Articleशिव शंकर
शिव शंकर ला मान लव , महिमा एकर जान लव । सबके दुख ला टार थे , जेहा येला मान थे ।। काँवर धर के जाव जी , बम बम बोल लगाव जी । किरपा ओकर पाव जी , पानी खूब चढ़ाव जी ।। तिरशुल धर थे हाथ में , चंदा चमके माथ...
View Articleगुने के गोठ : मोर पेड़ मोर पहिचान
वासु अउ धीरज ममा फूफू के भाई ऑंय। दूनो झन चार छ: महिना के छोटे बड़ेआय। दूनो तीसरी कक्छा मा पढ़थें। वासु शहर के अँगरेजी इस्कूल मा पढ़थे अउ धीरज गाँव के सरकारी स्कूल मा। धीरज के दाई ददा किसानी करथँय अउ वासु...
View Articleनाग पंचमी के महत्तम
हमर भारत देस राज ह खेती-किसानी वाला देस हावय। याने हमर देस ह किरसी परधान देस हावय। नाग देवता ह किसान के एक परकार ले संगवारी ये, काबर के वो ह किसान के खेत-खार के रछा करथे। येखर कारन वोला छेत्रपाल कहे...
View Articleमहान लोकनायक अउ समन्वयवादी कबि गोस्वामी तुलसीदास
हमर देस ह बैदिक काल ले आज तलक साहित्य के छेत्र म समरिध हावय चाहे वो जब हिन्दील भाखा के जननी देव बानी संसकिरीत रहय जेमा बालमिकी के रामायन होवय, चाहे बेदबियास के महाभारत, चाहे कालीदास के अभिज्ञान...
View Articleप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली –खानपान
शाकाहार व्यंजन – दार, भात, रोटी, साग, बरा, भजिया, बोबरा, अँईरसा, फरा, सौंहारी, ठेठरी, खुरमी, पेठा, रसाउर, खस्तोरी, धुसका, हथफोड्वा, पपची, देहदौरी, करी, चौसेला, चिलबोबरा, पीठा, तसमही, तिलगुजिया, बफौरी,...
View Articleप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली –संस्कार
संस्कार – छट्ठी (छठी), मुहू जुठारना (अन्न प्राशन संस्कार), झालर उतारना (मुंडन संस्कार), बरवा (जनेऊ संस्कार), मंगनी-जंचनी, बिहाव (विवाह संस्कार), मुह देखउनी, सधउरी (गोद भराई), काठी /लेसना/माटी देना...
View Articleप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली –कपड़े, आभूषण
पुरुषों के कपड़े – पागा, गमछा, पचहथी, सटका, लिंगोटी, अंगोछा, अंगरखा, कुरता, पागी-पटका, सांफी, सल्लूखा, धोती, लूँहंगी, चड्डी, बनयडडन, गोड्थैला (पैंठ), कमीज, बंगाली-पजामा। महिलाओं के कपड़े – लुगरा,...
View Articleप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली –गीत, नृत्य
नृत्य – सुवा, करमा, राउतनाचा, डंगचगहा नाचा, बघवा नाचा, ढोलामारी, गम्मत, तमासा, पंथीनाचा, गोंडनाचा, डंडानाच, बिहावनाचा, डिडवानाचा, फी नाचा, बरतिया नाचा, रामनामी, पंडवानी, फाग, जंवारा, गौरा-गौरी,...
View Articleप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली –कृषि संबंधी प्रक्रियाएँ
छत्तीसगढ़ी में कृषि संबंधी प्रक्रियाएँ, जैसे – खातू पलई, खेत जोतई, बोनी, पलोई, बियासी, निंदई-कोड़ई, रोपा, रोपई, दवई डरई, लुवई, डोरी बरई, करपा गंजई, बीड़ा बंधई, भारा बंधई, खरही गंजई, पैर डरई, मिंजई,...
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