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कविता : तोर पाईंया लागत हंव बाबा

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मनखे-मनखे ल एक करे बर दे हस सन्देश
गुरु घासीदास बाबा ,सत के पुजारी मोरे बाबा
तोरे चरन के धुर्रा ल मान्थ म लगावां जी
डोंगरी – पहाड़ म कैसे काटे जीवन
सत के रद्दा दिखाये मनखे मन ल
साधा के धोती साधा हावय तोर पहचान
जोड़ा जैत खाम हावे तोर मान
गिरौदपुरी गांव होंगे अब धाम
नर नारी तोर करत हे परनाम
सत के दीया ल जलाए बाबा मोर
ग्यानी – यग्यानी ल दिखये रद्दा
गरीब -दुखी ल नियाय देवाये
झूठ लबारी ल भगाए
नारी के सम्मान म नारी ल दाई के दर्जा दिलाये
तोरे नाम के होयय सबो जुग म जय जय कार
मनखे मनखे ल एक बताए
मेहर करथंव सत सत परनाम
कली युग म तोर होवत हे जय जय कार
सत के पुजारी बाबा गुरु घासीदास
तोरे जैत खाम हावे सबले पहचान
गाय – गरु के करे सम्मान
मास – मंदिरा ल कहे जिनगी के बैरी
जंगल पहाड़ म रहे मनखे ल सत मारग दिखाए
अपन जिनगी ल सुवारथ ल बचाये
मनखे मनखे ल एक बताये
तोर पाईंया लागत हंव बाबा
छत्तीसगढ़ के भुईंया म सत धरम ल जगाये
छत्तीसगढिया मन ल हावे गुमान
बाबा ते हस महान
गिरौदपुरी हावे तोर धाम
सत के झंडा ल फहराए तेहर
गरीब -दुखी ,सोसित ल राह दिखाये तेहर
करे सबले बड़े काम ,,,,
मनखे – मनखे एक बरोबर के भाव जगाये
अंधियारी म दीया जलाये
मनखे के जिनगी म नवा बिहनिया लाये

लक्ष्मी नारायण लहरे “साहिल ”
युवा साहित्यकार पत्रकार कोसीर
जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़
मो 9752319395

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