दाई ओ! जब तोर सुरता आथे, तब मोला लागथे- तैं ह मोरे तीर म हस, नई गे हावस दुरिहा। जब-जब हताशी म आंसू ढारथंव ते ह अपन अंचरा के कोर म पोंछ देथस। कहिथस- ”झिन रो बेटा, मे ह तोर करा हंव हतास झिन हो। जा, बने पुलकत-कुलकत काम कर।” तोर आशिर्वाद ल पाके, मोर […]
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