जब तोर सुरता आथे
दाई ओ! जब तोर सुरता आथे, तब मोला लागथे- तैं ह मोरे तीर म हस, नई गे हावस दुरिहा। जब-जब हताशी म आंसू ढारथंव ते ह अपन अंचरा के कोर म पोंछ देथस। कहिथस- ”झिन रो बेटा, मे ह तोर करा हंव हतास झिन हो। जा, बने...
View Articleवाह रे मनखे के मन =2=
मन माछी उड़ी उड़ी खोजे घाव राजा जइसे खोजे दांव सब काट डरे धरम रुखुवा कहाँ ले पाबे मया के छांव न तिरथ करे न गए मंदिर दूनो गोड़ संचरगे हांथी पांव पर ल रोवत देख हंसे मनखे चिन्ह चिन्ह करे नीयाव नजर गड़े...
View Articleहोथे कइसे संत हा (कुण्डलिया)
काला कहि अब संत रे, आसा गे सब टूट । ढोंगी ढ़ोंगी साधु हे, धरम करम के लूट ।। धरम करम के लूट, लूट गे राम कबीरा । ढ़ोंगी मन के खेल, देख होवत हे पीरा ।। जानी कइसे संत, लगे अक्कल मा ताला । चाल ढाल हे एक,...
View Articleहमर देश के किसान ….
हमर देश के किसान , तुमन हबो अड़बड़ महान। तोर बिना ये देश ह , तोर बिना ये दुनिया ह , हो जाही गा बिरान । हमर देश के किसान , तुमन हबो अड़बड़ महान । घाम ल सहिथव , पियास ल सहिथव , अउ सहिथव जाड़ ल। कभु फसल ल...
View Articleमोर बाई बहुत गोठकहरिन हे!
मोर बाई बहुत गोठकहरिन हे! ओकर कोठ ल सुन के में असकटा जथंव, तेकरे सेती फेसबुक म रही रही के हमा जथंव! उहीच उही गोठ ल घेरी बेरी गोठियाथे, अउ नै सुनव तहले अपने अपन रिसाथे ! ए जी-ए जी कहिके मोला रोज सुनाथे,...
View Articleबिमोचन –पुरखा के चिन्हारी
श्री प्यारे लाल देशमुख जी के तीसरइया काव्य कृति हरे पुरखा के चिन्हारी। जेमा कुल जमा डेढ़ कोरी रचना समोय गे हे। किताब के भूमका डॉ. विनय कुमार पाठक जी कम फेर बम सब्द के कड़क नोई म बांधे छांदे हे। जेन कबिता...
View Articleजादू के खेला
जादू के खेला अब्बड़ परसिध्द है। का लइका, का सियान, का बुढ़वा का जवान अउ का मइलोगन। सब्बो मन ला जादू देखे के बड़ सउक होथे। आजकल तो कोनो जादू के खेला देखे ला नइ मिलय। अइसे लागथ हे के ये खेला हा नंदावत...
View Articleअब लाठी ठोंक
चर डारिन गोल्लर मन धान के फोंक । हकाले म नइ मानय अब लाठी ठोंक ।। जॉंगर चलय नही जुवारी कस जान । बिकास के नाम म भासन के छोंक ।। भईंस बूड़े पगुरावय अजादी के तरिया । जिंहा बिलबिलावत हे अनलेखा जोंक ।। खेत मन...
View Article=वाह रे चुनाव=
वाह रे चुनाव तोर बुता जतिच नाव। जब ले तंय आए हच,होगे काँव काँव। भाई संग भाई ल तंय हा,लड़वा डरे जनम भर के मित मितानी,छिन भर म मेंट डरे। जेती देखबे उहि कोती हाबय हांव हांव।वाह रे चुनाव———– छल करे अइसे...
View Articleसोनाखान के सोन-शहीद बीर नारायण सिंह
शहीद बीर नारायण सिंह ह छत्तीसगढ़ के पहिली शहीद आय। 10 दिसंबर सन् 1857 म अतियाचारी अंग्रेज मन बीर नारायण सिंह ल फांसी दे दे रिहिन। ओखर अपराध अतके रिहिस के सन् 1856 के भयंकर दुकाल के समे वो ह अपन...
View Articleदाई अऊ बेटी
आज वोहा रयपुर के एक ठन परायवेट अस्पताल मा भरती हे। अपन सवास्थ ल ठीक करत हे। वो दिन मेहा अपन घरवाली के संग ओला देखे बर गे रेहेंव। वो हा हम दूनों ल देख के बड़ खुस होगे। आज वोकर अपरेसन होए छ दिन बीत गे...
View Articleछत्तीसगढ़ी गजल
काकर नाँव लिखत रहिथस तैं नँदिया तिर के कुधरी मा। राखे हावस पोस के काला तैंहर मन के भितरी मा। डहर रेंगइया ओकर कोती कभू लहुट के नई देखै, लटके रहिथे चपके तारा जे कपाट के सकरी मा। नाली कतको उफना जावै...
View Article😜चल संगी चुनाव आगे😜
चल संगी चुनाव आगे,नेता मन हा फेर बऊरागे कोनो बाँटय साल-सेटर कोनो बने हे मयारू कोनो बाँटय लुका-लूका के गली गली मा दारु स्वारथ ला साधे बर सबो बादर कस छागे! चल संगी चुनाव……………. घर-घर मा नेता दिखय...
View Articleकविता : हुसियारी चाही रे
नाली चाही बिजली पानी चाही रे। कोनो होवय नेता मा दमदारी चाही रे।। नान-ना काम बर घूमेल झन लागय, भसटाचारी मन दुरीहा भांगय, गरीब के संगवारी चाही रे। जाम झन होवय रद्दा मोटर गड़ी मा , दिया छोड़ कुछू माढ़य झन...
View Articleनकाब वाले मनखे
अभीन के समे हॅ बड़ उटपटॉग किसम के समे हे। जेन मनखे ल देख तेन हॅ अपन आप ल उॅच अउ महान देखाए के चक्कर म उॅट उपर टॉग ल रखके उटपटॉग उदीम करे मा मगन हे। ंअइसन मनखे के उॅट हॅ कभू पहाड़ के नीचे आबेच नइ करय।...
View Articleमेरी क्रिसमस
बुधिया बीहिनिया ले हक बकाये हे कालि रात ओकर झोपड़ा में लागथे सांता क्लाज़ आये हे साडी साँटी औ कम्बल चुरी मुंदरी औ सेंडल घर भर में कुढाय हे गेंदू कहिस बही नितो समान ल देख के झन झकझका अब ता हर रात आहि...
View Articleमनोज कुमार श्रीवास्तव के गियारा कविता
1. झन ले ये गॉंव के नाव जेखर गुन ल हमन गावन, जेखर महिमा हमन सुनावन, वो गॉंव हो गेहे बिगड़हा, जेला देख के हम इतरावन, कहत रहेन शहर ले बने गॉंव , बाबू एखर झन ले नाव, दूसर के चीज ल दूसर बॉंटय, उल्टा चोर...
View Articleकविता संग्रह : रउनिया जड़काला के
रचनाकार चोवाराम वर्मा ‘बादल’ कवि परिचय नाम श्री चोवाराम वर्मा “ बादल “ पिता स्व. श्री देवfसंग वर्मा जन्मतिथि 21मई सन् 1961 जन्म स्थान ग्राम कुकराचुंदा, जिला – बलौदाबाजार,छ.ग. शिक्षा एम.ए. हिन्दी,...
View Articleहम जम्मो हरामजादा आन… (डॉ.मुकेश कुमार के हिन्दी कविता के अनुवाद)
पुरखा मन के किरिया खा के कहत हंव के हम जम्मो झन हरामजादा आन आर्य, शक, हूण, मंगोल, मुगल, फिरंगी द्रविड़, आदिवासी, गिरिजन, सुर-असुर कोन जनि काखर काखर रकत बोहावत हावय हमर नस मन म उही संघरा रकत ले संचारित...
View Articleगाँव कहाँ सोरियावत हें (छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह के कुछ अंश )
जुन्ना दइहनहीं म जब ले दारु भट्ठी होटल खुलगे टूरा टनका मन बहकत हें सब चाल चरित्तर ल भूलगें मुख दरवाजा म लिखाये हावय पंचयती राज जिहाँ चतवारे खातिर चतुरा मन नई आवत हांवय बाज उहाँ गुरतुर भाखा सपना हो गय...
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