कवित्त छंद
ऐती तेती चारो कोती, इहरू बिछरू बन, देश के बैरी दुश्मन, घुसरे हे देश मा । चोट्टा बैरी लुका चोरी, हमरे बन हमी ला, गोली-गोला मारत हे, आनी बानी बेश मा ।। देश के माटी रो-रो के, तोला गोहरावत हे, कइसन सुते...
View Articleसेन्ट्रल वर्सेस स्टेट
का फ़रक हवय सेन्ट्रल अउ रज्य सरकार के नौकरी म, एक आफ़िस महल कस,दुसर चलथे निच्चट झोपड़ी म। सेन्ट्रल वाले मन ला अपन तन्खा उप्पर अभिमान होथे, पर स्टेट वाले मन बर तन्खा केवल एक अनुदान होथे। सेन्ट्रल म काम के...
View Articleचांटी मन के कविता
आज मोला एक ठन कविता लिखे के मन करत हे। फेर काकर उपर लिखअव ,कइसे लिखअव बड़ असमंजस में हव जी… मोर मन ह असमंजस में हे, बड़ छटपठात हे ।तभे चांटी मन के नाहावन ल देख परेव अउ कविता ह मन ले बाहिर आइस। चांटी मन...
View Articleछत्तीसगढ़ ला जनम दिन के बधई
अपन चुनर म जड़ एक नवा सितारा ले। अउ बछर भर मन भरके तैं इतरा ले।। कतको ऑंखी देख तोला अइसने फूटत हे। बचके रहिबे आतंकी अबके खतरा ले।। नवा नेवरिया के संग सुरू म नीक लागथे। हो घसेलहा गिनहा बने पसरा बगरा ले।।...
View Articleआके हमर गांव…
तैं झुमर जाबे रे संगी, आके हमर गांव तोला का-का बतांव, तोला का-का बतांव…. उत्ती म कोल्हान के धारा रेंगत हे बोहरही दाई जिहां मया बांटत हे जिहां बिराजे महादेव-ठाकुरदेव के पांव…. चारोंखुंट तरिया अउ डबरी...
View Articleसच बोले के काम सिरिफ सरकारी हे
सच बोले के काम सिरिफ सरकारी हे बाकी सब मुंहदेखी बात लबारी हे … ऐसे समे म चुप रहना सबसे बढ़े समझदारी हे – काबर के महिमा मंड़ित सिरिफ निंदाचारी हे सरकार अउ बयपारी जउन कहत हे वोला टी.वी. रेडियो गजट...
View Articleबुढ़वा कोकड़ा : हरप्रसाद ‘निडर’
हरप्रसाद ‘निडर’ जी के 42 कहानी मन के किताब ‘बुढ़वा कोकड़ा’Continue reading...
View Articleनदिया के धार बहिस
नदिया के धार बहिस छुनुन—छुनुन छन कहिस. चउमासी कचरा मन धारोधार बोहागे, मटियाहा पानी मन सुग्घर अब छनागे. पी लौ ससन भर सब, गुरतुर कछार कहिस. .. नदिया के धार बहिस अब नइ बोहाव ग डुबकव हरहिन्छा, फरी—फरी पानी...
View Articleस्वच्छ भारत के मुनादी
स्वच्छ भारत के मुनादी २ अक्टूबर के होईस अउ ‘स्वच्छ भारत’ के सपना ल पूरा करे बर सब सफाई करे म जुटगें। ‘जुटगें’ शब्द ह सही हावय काबर के ये दिन अइसना रहिस हे के प्रधानमंत्री ले लेके एक सामान्य मनखे तक...
View Articleकुण्डलियाँ
नंदावत चीला फरा,अउ नंदाय जांता । झांपी चरिहा झउहा,नंदावत हे बांगा। नंदावत हे बांगा,पानी कामे भरबो। जांता बीना हमन,दार कामे दरबो कहत “नुकीला” राम,नवा जबाना हे आवत। गाड़ा दौरी नांगर,सब जावत हे नंदावत।...
View Articleबहिरी ह इतरावत हे
जम्मोझन ऐके जगह जुरियाये, बहिरी धरे मुस्कियात फोटू खिंचावत हे, अउ बहिरी मन के बीच, मंजवा मचावत हे। कचरा के होगे हे बकवाय ऐती जाय कि ओती जाय, पुक बरोबर उड़ियावत हे। एइसन तो स्वच्छ्ता अभियान ल आगू बढ़ावत...
View Articleवंदे मातरम…
घर-घर ले अब सोर सुनाथे वंदे मातरम लइका-लइका अलख जगाथें वंदे मातरम… देश के पुरवाही म घुरगे वंदे मातरम सांस-सांस म आस जगाथे वंदे मातरम रग-रग म तब जोश जगाथे वंदे मातरम…. उत्तर-दक्षिण-पूरब-पश्चिम मिलके...
View Articleअगहन महीना के कहानी
मेकराजाला अउ फेसबुकिया, जम्मो संगवारी मन ल जय -जोहर, राम -राम …। संगवारी हो हमर छत्तीसगढ़ तीज तिहार के राज हे, बारहो महीना कुछु न कुछु तिहार आथे। हमर सियान मन बड़ गुनी, दूरदर्शी ज्ञानी रहिन। धरती...
View Articleछत्तीसगढ़ म मउत “अमर”हे
छत्तीसगढ़ म मउत “अमर” हे कोनो मरत हे त कसूर हमर हे आंखी फूटिस, गरभ फूटिस उल्टी-दस्त म परान ह छूटिस पीलिया-डायरिया म मरगे झारा-झारा बता भला का जिम्मेदारी हमर हे छत्तीसगढ़ म मउत “अमर” हे कोनो मरत हे त...
View Articleमंतर
कंहा गै वो असीस के भाखा बाबू के ददा नोनी के दाई मोर दुलरवा मोर दुलौरीन बहिनी दीदी भईया भाई। गुडमार्निग साॅरी थैंक्यू बोल रे पप्पू बोल अपन संस्कृति के छाती ल अंगरेजी बंऊसला म छोल। तब अऊ अब मे कतका जादा...
View Articleलोरी
सुत जबे सुत जबे लल्ला रे सुत जबे न एसे मजा के रे बेटा मोर पलना मा सुत जबे सपना के रानी रे बेटा मोर निदिया में आही न मुन्ना राजा बर भैया रे पलना सजाही न चंदा के पलना रे भैया मोर रेशम के डोरी न टिमटिम...
View Articleवाह रे मनखे के मन
वाह रे मन तोर महिमा अपरम्पार। कभू बुडोथच बीच भंवर म कभू नहकाथच पार। तहीं बांध मुसकी बंधना म भवसागर म देथच डार। घर दुवार दुनिया दारी के लमा डरथच बखरी के नार। कभू गुड के गुरतुर भेला कभू नून डल्ला सक्खार।...
View Article‘भोले के गोले”म छूटत गियान के गोला
ये पुस्तक ह पंचमिझरा साग के सुवाद देथे। ये साग के अपन सुवाद होथे। हमर बारी बखरी के हर फर के मान रखे जाथे, एक-एक, दू-दी ठन फर ल मिंझार के अइसना साग बनाये जाथे के मनखे ह अंगरी चाटत रहि जाथे। इही हाल ये...
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