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जिनगी के बेताल –सुकवि बुधराम यादव

“डोकरा भइन कबीर “-बुधराम यादव (डॉ अजय पाठक की कृति “बूढ़े हुए कबीर ” का छत्तीसगढ़ी भावानुवाद ) के एक बानगी जिनगी के बेताल एक सवाल के जुवाब पाके अउ फेर करय सवाल विक्रम के वो खाँध म बइठे जिनगी के बेताल !...

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ग़ज़ल : सुकवि बुधराम यादव

सुर म तो सोरिया सुघर – सब लोग मन जुरिया जहंय तैं डगर म रेंग भर तो – लोग मन ओरिया जहंय का खड़े हस ताड़ जइसन – बर पीपर कस छितर  जा तोर छइंहा घाम घाले – बर जमो ठोरिया जहंय एक – दू मछरी करत हें – तरिया भर ल...

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कबिता : नवा बछर के गाड़ा -गाड़ा बधाई

नवा बछर के गाड़ा -गाड़ा  बधाई पाना – डारा  के फुलगी म ओकमे झुलना झूलत सीत ल गोरसी भरे  दंदकत डोकरी के आनी-बानी गीत ल   संगी जंवरिहा अउ अलकरहा हीत-मीत ल   सुख़-दुःख म पोटारे रोवईया मया पिरीत ल          …...

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कबिता : नवा साल म

 सुकवि बुधराम यादव के रचना  “डोकरा भइन कबीर ” (डॉ अजय पाठक के मूल कृति “बूढ़े हुए कबीर” का छत्तीसगढ़ी भावानुवाद ) के एक ठन बड़ सुघर रचना- नवा साल म  सपना तुंहर पूरा होवय, नवा साल म ! देस दुवारी म सुरुज...

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सरग म गदर

बिसनू लछमी के सादी के सालगिरह रहय।उन दोनो सरग म बइठे बिचार मगन रहिस हे। बिग्यान के परगति कहव के, सुस्त मस्त अउ पस्त खुपिया बिभाग के चमाचम कारसैली के कमाल कहव, के कुकुर मन संग बिस्कुट खावत खावत संगत के...

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चिरई बोले रे

घर के छान्ही ले चिरई बोले रे… घर के दाई अब नइ दिखे रे… अंगना ह कईसे लिपावत नइ हे…. तुलसी म पानी डरावत नइ हे…. सूपा के आरो घलो आवत नइ हे…. ढेकी अउ बाहना नरियावत नइ हे…. जांता ह घर में ठेलहा बइठे हे…....

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वेलनटाइन अकारथ मनावत हव

उम्मर असन उम्मर नही अउ “लब” फरमावत हव बगइचा कोनटा म मुड़ी जोरे आशिकी गोठियावत हव अरे कुछ तो फिकर करव दाई- ददा के मरजाद के काबर बिदेशी बेलेंटाइन ला अकारथ मनावत हव चार दिन पाछु ले मौसम बनावत हव कोनो लाली...

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चमत्कारी हवय अशोक के रूख

शास्त्र म लिखे गे हवय कि अशोक के रूख हर अड़बड़ चमत्कारी हवय। अगर अशोक के रूख घर म लगे हवय त कोनो समस्या अउ दुख तकलीफ तीर-तखार म नई फटकय। अशोक वृक्ष से कई प्रकार के धन-संपत्ति अउ कई ठन समस्या ल दूर करे...

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कुकुर कटायन

रामरमायन तिंहा कुकुर कटायन कहिथे। जिंहा सुभ काम के सुभारंभ होथे उँहे कुकुरमन के पहुँचना जरूरी होथे। कुकुर मन के ए दखलंदाजी ल देखके कभू कभू अइसे भरम होय लगथे के सुभ असुभ कोनो किसिम के काम होवय इंकर बिना...

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चार बेटा राम के कौडी के ना काम के

छोहीहा नरवा के  दुनो कोती दु ठन पारा नरवरगढ़ के । बुड़ती म जुन्ना पारा अउ उत्ती मा नवा पारा । जुन्नापारा मा गांव के जुन्ना बासिंदा मन के डेरा अऊ नवापारा मा पर गांव ले आये नवा मनखे मन के कुरिया । गांव...

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गुरतुर बोली बोलव

बोली बरदान आय। अगर मइनखे मन बरदान नई मिले रहितिस पूरा दुनिया मुक्का रहितिस। बोली ले ही मइनखे मन अपन गोठ बात ल, अपन सुख-दुख ल, अपन बिचार एक दूसर लगन बाटथे। मइनखे के चिन्हारी ओकर गोठ बात ले हाेथे कि कऊन...

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हमर चिन्हारी ‘छत्तीसगढ़ी’इस्थापित होही कभू ?

छत्तीसगढ़ी-मेला के रंग-ढंग बदलगे, नवा रूप-रंग के कुम्भ-मेला इस्थापित होगे -नंदकिसोर सुकुल खेलत-खात, हांसत-रोवत, पुदका-पुदकी करत चउदा बछर बीत गे नवा राज ‘छत्तीसगढ़’ बने। फेर, आजो तक ले छत्तीसगढ़ के...

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गांव-गंवई के बरनन- मिश्र के कविता में –सरला शर्मा

तेईस दिसंबर सन् उन्नीस सौ तीस म जाज्वल्यदेव के ऐतिहासिक नगरी जांजगीर के बाह्मनपारा म रहइया स्व. कन्हैयालाल मिश्र अऊ श्रीमती बहुरादेवी के घर अंजोर करइया बेटा जनमिस। महतारी-बाप के खुसी के ठिकाना नइ रहिस।...

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जनता जनारदन

अभी बिगत दिन चुनई के माउहौल रहीस बड़ जोर-सोर ले नेतामन उनकर कारकरतामन परबार के मनखेमन जीतोड़ परतयासीमन के परचार -परसार करत रहिन, गली-खोल ऐसनहा लागै जाना मन कोनो बर बिहाव होवत रहीस हमर भोली-भाली जनता मन...

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दूर के सोचथे महामानव

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावय। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! मनखे ला हमेसा दूर के सोचना चाही रे। फेर संगवारी हो हमन नइ मानन। हमन हर अतका स्वारथी हो गै हावन के हमन हमेसा आज के बारे अउ अभी के बारे...

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बीमारी ले दुरिहा रहे के सरल उपाय (संकलित)

सबले पहिली बिहिनिया उठके 2 से 3 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए अउ पानी ल हमेशा बइठ के पीना चाहिए। पानी ल पीयत समय चाय बरोबर एकक घूंट पीना चाहिए एखर से पाचन क्रिया मजबूत हाथे। एखर बाद दूसर काम पेट साफ करे...

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कहां नंदा गे सब्बो जुन्ना खेलवारी मन

पहिली चारों मुड़ा लइका मन के कोलाहल सुनात रहै संझा के बेरा घर ले बाहिर निकलते तहां जगा-जगा झुण्ड के झुण्ड लइका खेलत दिख जावै। अब तो लइका मन बाहिर खेले सफा भुला गिन अउ कहूं थोर बहुत खेले बर बाहिर जाहीं...

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महंगइ के चिंता

तइहा के बात ला बईहा लेगे, समे ह बदल गे अउ नवा जमाना देस म अपन रंग जमा डारे हे। एकअन्नी-दूअन्नी संग अब चरन्नी नंदा गे हे। सुने हन सरकार ह अब पांच रूपिया ला घलो बंद करईया हे, अब हमर रूपिया दस ले सुरू...

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51 शक्तिपीठ म सबले बडे़ ज्वाला जी

ये पवित्र स्थान के मान्यता 51 पीठ म सबले जादा हवय। लोगन के मान्यता के अनुसार भगवती सती के जीभ ल श्री हरि हर अपन चक्र से काट के धौलगिरि पहाड़ म गिरइस हवय अउ महादेव हर खुद भैरव बाबा के रूप म एमेर विराजमान...

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पंच-पंच कस होना चाही

पंच पंच कस होना चाही, साच्छात परमेस्वर के पद, पबरित आसन येकर हावै, कसनो फांस परे होवे, ये छिंही-छिंही कर सफा देखावै। दूध मा कतका पानी हे, तेला हंसा कस ये अलग्याथे। हंड़िया के एक दाना छूके, गोठ के गड़बड़...

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