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Channel: gurtur goth
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निराला साहित्‍य समिति, थान खम्‍हरिया के आयोजन

निराला साहित्‍य समिति, थानखम्‍हरिया हा अपन उपजे बछर ले हर बछर, साहित्‍यकार अउ कलाकार मन के सनमान करत आवत हे। इहू दरी स्‍व.विसम्‍भर यादव ‘मरहा’ के सुरता मा सनमान कार्यक्रम हे अउ निराला साहित्‍य समिति के...

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छत्तीसगढ़ी कुण्डलियां

छत्तीसगढ़ी हे हमर, भाखा अउ पहिचान । छोड़व जी हिन भावना, करलव गरब गुमान ।। करलव गरब गुमान, राज भाषा होगे हे । देखव आंखी खोल, उठे के बेरा होगे हे ।। अड़बड़ गुरतुर गोठ, मया के रद्दा ल गढ़ी । बोलव दिल ला...

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हमर माटी हमर गोठ

1. भगवान के पूजा करथव सही रद्दा मा चलथव। सब्बो झन ला अपन समझथव ज्ञान के संग ला धरथव अपन अज्ञानता ला भगाथव दाई ददा के गुन गाथव। 2. ईश्वर के मया, कृपा अऊ दुलार हे छत्तीसगढ़ माटी के पहचान हे। किसान बेटा के...

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चॉकलेट के इतिहास

चॉकलेट बनाय के मुख्य जिनिस कोको के खोज 2000 वर्ष पूर्व होइस। अइसे माने जाथे कि जब 1528 म स्पेन के राजा हर मेक्सिको म विजय हासिल करके कब्जा कर लीस त ओ हर अपन साथ भारी मात्रा म कोको के बीजा लेके अइस तभे...

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ऊँचई

(पूर्व प्रधानमंत्री, भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता *ऊँचाई* का छत्तीसगढ़ी भावानुवाद) ऊँच पहार म पेंड़ नइ जामय नार नइ लामय न कांदी-कुसा बाढय़। जमथे त सिरिफ बरफ जेन कफन कस सादा अउ मुरदा कस जुड़...

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नारी अऊ पुरूस दो परमुख स्तंभ

मनखे रूप म बंदनीय हावय इकर कोमल भाव मातृत्व म सागर के हिलोर हे, त कर्तव्य म हिमालय परबत के समान हावय एक दुसर के पुरक हावय, नारी के अंर्तमन के थाह नई हावय ईसवर के देहे बरदान हे नारी, ऐमा सिरजन के अदभुत...

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किसानी के गीत

आवा आवा रे आवा ना, किसान अऊ बनिहार मन आवा ना। आगे आगे रे आगे ना, बारीश के दिन बादर आगे ना। चलव चलव रे चलव ना, खेती अऊ खार चलव ना। आवा आवा रे आवा ना, किसान अऊ बनिहार मन आवा ना। धरव-धरव रे धरव ना, नागर...

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राजभासा छत्तीसगढ़ी के फैइलाव बर कोसिस

बर अऊ पीपर के छोटकन बीजा म बड़का बर, अऊ पीपर रूख तियार हाे जाथे वइसने बोलियों हर आय। बोली एक बेरा म छोटकन जघा म बोले जाथे अऊ बोलईया मइनखे मन के संख्या ह बाढ़त चले जाथे, अऊ धीरे-धीरे भासा के रूप ले लेथे।...

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दूध म दनगारा परगे…

(पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की हिन्दी कविता *दूध में दरार पड़ गई* का छत्तीसगढ़ी भावानुवाद : सुशील भोले) लहू कइसे सादा होगे भेद म अभेद खो गे बंटगें शहीद, गीत कटगे करेजा म कटार...

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छत्तीसगढ़ी तांका

1. का होगे तोला मन लइ लागे हे काम बुता मा कोनो चोरा ले हे का मया देखा के। 2. मया के फांदा मैं हर फसे हंव आंखी ला खोले निंद मा सुते हंव देखत ओला । 3. तोर आंखी मा उतर के देखेंव थाह नइ हे डूबत हंव ओमा मया...

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विजेंद्र कुमार वर्मा के कविता

नेता के गोठ नेता ह अड़जंग भोगाय हे, घुरवा कस बेशरम छतराय हे I किसान मन के लहू चूस के, येदे कस के बौराय हे I देख के मजदूर अऊ किसान ह, मरत ले मुरझाय हे I उज्जर उज्जर कुरता पहिन के, दाग ल घलो छुपाय हे I...

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गांव होवय के देश सबो के आय

मनखे जनम जात एक ठन सामाजिक प्राणी आवय । ऐखर गुजारा चार झन के बीचे मा हो सकथे । एक्केला मा दूये परकार के मनखे रहि सकथे एक तन मन ले सच्चा तपस्वी अउ दूसर मा बइहा भूतहा जेखर मानसिक संतुलन डोल गे हे ।...

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सियान मन के सीख- चुप बरोबर सुख नहीं

सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! चुप बरोबर सुख नही रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नइ पाएन। आज के जमाना म मनखे मन बोले बर अतका ललाइत रहिथे...

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समारू के दु मितान कालू-लालू

ये कहानी हा हमर छत्तीसगढ़ के किसान अऊ ओकर मितान बईला के हरय। कईसे येक किसान हा अपन मितान ला जतन के रखथे त ओकर मितान बईला हा ओकर कईसे साथ देथे। ऐकठन गाँव मा बड़ गरिबहा किसान रहाय ओ किसान के नाम रहय समारू।...

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पद्मश्री डॉ.सुरेन्‍द्र दुबे के वेबसाईट

कविसम्‍मेलन मंच के चर्चित अंतर्राष्‍ट्रीय कवि पद्मश्री डॉ.सुरेन्‍द्र दुबे के वेबसाईट म उंखर कवि सम्‍मेलन के नवा वीडियो संघारे गए हे। संगी मन अब पद्मश्री डॉ.सुरेन्‍द्र दुबे जी के वीडियो उंखर वेब साईट ले...

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येदे गरमी के दिन आगे

येदे गरमी के दिन आगे चारो कुती घाम हा बाड़ गे घाम के झाँझ मा तन हा लेसागे तन ले पसीना पानी कस चुचवागे रूख-राई के छैईहा सिरागे येदे गरमी के दिन आगे। पानी के बिना काम नी चले चारो कुती पानी के तगई छागे...

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गाँव लुकागे

कईसन जमाना आईस ददा, गाँव ह घलो लुकागे I बड़का बड़का महल अटारी म, खेत खार ह पटागे I नईये ककरो ठऊर ठिकाना, लोगन ल बना दिस जनाना I नेता मन के खोंदरा बनगे, छोटकुन के आसरा ओदर गे I चिटकिन रुपिया देके,...

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रासेश्वरी

1- बन्दना 1- कदंब तरी नंद के नंदन, धीरे धीरे मुरली बजाय। ठीक समे आके बइठ जाय, घरी घरी तोला बलाय।। सांवरी तोर मया मा, बिहारी बियाकुल होवय। जमुना के तीर बारी मा ,घरी घरी तोला खोजय।। रेंगोइया मला देख के...

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छत्तीसगढ़ के बासी चटनी

छत्तीसगढ़ के बासी चटनी, सबला बने मिठाथे | इंहा के गुरतुर भाखा बोली, सबला बने सुहाथे | होत बिहनिया नांगर धरके, खेत किसान ह जाथे | अपन पसीना सींच सींच के, खेत म सोना उगाथे | नता रिशता के हंसी ठिठोली,...

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दु आखर स्वास्थ्य के गियान

मोर बताये रस्ता देहु तुमन धियान दु आखर स्वास्थ्य के, बतावत हौ गियान। होही पतला दस्त इलका के, जेकर ले झन घबरा। चुटकी भर नून, चम्मच भर शक्कर एक गिलास पानी घोल बनाव। घेरी-बेरी पानी लइका पिलाव। नई मिले तव...

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