छत्तीसगढ़ के बासी चटनी, सबला बने मिठाथे | इंहा के गुरतुर भाखा बोली, सबला बने सुहाथे | होत बिहनिया नांगर धरके, खेत किसान ह जाथे | अपन पसीना सींच सींच के, खेत म सोना उगाथे | नता रिशता के हंसी ठिठोली, इंहा के सुघ्घर रिवाज ए, बड़े मन के पैलगी करना, इंहा के सुंदर लिहाज […]
Continue reading...
Continue reading...