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बिधना के लिखना

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घिरघिटाय हे बादर, लहुंकत हे अऊ गरजत हे।
इसने समे किसन भगवान, जेल मा जन्मत हे।।
करा पानी झर झर झर झर इन्दर राजा बरसात हे।
आपन किसन ला ओकर हलधर मेर अमरात हे।।
चरिहा मा धर, मुड़ मा बोह,किसन ला ले जात हे।
जमुना घलो उर्रा पूर्रा हो,पांव छूये बर बोहात हे।।
बिरबिट अंधियारी रतिहा, जुगजुग आँखि बरत हे।
ता अतका अंधियारी मा,रपा धपा पांव चलत हे।।
जीव के डर आपन जीवेच ला, नंद मेर छाँड़ देथे।
ओकर बिजली कइना ला, आपन चरिहा म लेथे।।
कुकराबस्ता आपन ला कंस कारावास मा पाथे।
बिधना के लिखना भुइंया केमन पार काहां पाथे।।
सीताराम पटेल
sitarampatel.reda@gmail. com

The post बिधना के लिखना appeared first on गुरतुर गोठ : छत्तीसगढ़ी (Chhattisgarhi).


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