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Channel: gurtur goth
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लोग लइका बर उपास –कमरछट के तिहार

छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा कहे जाथे । काबर इंहा धान के फसल जादा होथे ।इंहा के जादातर मनखे मन ह खेती के काम करथे । किसान मन ह अपन खेत में हरियर हरियर धान पान ल देख के हरेली तिहार मनाथे । हरेली तिहार के...

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संसो झन कर गोरी

संसो झन कर गोठ हा करेजा म रहि जाही। मया करे के येही बेरा हे नई तो पहर हा सिरा जाही।। आबे मोर तीर म ता तोला मया के झुलना झुलाहुं। लाली टिकली ला तोर मुड़ म सजाहुं। आँखि ला टेढ़ के एके कनी देखथस। मया देके...

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बारो महीना तिहार

बारो महीना तिहार के बहार। आगे आगे तिहार अऊ तिहार। चइत महिना आगे नवरात्रि आगे। जोत बरे घरो घर जंवारा बोंवागे। दुरगा दाई के सेवा ला बजाले। राम जनम सुख सोहर के बहार। आगे आगे तिहार अऊ तिहार। बइसाख महिना...

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छत्तीसगढ़ के वीर बेटा –आल्हा छंद

महतारी के रक्षा खातिर,धरे हवँव मैं मन मा रेंध। खड़े हवँव मैं छाती ताने,बइरी मारे कइसे सेंध। मोला झन तैं छोट समझबे,अपन राज के मैंहा वीर। अब्बड़ ताकत बाँह भरे हे , रख देहूँ बइरी ला चीर। तन ला मोर करे...

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कलजुगिया झपागे

देखव देखव संगी,कईसन जमाना आगे। अंते-तंते होवत हावय,कलजुगिया झपागे।। भेद-भाव के गिरहा धर लेहे, फुट होथे घर-घर। बालि शुगरी होगे भाई-भाई, देखत धरथे जर। भुइंया बर होवाथे लड़ाई,महाभारत ह समागे, अंते-तंते...

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माटी के मया सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! माटी के अबड़ मया़ होथे रे। फेर हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। संगवारी हो जब हमन छोटे-छोटे रहेन तब हमन ला प्राथमिक...

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तिरंगा कब ऊंच होही ?

रिगबिग सिगबिग चारों मुड़ा दिया कस बरत रहय झालर लट्टू। झिमिर झिमिर गिरत पानी बरसात म, किंजरे बर निकले संकर भगवान पूछत रहय – काये होवथे पारबती। पारवती मइया किथे – तहूं कहींच नी जानस भगवान, पनदरा अगस्त के...

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देस बर जीबो,देस बर मरबो

देस बर जीबो,देस बर मरबो। पहिली करम देस बर करबो।। रहिबो हमन जुर मिल के, लङबो हमन मुसकिल ले। भारत भुँइयाँ के सपूत बनबो। धरती महतारी के पीरा हरबो।।१ देस बर जीबो……………. जात-धरम के फुलवारी देस, भाखा-बोली के...

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सबके पार लगइया –किसन कन्हैया

कृष्ण जन्माष्टमी ल पूरा देस में धूमधाम से अऊ बहुत उल्लास के साथ मनाये जाथे।काबर इही दिन भगवान सिरी किसन कन्हैया के जनम होय रिहिसे । जन्माष्टमी ल भारत भर में ही नही बल्कि बिदेस में बसे भारतीय मन भी ऊंहा...

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कइसे झंडा फहरही ?

पनदरा अगस्त के पहिली दिन, सरपंच आके केहे लागीस ‌- डोकरी दई, ये बछर, हमर बड़का झंडा ल, तिहीं फहराबे या …..। मोर न आंखी दिखय, न कान सुनाये, न हाथ चले, न गोड़, मेहा का झंडा फहराहूं – डोकरी दई केहे लागीस ?...

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माटी के गनेस बइठारव-पर्यावरण के मान बढ़ावव

माटी के मुरति सबले सुग्घर, चिक्कन-चाँदन अउ श्रेष्‍ठ माने गए हावय। माटी के मुरति हा जिनगी के सुग्घर अउ सिरतोन संदेश ला बगराथे के जौन जिहाँ ले आये हे उँहें एक दिन खच्चित लहुठ जाथे। नदिया के चिक्कन माटी...

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बाल लेखक सार्थक के कहानी : संगवारी

बोड़रा नाम के गांव रिहिस जी। उहां दू झन संगवारी रिहिस। एक के नाव बल्लू, दूसर के नाव स्याम। दूनो संगवारी जब समे मिलय, सनझाती बेरा, घूमे बर जाये। बल्लू अनपढ़ गंवार रिहीस, फेर सरीर ले बढ़ तगड़ा। दूसर कोती...

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गदहा के सियानी गोठ

पहिली मेंहा बता दौ घोड़ा अउ गदहा म का फरक हे, घोड़ा ह बड़ होशियार, सयाना अऊ मालिक के जी हजूरी करईया सुखियार जीव ये। आँखी कान म टोपा बांध के पल्ला दऊड़ई ओकर काम ये, भले मुड़भसरा गिर जही, मुड़ी कान फूट जही,...

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मोर इस्कूल के गनेस

बच्छर बीत गे,फेर जब गनेस परब आथे तब पढ़ई के बेरा इस्कूल म बइठे गनेस के सुरता आ जाथे। दस दिन ले पढ़ई के संगेसंग भक्ति अऊ नाना परकार के आयोजन अंतस म समा के खुसी देथे।खपरा छानी वाला माटी के सरकारी मिडील...

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बिधना के लिखना

घिरघिटाय हे बादर, लहुंकत हे अऊ गरजत हे। इसने समे किसन भगवान, जेल मा जन्मत हे।। करा पानी झर झर झर झर इन्दर राजा बरसात हे। आपन किसन ला ओकर हलधर मेर अमरात हे।। चरिहा मा धर, मुड़ मा बोह,किसन ला ले जात हे।...

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मैं वीर जंगल के : आल्हा छंद

झरथे झरना झरझर झरझर,पुरवाही मा नाचे पात। ऊँच ऊँच बड़ पेड़ खड़े हे,कटथे जिंहा मोर दिन रात। पाना डारा काँदा कूसा, हरे हमर मेवा मिष्ठान। जंगल झाड़ी ठियाँ ठिकाना,लगथे मोला सरग समान। कोसा लासा मधुरस चाही,नइ...

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तीजा-पोरा के तिहार

छत्तीसगढ़ में बहुत अकन तिहार मनाये जाथे अऊ लगभग सब तिहार ह खेती किसानी से जुडे रहिथे। काबर के छत्तीसगढ़ में खेती किसानी जादा करथे। वइसने किसम से एक तिहार आथे पोरा अऊ तीजा के। पोरा तिहार ल भादो महिना के...

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अब का पोरा-जाँता जी ?

अब का पोरा जाँता जी? ठाढे़ अँकाल के मारे, होगेव चउदा बाँटा जी | अब का पोरा जाँता जी। सपना ल दर-दर जाँता म, कब तक मन ल बाँधव ? चांउर-दार पिसान नइहे, का कलेवा राँधव ? भभकत मँहगाई म, अलथी कलथी भुंजात हौ |...

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झगरा फेंकी डबरा

रोजेच के वोइच , हावय कांव कांव जाओं ता छाँड़ के, घर ला काहाँ जाँव सास बोहो के झगरा, दई ददा के झगरा, भई भई के झगरा, भई बहिनी के झगरा दई बेटी के झगरा ददा बेटा के झगरा दई बेटा के झगरा ददा बेटी के झगरा कका...

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नउकरी लीलत हमर तीजतिहार

असाढ़ के लगते ले हमर तीज तिहार सुरु हो जाथे।अइसे तो छत्तीसगढ़ मा बारो महिना तिहार मनातन। चइत के पहिली दिन ले सुरु होय तिहार मा नानम परकार के स्थानीय, परंपरागत अउ रास्टीय तिहार ल बिन भेदभाव के मनाथन।...

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