नवरात के परब ह छत्तीसगढ़ बर गजबेच महत्तम रखथे। सक्ति रुप दुर्गा के जोत रुप,जंवारा रुप, सत बहिनी रुप , सीतला रुप म पूजा होथय। भक्ति म लपटा के सक्ति के पूजा के संगम हमर छत्तीसगढ़ म देखेबर मिलथे। हमर राज्य पुरातन म भगवान राम के महतारी के मइके इहें रहिसे।ओखर सेती भक्ति छत्तीसगढ़ म जादा हावय। रामचरित मानस म दू नारी के जादा महिमा बताय हे एक माता पारबती अऊ दूसर सीता। माता पारबती ह सिव भगवान ल राम कथा सुनाय बर कहीस। माता पारबती ल सक्ति कहे गेय हे अइसने माता सीता ल भक्ति कहे गेय हावय। भक्ति के नौ रुप बताय हावय वइसने सक्ति के नौ रुप बताय गे हे। *रामचरित मानस* म बाबा तुलसीदास ह लिखे हावय ,भगवान राम सबरी ल *नवधा भक्ति* बताथे जेमा पहली भक्ति संत के संगति, दूसर भक्ति भगवान के कथा सुनना, तीसर भक्ति गुरु के सेवा करव, चऊथा भगवान के भजन करव, पांचवा बिस्वास के संग गुरु के बताय मंतर जाप, छेटवा अड़बड़ अकन काम बुताल छोड़ बैइराग लेना, सातवां भक्ति संसार भर के सब जीव ल समभाव ले देखना ,सबो में भगवान देखना, आठवां भक्ति संतोसी होना अऊ दूसर के चारी चुगली नई करना। नऊवा भक्ति सब झन ले बिन कपट के मया दुलार करना। सक्ति के नौ रुप सैलपुतरी, ब्रम्हचारनी, चन्द्रघंटा, कुस्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरातरी, महागौरी अऊ सिद्धिदातरी। चैइत नवरात म भक्ति के महत्तम इही म दिखथे कि जिहां जिहां जोत जवांरा बईठाय हे ऊहां नौ दिन ले जसगीत, सेवागीत, मानसपाठ, मानस कथा, भागवत पुरान , देवी भागवत नानम परकार के आयोजन होथय। बिद्वान मन कथा म बताथे भगवान राम ह रावन संग जुद्ध करत अपन बान मन ल रनदेवी ल रोकत देखीस तब ओला बड़ दुख लागिस , रावन घलाव सिवसक्ति के पूजाकरइया राहय। पाछू राम घलाव सक्ति के पूजा करीस अऊ रावन ले जीतीस। आज हमन भी काम, क्रोध, लोभ, मोह के रावन ल मारना हे त सक्ति के उपास पूजा रखके भक्ति के सहारा लेयबर परही।
हीरलाल गुरुजी” समय”
छुरा, जिला- गरियाबंद
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