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Channel: gurtur goth
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बसे हो माया मोरो नैन

बसे हो माया मोरो नै न मोरो नैन दाई फुलवा बसे। बसे हो माया मोरो नैन मोरो नैन दाई फुलवा बसे हो माँ। मन मंदिर में तोला बसा के करत रहिथंव पूजा मां। करत रहिथवं पूजा। तोरेच बेटा आंवंव दाई झन करबे तंय दूजा।...

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किरीट सवैया : नाँग नाथे मोहना

खेलन गेंद गये जमुना तट मोहन बाल सखा सँग नाचय। देवव दाम लला मन मोहन देख सखा सबके सब हाँसय। आवय ना मनखे जमुना तट कोइ नहावय ना कुछु काँचय। हावय नाँग जिहाँ करिया जिवरा कखरो नइ चाबय बाँचय। देख तभो जमुना तट...

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जमुना के तीर तीर हो

जमुना के तीर तीर हो कान्हा गैया चरावे जमुना के तीर तीर हो। कोन बन कान्हा गैया चरावे कहां पियावे पानी। कहां पियावे पानी हो मइया कहां पियावे पानी। कोन बन कान्हा गेंद खेले जमुना के तीर तीर हो। कान्हा गइया...

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बोधन राम निषाद राज के ददरिया

आँखी म झुले ओ,तोर मोहनी सुरतिया, आँखी म झुले….. आँखी म झुले गा,तोर झुल झुल के रेंगना, आँखी म झुले…. उगती ले सुरुज उगे,बुड़ती म डेरा। तोर मोर भेंट होगे,संझा के बेरा।। आँखी म झुले….. आँखी म झुले ओ,तोर...

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जागव जी : अपन बुध लगावौ जी

अपन बुध लगावौ जी परबुधिया झन बनौ, अपन बुध लगावौ जी ! मुसुवा नो हौ.गउहा डोमी, अब तो फन उठावौ जी!! सिधवा हन पर भोकवा नही, सब ल बतादौ ! परदेशिया के जुलूम ल, अब ठेंगवा देखादौ !! नेता मंत्री बने बइठे, हावै...

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सक्ति अऊ भक्ति के संगम नवरात परब

नवरात के परब ह छत्तीसगढ़ बर गजबेच महत्तम रखथे। सक्ति रुप दुर्गा के जोत रुप,जंवारा रुप, सत बहिनी रुप , सीतला रुप म पूजा होथय। भक्ति म लपटा के सक्ति के पूजा के संगम हमर छत्तीसगढ़ म देखेबर मिलथे। हमर राज्य...

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भक्ति के जोत जलाले

भक्ति के जोत जलाले संगी , इही ह काम तोर आही । ए जिनगी के काहे ठिकाना, माटी म मिल जाही । चार दिन के चटक चंदैनी , फेर अंधियारी राते । करम धरम तै कर ले संगी , सुख से जिनगी बिताले । तर जाही तोर पापी चोला,...

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तोर बघवा ल तो ढिल दे दाई

तोर बघवा ल तो ढिल दे दाई, कोलिहा मन हा आवत हे। हमरे दाना पानी खाके, हमी ल गुर्रावत हे..।। जेन ल घर मा सरन देन, हमी ल आँखी देखाथे। बैरी के गुनगान करके, भुईंयां ल गारी सुनाथे जघा जघा आतंक के रुख ल लगावत...

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सुरता आथे रहि-रहिके

सुरता आथे रहि-रहिके ननपन जिनगानी के, सुरता आथे ना दाई के रांधे सिल-बट्टा के, कुंदरू-करेला चानी के, सुरता आथे ना कहॉं गंवागे वो बेरा ह कका के गोठ, ददा के बानी के, सुरता आथे ना काकी लिपे गोबर पानी, गोकुल...

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गांव के सीतला

मोर गांव के सीतला दाई तोर गुन ल गावयं वो तरिया पार म तैंय बिराजे बईगा तोला मनावयं वो अंगना म तोर लाली ध्वजा लहर लहर लहरावयं वो हरियर हरियर बोवाय जंवारा शोभा बरनि न जावय वो श्राद्धा अउ बिस्वास के पुजा...

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एक एक पेड़ लगाओ

रूख राई ल झन काटो , जिनगी के अधार हरे । एकर बिना जीव जन्तु , अऊ पुरखा हमर नइ तरे । इही पेड़ ह फल देथे , जेला सब झन खाथन । मिलथे बिटामिन शरीर ल , जिनगी के मजा पाथन । सुक्खा लकड़ी बीने बर , जंगल झाड़ी...

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कन्या पूजन

नौ दिन ले देबी पुजे, जांहू पितर के लोक मा। बेटा के लालच म अंधरा होके, बेटी ल,काबर मारे कोंख मा।। नइ फूले हे फूल तेन ल, कोंखे म ,काबर बोजत हस। पूजा करे बर कन्या मनके, गली गली मा खोजत हस।। भ्रुन हतियारा...

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जंवारा बोए ले अन-धन बाढ़थे : सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! जंवारा बोए ले अन-धन बाढ़थे रे। नौ दिन माता के सेवा करे ले हमर घर मा, हमर देस मा समृद्धि आथे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले...

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देवी सेवा गीत

झूला झुले निमुवा के डार, भवानी मइया मोर अँगना। छागे ख़ुशी के इंहा बहार, खनकन लगे मोर कंगना।। गोबर मगायेंव खुंट अँगना लिपायेंव। रिगबिग चुकचुक ले चउंके पुरायेंव।। चन्दन पिढ़ा फुलवा के हार, भवानी मइया मोर...

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महामाया के नगरी रतनपुर : सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! महामाया के नगरी रतनपुर के अद्भुत महत्तम हे रे। फेर हमन उखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। हमर देस में देवी के अड़बड़ अकन मंदिर...

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तोर सरन म आएन, माँ असीस देबे वो

असीस देबे वो असीस देबे वो तोर सरन म आएन, माँ असीस देबे वो तहीं भवानी, तहीँ सारदा, तहीं हवस जगदम्बा तोर परतापे टोरिन बेन्दरा भालू मन गढ़लंका माँ असीस देबे वो कलकत्ता म काली कहाए, मुम्बर्ड म मुम्बर्ड...

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आज के रावन

पिये के एके बहाना टेंसन होगे। दारू अउ बियर ह फेसन होगे।। रावन जइसे पंडित ज्ञानी, अड़बड़ पैग लगावत हे। घर मा जाके मंदोदरी बिचारी ल, डंडा खूब ठठावत हे।। एक रुपया के चाउंर ह पेंशन होगे.. पिये के… नशा होइस त...

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असल रावन कोन

दशरहा मा रावन के पुलता ला जलाय के परंपरा हावय। ए हा बुराई मा अच्छाई के जीत के चिन्हारी हरय। समय के संग मा रावन के रंग-ढ़ंग हा घलाव बदलत जावत हे। हजारों ले लेके लाखों रुपिया के रावन ला सिरिफ परंपरा के...

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तन के साधु, मन के शैतान

ये दे नवरातरी हा आगे,मनखे मन के तन मा नौ दिन बर भक्ति के शक्ति समागे। बिन चप्पल के उखरा, दाढ़ी मेछा के बाढ़, मंद-मउँहा के तियाग, माथा ले नाक बंदन मा बुँकाय सिरिफ नौ दिन नारी के मान-गउन, कन्या के...

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व्‍यंग्‍य : कब मरही रावन ?

गांव म हरेक पइत, दसरहा बखत, नाटक लील्ला खेलथे। ये दारी के लील्ला, इसकूल के लइका मन करही। लइका मन अपन गुरूजी ला पूछीन – काये लील्ला खेलबो गुरूजी ? गुरूजी बतइस – राम – रावन जुद्ध खेलबो बेटा। मेंहा रात भर...

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