होगे घर के साफ सफाई,
तोरे अगोरा हे लछमी दाई।
घर अँगना जम्मों लिपागे,
नवा अंगरक्खा घलो सिलागे।
लेवागे फटक्का अउ मिठाई।
तोरे अगोरा हे लछमी दाई।1
अंधियारी मा होवय अंजोर,
दिया बारँव मैंहा ओरी ओर।
हूम धूप अउ आरती गा के,
पँईया परत हँव मैंहा तोर।
बाँटव बताशा खुरहोरी लाई,
तोरे अगोरा हे लछमी दाई।2
तोर बिना जग अंधियार,
संग तैं ता रतिहा उजियार।
तोर किरपा हा होथे जब,
अन धन के बाढ़य भंडार।
सरी सुख के तैं सदा सहाई,
तोरे अगोरा हे लछमी दाई।3
कलजुग के तहीं महरानी,
तोर आगू भरैं सब पानी।
माया मा तोर जग भरमाय,
अप्पढ़ मूरख गुरु गियानी,
बिनती मोर तैं कर दे भलाई।
तोरे अगोरा हे लछमी दाई।4
कन्हैया साहू ‘अमित’
(अमित सिंगारपुरिया)
शिक्षक-भाटापारा (छग)
संपर्क-9200252055
The post तोरे अगोरा हे लछमी दाई appeared first on गुरतुर गोठ Chhattisgarhi.