चल संगी देवारी में, जुर मिल दीया जलाबो ।
अंधियारी ल दूर भगाके, जीवन में अंजोर लाबो।
कतको भटकत अंधियार में, वोला रसता देखाबो
भूखन पियासे हाबे वोला, रोटी हम खवाबो ।
मत राहे कोनो अढ़हा, सबला हम पढ़ाबों ।
चल संगी देवारी में, जुर मिल दीया जलाबो।
छोड़ो रंग बिरंगी झालर, माटी के दीया जलाबो।
भूख मरे मत कोनो भाई, सबला रोजगार देवाबो।
लड़ई झगरा छोड़के संगी, मिलबांट के खाबो।
चल संगी देवारी में,जुर मिल दीया जलाबो।।
घर दुवार ल लीप पोत के, गली खोर ल बहारबो।
नइ होवन देन बीमारी,साफ सुथरा राखबो ।
जीवन हे अनमोल संगी, एला सबला बताबो ।
चल संगी देवारी में, जुर मिल दीया जलाबो।।
पियासे ल हम पानी देबोन, भूखे ल खवाबो ।
जाड़ में कांपत लोगन ल,कंबल हम ओढ़ाबो ।
भेद भाव ल छोड़के,हाथ में हाथ मिलाबो ।
चल संगी देवारी में, जुर मिल दीया जलाबो।।
महेन्द्र देवांगन “माटी”
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला – कबीरधाम ( छ ग )
8602407353
Email – mahendradewanganmati@gmail.com
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