दुख के बादर ह भाग गे ,खेत के धान ह पाक गे
देख किस्मत ह जाग गे ,जतनाए रखवारी राख के!
भागिस कुंवार कातिक आगे हमागे जड़काला
हरियर लुगरा पिंवर होगे,सोनहा सोनहा माला
बने फूलिस बने फरिस बोये बिजहा मांग के
दुख के बादर……..,
जोरा करले तै पानी पसिया के जोर ले संगी साथी
करमा ददरिया झड़त झड़त ,टेंवाले हंसिया दांती
बिताए दिन चौमासा लई मुर्रा ल फांक के,
दुख के बादर………,
चरर चरर हंसिया चले ओरी ओरी करपा
भरर भईया कोकड़ा भागे मुसवा जोरफा जोरफा
बिला म कंसी गोंजाये मुसवा डोहारे चाब के
दुख के बादर………,
तोर पछिना धरती म गिरके बनगे भईया अमरीत
जिंहा जिंहा तोर पांव धराये ,माटी होगे पबरीत
ए भूंईया के तिही गिरोंडी मुड़ी म शेषनाग के
दुख के बादर ……..!!!
ललित नागेश
बहेराभांठा (छुरा)
lalitnagesh83 @ gmail.com
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