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पारंपरिक गीत देवारी आगे

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देवारी आगे रे भइया, देवारी आगे ना।।
घर घर दिया बरय मोर संगी,
आंधियारी भगागे ना।
देवारी आगे रे भइया —–।।
कातिक अमावस के दिन भइया,
देवारी ल मनाथे ।
सुमता के संदेश ले के, बारा महीना मा आथे।।
गाँव शहर के गली खोर ह, जगमगागे न ।।
देवारी आगे रे भइया —–।।
घर दुवार ला लीप पोत के, आनी बानी के सजाथे
गौरी गौरा के बिहाव करथें, सुवा ददरिया गाथे
फुटथे फटाका दम दमादम, खुशी समागे ना।।
देवारी आगे रे भइया —–।।
ये धरती के कोरा मा, अन्नपूरना लहलहाथे।
लक्ष्मी दाई के पूजा करथे, मन में मनौती मनाथे।
आशीस दे तै हमला दाई, भाग जगा देना।।
देवारी आगे रे भइया —–।।

मालिक राम ध्रुव
पंडरिया
जिला – कबीरधाम



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