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दुकाल अऊ दुकाल

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कभू पनिया दुकाल कभू सुक्खा दुकाल।
परगे दुकाल ये दे साल के साल।

सावन बुलकगे बिगन गिरे पानी के।
मूड धर रोवय किसान का होही किसानी के।
दर्रा हने खेत देख जिवरा होगे बेहाल।

परगे दुकाल ये दे साल के साल।
खुर्रा बोनी करेंव नई जामिस धान हा।
थरहा डारे रहेंव, भूंज देइस घाम हा।
पिछुवागे खेती के काम बतावंव का हाल।
परगे दुकाल ये दे साल के साल।

करजा करके धान लानेवं अब थरहा कहाँ पाहूं।
कतका अकन धान होही, कईसे करजा चुकाहूं।
घर के ना घाट के असन होगे मोर हाल।
परगे दुकाल ये दे साल के साल।

बनी भूती चलत नईये घर कइसे चलाहूं।
चाऊंर भर हावय घर मा, नून तेल कामा लाहूं।
गरीब के मरना होगे, साहूकार मालामाल।
परगे दुकाल ये दे साल के साल।

दाई के लुगरा चिरा गेहे, ददा के धोती।
लईका मन चिहुर पारत हे,मांगथे रोटी।
कइसे पहाही भइया हो, एसो के साल।
परगे दुकाल ये दे साल के साल।

बेटी सगियान हो गे हे बिहाव कइसे होही।
दाईज डोर कहां ले पाहूं, समधी पदोही।
मर जहूं का महूं हा दुकाल बन जही काल।
परगे दुकाल ये दे साल के साल
कभू पनिया दुकाल कभू सुक्खा दुकाल।
परगे दुकाल ये दे साल के साल।

केंवरा यदु ‘मीरा’
राजिम

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