सुआ नाचेल जाबो
सुआ नाचेल जाबो संगी चलो सुआ नाचेल जाबो तरी हरी मोर सुअना नहा नरी नहा न गाबो संगी संगवारी जुर मिलके माटी के सुआ बनाबो माटी के सुआ शोभा बरनी हरियर रंग म रंगाबो सखी सहेली टोली बनाके चलो सुआ नाचेल जाबो तरी...
View Articleघर के फुलवारी
आनी बानी के फूल सजा के लिखथें मया पिरीत के परचा घर अंगना म फूले फुलवारी आओ कर लेथन एकर चरचा! छत्तीसगढ़ के ये आय चिन्हारी लाली पिंवरी चंदैनी गोंदा सादा सुहागा फूल दसमत ले सुघराये गजब घर घरोंदा! मुच मुच...
View Articleसबले बढ़िया – छत्तीसगढ़िया
नानकुन गांव धौराभाठा के गौंटिया के एके झिन बेटा – रमेसर , पढ़ लिख के साहेब बनगे रहय रइपुर म । जतका सुघ्घर दिखम म , ततकेच सुघ्घर आदत बेवहार म घला रहय ओखर सुआरी मंजू हा । दू झिन बाबू – मोनू अउ चीनू ,...
View Articleव्यंग्य : बछरू के साध अउ गोल्लर के लात
चरवाहा मन के मुखिया ह अतराप भर के चरवाहा मन के अर्जेन्ट मीटिंग लेवत समझावत रहय कि ऊप्पर ले आदेष आय हे, अब कोन्हो भी बछरू ला डराना-धमकाना, छेकना-बरजना नइ हे बस अतके भर देखना हे, ओमन रोज बरदी म आथे कि...
View Articleछत्तीसगढ़ महिमा
जनम लेवइय्या ये भुंइया म,सिरतो कथंव भागमानी ए। धुर्रा माथ लगावव संगी!ये माटी बलिदानी ए। जनम धरिन कौसिला दाई रामलला के महतारी। बालमिक रमायन रचिस महिमा ह जेकर बड भारी। राजा दसरथ रेंगत आइस,इंहे सिंगी रिषी...
View Articleव्यंग्य : सरकारी तिहार
भारत देस तिहार अउ परब के देस हरे।अउ हमर छत्तीसगढ़ म तो बरमस्सी परब रथे।आनी-बानी के तिहार मनाथन हमन इंहा।पहिली सिरिफ पुरखा के बनाय तिहार मानत रेहेन फेर धीरलगहा संडे तिहार,चांउर तिहार,रुख-राई...
View Articleछत्तीसगढ़ी कविता : सीडी महिमा
गजब जिनिस ए सीडी संगी समाये इही म जम्मो संसार काकरो बर ये धन दोगानी काकरो बर ये हरे तलवार! देश बिदेश के परब संस्कीरति देखाय बताय सब ल उघार मनरंजन बर घर घर आए धरके बिडियो सनीमा अवतार! छोटे बड़े सब आपिस...
View Articleछत्तीसगढ़ी गज़ल
परकीति बर झिल्ली बिन ईलाज के अजार होगे जगा जगा पहाड़ कस कचरा के भरमार होगे! सरय नही गलय नही साग भाजी कस पचय नही खा के मरत गाय गरूवा एक नही हजार होगे! जोंक कस चपके एकर मोह मनखे के मन म घेरी बेरी बंद...
View Articleदूध के करजा चुकाले रे
छत्तीसगढ़ के धुर्रा माटी, माथ म तैंहा लगा ले रे। थाम के तिरंगा हाथ मा, वन्दे-मातरम् गा ले रे ।। बइरी दुस्सासन, ताकत हे आज, भारत माँ के अँँचरा ल। डंडा मार के दूर भगाबे, आतंकवाद के कचरा ल।। जा बेटा आज,...
View Articleपुन्नी मेला घुम आतेन
कातिक पुन्नी के मेला भराय चल न मयारु घुमेल जातेन भोले बाबा बर असनान करबो फुलपान केला जल चढ़ातेन लगे रथयं अब्बड़ रेला दरस करके घलो आतेन फोड़तेन नरियर अउ भेला मनके मनौती मांग लेतेन खांसर बईला म बईठके...
View Articleदेवता मन के देवारी : कारतिक पुन्नी 04 नवंबर
हमर हिन्दू धरम मा देवी-देवता के इस्थान हा सबले ऊँच हावय। देवी-देवता मन बर हमर आस्था अउ बिसवास के नाँव हरय ए तीज-तिहार, परब अउ उत्सव हा। अइसने एक ठन परब कारतिक पुन्नी हा हरय जेमा अपन देवी-देवता मन के...
View Articleधान –पान
हरियर हरियर खेतहार हे , धान ह लहलहावत हे । सुघ्घर बाली निकले हाबे, सब झन माथ नवावत हे । सोना जइसे सुघ्घर बाली , हवा में लहरावत हे । अपन मेहनत देखके सब झन , मने मन मुसकावत हे । मेहनत के फल मीठा होथे ,...
View Articleकहानी : मंतर
अहिल्या हॅं दुये चार कौंरा भात ल खाये रिहिस होही। ओतकेच बेरा परमिला झरफिर झरफिर करत आइस । ओरवाती के खालहे म बैठ गे। अहिल्या देखते साथ समझ गे। परमिला हॅ आज फेर अपन बेटा -बहू संग दू -चार बात कहा -सुनी...
View Articleकविता : बेरा हे गीत गाय के
शीत बरसावत आवय जड़काला सोनहा बाली म मोती कस माला पिंवर होगे पहिरे हरियर ओनहा जइसे दुलहिन बिहाव के ओढ़े दुशाला! खेत ह लागे भांय भांय सांय सांय घर जइसे बेटी के छोड़त अंगना उछाह उछलय कोठी कोठार म जस कुलकत...
View Articleजाड़ हा जनावत हे
बिहनिया ले डोकरा बबा कुडकुडावत हे चिरइ चिरगुन पंख फड़फडावत हे बडे बिहनिया झन उठीहा संगी अब के जाड़ हा जनावत हे दाई हा पनपुरवा बनावत हे ददा मंद मंद मुचमुचावत हे एति तेति झन गिंजरिहा संगी अब के जाड़ हा...
View Articleछत्तीसगढ़ी गीत ‘हाथी हाथी’
अभी हमर कोति जंगलिया हाथी बनेच दंदोरे हे, धान चंउर ल बनेच रउंद दारे हे, उही दुख ल गाय हंव। सरकार ह सीखे पढ़े (परसिक्छत) हाथी ल दक्छिन भारत ले लाने बर लाखों खरचा करत हन कहिथे, फेर का काम के? ‘पहुना...
View Articleलुए टोरे के दिन आगे
पियंर पियंर डोली खार धान बाली लहलहावत हे लुए टोरे के दिन आगे मांथ ल नवावत हे रापा धरके कांदी छोले बियारा ल चतरावत हे जुड़ा ड़ाढ़ी सुमेला बंडी बईलागाड़ी ल सम्हारावत हे पेरा पुरा के पैरा डोरी बर बरके...
View Articleमन के बिचार
‘स्वच्छ भारत मिशन’ के मनमाने सफलता ल देख के मोर मन म एक ठिन सपना आत हे ,हमर सरकार ल अवईया नवा बछर ले ‘मंद छोड़ो अभियान’ शुरू कर देना चाही।उदघाटन घलो उंकरे ले होय त अउ बढ़िया। कम से कम यहू तो पता चलही...
View Articleबड़का तिहार
परिया परगे धनहा भुईयां, दुख के बादर नई भागय रे भैय्या I काय तिहार अऊ काला जोहर, पेरावत हाबन सालों साल I ऐसो के किसानी जीव के काल, परगे संगी जब्बर अकाल I नांगर ओलहा के टूटगे फेर, काय तिहार अऊ काला जोहर...
View Articleतोला लाज कइसे नइ लागे ?
धनी घर के ऐ चातर करइया, खेत बेंचके ऐ नौकर बनइया तोर किसानी गंवावथे रे ! तोला लाज कइसे नइ लागे ? सरकारी चांऊर म मेछरावथस, चेपटी पी के पटियावथस तोर जुवानी घुनावथे रे ! तोला लाज कइसे नइ लागे ? करिया पूंजी...
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