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हमर छत्तीसगढ़

सुआ दरिया तोता मैना हमर छत्तीसगढ़ के पहचान आय मीठ बोली कोयली के तरिया नरवा हमर मान जंगल पसु पक्छी हमर मितान सुग्घर बोली हमर छत्तीसगढ़ी भाखा मया के रस घोलत हे संगी संगवारी के इंहा हे चिन्हारी गाँव म जिनगी...

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सेल्फी ले ले

नवा चलागन चले है संगी, जेकर चरित्तर काला बतांव, कोनो बेरा अउ कोनो जघा मैं सेल्फी ले बर नइ भुलांव। छानी में बइठे करीया कउवा के संग में, कचरा फेके के झऊहा के संग में, दारू भट्ठी में पउवा के संग में, चाहे...

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मोर गाँव के सुरता आथे

कांसा के थारी असन तरिया डबरी, सुघ्घर रूख राई, पीपर,बर अऊ बंभरी I खेत खार हरियर हरियर लहलहाय, मेड़ में बईठ कमिया ददरिया गाय I बारी बखरी में नार ह घपटे, कुंदरू,करेला,तरोई झाके सपटके I चारों मुड़ा हे मंदिर...

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तीजा लेवाय बर आही

एसो आषाढ़ के पहिली तीजा लेवाय बर तोर भाई आही दाई के मया ददा के दया सुरता के सुध लमाही मोटर फटफटी म चघाके तोर लेनहार तोला लेजाही जोर के जोरन कपड़ा लत्ता मोटरा खसखस ले भराही तीजा मानके तुरते आबे घर दुवार...

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दाई के पीरा

बड़े बिहनिया सुत उठ के, लीपय अँगना दाई । खोर गली ला बाहरत हावय , ओकर हे करलाई । आये हावय बहू दू झन , काम बूता नइ करय । चाहा ला बनावय नहीं, पानी तक नइ भरय । आठ बजे तक सुत के उठथे, मेकअप रहिथे भारी । काम...

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छत्तीसगढ़ी गज़ल

सब्बो मतलबी यार होगे। तब्भे तो बंठा – धार होगे। मनखे मन मनखे ला मारिस इज्जत हर तार-तार होगे। धर लिन रद्दा बेटा मन सब परिया खेती – खार होगे। सावन, भादो, कुँवार निकले बादर हर अब बीमार होगे। कुतर-कुतर के...

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नान्हें कहिनी : तीजा के लुगरा

सुकलू के एकेच झन बहिनी रहिस सुखिया।तीजा-पोरा आवय त रद्दा जोहत राहय कि मोर भइया ह मोला लेगे बर कब आही,फेर सुखिया के भउजी ह सुकलू ल पोरा के बाद भेजय सुखिया ल लाय बर।भउजी ह थोकिन कपटीन रहिस हे,सुखिया ल...

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हमर छत्तीसगढ़ राज म आनी-बानी के तिहार हे

हमर छत्तीसगढ़ राज म आनी-बानी के तिहार हे, जेखर से हमर देस राज के पहिचान हे। इहां हरेली के हरियर लुगरा छत्तीसगढ़ महतारी के सान हे, भोजली अवईया बने फसल के चिन्हारी हे, खमरछट म दाई के अपन लईका के परती ममता,...

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तोर बोली कोयली जइसन हे

तोर बोली कोयली जइसन हे। रेंगना डिट्टो मोना जइसन हे। का बताँव मोर मयारू, तोर आँखी मिरगीन जइसन हे। बेनी गथाय करिया करिया, दिखत घटा बादर जइसन हे। तोर गाल हा मोर जोहि, सिरतो गुलगुल भजिया जइसन हे। तोर ओंठ...

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छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल

आस लगा के बइठे हावस, हमरों कौनो पूछइया हे, जेन बेटा ला पाले-पोसे, परान उही लेवइया हे। खोर्रो मा सुतेस तैं अउ जठना जेकर जठायेस तैं हर, आज उसी हर सबले बड़का, तपनी कस तपइया हे। जेन खूँटा ला धरे हावस, उही...

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नवा तिहार के खोज

तिहार के नाँव सुनते भार रोटी पीठा,लिपई पोतई, साफ सफई के सुरता आ जाथे।छत्तीसगढ़ गढ़ मा सबो किसम के तिहार ला मनाय जाथे।छत्तीसगढ़ के तिहार हा देबी देंवता , पुरखा, खेती किसानी ले जुड़े परंपरा के सेती मनाय...

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गणेश चतुर्थी पर कविता

जय जय हो गजानन तोर जय हो,प्रभु दुनिया ला देखे अपन आए कर कभु। तोर अगोरा पुरा साल भर तो करथन, संग हमर हमेशा रईह जुगाड़ कर प्रभु।। बस भादो के का दस दिन हे, तोर इँहा आए के निश्चित बेरा। कतको रोज पूजे तोला...

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दुखिया मन के दुःख हरैया

दुखिया मन के दुःख हरैया, मंगल करैया जय हो तोर श्री गणेशा जेन आथे तोर दुवरिया, मन के मुराद हो जाथे पूरा नैइ जानो मय पूजा -पाठ, नैइ जानो मय लन लबारी बिनती हावे मोर गणेशा, दुःख हरलो मोर आज सजे हे तोर...

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मुसुवा के पीरा

मुसुवा कहय अपन प्रिय स्वामी गनेश ले। कब मिलही मुक्ति प्रभू कलजुग के कलेश ले। बारा हाल होही अब गियारा दिन के तिहार मा। बइठाही घुरुवा कचरा नाली के तीरतार मा। बिकट बस्साही छपके रबो मुँह नाक ला। माटी...

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अक्षर दीया जलाबोन

अक्षर दीया जलाबोन संगी, निरक्षरता के अंधियार मिटाबोन । ज्ञान के मशाल ल धरके , गाँव गली तक जाबोन । सबझन पढ़बोन अउ पढ़ाबोन , सब कोई होही साक्षर । नइ राहे तब ये जग मा , भंइस बराबर काला अक्षर । नोनी पढ़ही...

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गज़ल : किस्सा सुनाँव कइसे ?

ये पिरीत के किस्सा सुनाँव कइसे ? घाव बदन भर के ला लुकाँव कइसे ? देंवता कस जानेंव ओकर मया ला मँय हर , अब श्रद्धा म माथ ला झुकाँव कइसे ? पाँव धँसगे भुइँया म देखते देखत , बिन सहारा ऊपर ओला उचाँव कइसे ?...

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गाँव रहिस सुग्घर, अब शहर होगे

बोली अउ भाखा हर जहर होगे, गाँव रहिस सुग्घर, अब शहर होगे। दिनो -दिन बाढ़त हे मंहगाई हर, मुश्किल अब्बड़ गुजर-बसर होगे। बैरी बनगे भाई के अब भाई हर, लागत हे, चुनई के गजब असर होगे। बलदाऊ राम साहू The post...

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हमर शिक्षा व्‍यवस्‍था

पढ़हईया लईका मन ला हमर देश के सिरिजन करईया कहे जाथे। फेर आज के दिन मा ऊखर जिनगी के संग खिलवाड़ होवत हवै। ओ लईका मन ल बिन जबरन के कल्लई करात हवै। आजे काली बिहिनिया कुन पेपर म पढ़ेबर मिलिस कि एक झन लईका...

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नंदागे

नंदागे आते सुघ्घर गांव नंदागे बर पिपर के छाव नंदागे माया पिरित ला सब भूला के सुनता के मोर गांव नंदागे भउरा बाटी गुल्ली डंडा घर घुधिया के खेल नंदागे किसानी के दवरी नंदागे अउ नंदागे कलारी जान लेवा...

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डेंगू के कारण कोन

एक दिन बस्ती के मच्छर एकजघा जुरियाँइन। भनन-भनन बड़ करीन ,बिक्कट गोठियाँइन। कहत हें:- मनखे मन बड़ हुशियारी झाड़थें। गलती अपन करँय अउ बिल हमर नाँव मा फाड़थें। करके ढेराढारी, कचरा फेकथें ऐती तेती।। रंग-रंग के...

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