देव म महादेव भकूर्रा महादेव
हमर छत्तीसगढ़ राज म सिव परम्परा हर अब्बड़ पुराना हवय।इंहा के कलचुरी राजा मन हर बड़का -बड़का सिव मंदिर के निरमान ल करवाइन, त ले जेमा कछु सिव मंदिर हर स्वयंभू हरे। जेमा सबले अदभुत अउ पुराना स्वयंभू...
View Articleछत्तीसगढी़ कहानी संग्रह : शहीद के गाँव
परंपरा की खुशबू है इन कहानियों में छत्तीसगढी-साहित्य में निरंतर अनुसंधान तथा अन्य विधाओं में सक्रिय लेखनरत डॉ.जयभारती चंद्राकर का यह प्रथम छत्तीसगढी़ कहानी संग्रह है। ‘शहीद के गाँव’ शीर्षक से संकलित इन...
View Articleदुसरो के बाढ़ ला देखना चाही : सियान मन के सीख
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे।संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! परेवा कस केवल अपनेच बाढ़ ला नई देखना चाही रे दुसरो के बाढ़ ला देख के खुश होना चाही। फेर हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन।...
View Articleसार छंद
हरियर लुगरा पहिर ओढ़ के, आये हवै हरेली। खुशी छाय हे सबो मुड़ा मा, बढ़े मया बरपेली। रिचरिच रिचरिच बाजे गेंड़ी, फुगड़ी खो खो माते। खुडुवा खेले फेंके नरियर, होय मया के बाते। भिरभिर भिरभिर भागत हावय, बैंहा जोर...
View Articleसोमदत्त यादव के कविता
गांव-गांव म जनमानस के आँखी खोलईया आँधी के जरुरत हे, आज फेर मोर देश ल महात्मा गाँधी के जरुरत हे । कोन कइथे,आज हम आजाद हन ? हम तो भीतर-बाहिर सफा कोती बर्बाद हन आज फिर से हमला आजादी के जरुरत हे ,, आज फेर...
View Articleग़ज़ल
झपले तैं आ जा मोर कना, अंतस ला समझा मोर कना. सबके जिनगी मा सुख-दुख हे, पीरा ला भुलिया मोर कना. जिनगी भर जऊन रोवत हें, उनला झन रोवा मोर कना. बात बिगड़ जथे, बात बात मा बात बने फरिहा मोर कना. पीथे...
View Articleछत्तीसगढ़िया जागव जी
छत्तीसगढ़िया बघवा मन काबर सियान होगेव, नवा नवा गीदड़ मन ल देखव जवान होगे। भुकर भुकर के खात किंजरत, बाहिरी हरहा मन आके ईहाँ पहलवान होगे। सेठ साहूकार मन फुन्नागे, अजगर कस ठेकेदार मोटागे। अंगरा आगी में...
View Articleरुद्री के रुद्रेश्वरधाम
धमतरी जिला ले ६किलोमीटर गंगरेल रोड रक्छेल दिसा रोडेच तिर म लगे रुद्री गांव हे रुद्री बस्ती म गांव वाले अउ सरकारी कालोनी म सरकारी करमचारी अधिकारी लोगन मन निवासरत हे गांव अउ कालोनी दुनो मिलाके ईहां के...
View Articleराखी के तिहार
सावन के पावन महीना में, आइस राखी तिहार । राखी के बंधन में हावय , भाई बहन के प्यार । सजे हावय दुकान में, आनी बानी के राखी । कोन ला लेवँव कोन ला छोंड़व , नाचत हावय आँखी । छांट छांट के बहिनी मन , राखी ला...
View Articleराखी
छन्न पकैया छन्न पकैया,पक्का हम अपनाबो। नइ लेवन अब चीनी राखी,देशी राखी लाबो।1 छन्न पकैया छन्न पकैया,बहिनी आँसों आबे। हमर देश के रेशम डोरी,सुग्घर तैं पहिराबे।2 छन्न पकैया छन्न पकैया, सावन आय महीना। हमर...
View Articleकमरछठ कहानी : बेटा के वापसी
– वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गांव में एक झन मालगुजार रहय। ओखर जवान बेटा ह अदबकाल में मरगे रहय। मालगुजार ह अपन ओ बेटा ला अपन पूर्वज मन के बनाय तरिया जउन ह गांव के बाहिर खार में रहिस उहींचे ओला माटी दे रिहस।...
View Articleकमरछठ कहानी –सातो बहिनी के दिन
-वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गांव में सात भाई अउ एक बहिनी के कुम्हार परिवार रहय। सबो भाई के दुलौरिन बहिनी के नाम रहय सातो। एक समे के बात आय जब आशाढ़ के महिना ह लगिस। पानी बरसात के दिन षुरू होईस तब कुम्हार भाई मन...
View Articleकमरछठ कहानी –दुखिया के दुःख
-वीरेन्द्र सरल एक गाँव में दुखिया नाव के एक झन माइलोगन रहय। दुखिया बपरी जनम के दुखियारी। गरीबी में जनम धरिस, गरीब के घर बिहाव होइस अउ गरीबीच में एक लांघन एक फरहर करके जिनगी पोहावत रिहिस। उपरहा में...
View Articleकमरछठ कहानी –सोनबरसा बेटा
-वीरेन्द्र सरल एक गांव में एक झन गरीब माइलोगन रहय। भले गरीब रिहिस फेर आल औलाद बर बड़ा धनी रिहिस। उहींच मेरन थोड़किन दूरिहा गांव में एक झन गौटनीन रहय। ओखर आधा उमर सिरागे रहय फेर ओहा निपूत रहय। एक झन संतान...
View Articleकमरछठ कहानी : देरानी-जेठानी
वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गाँव में एक देरानी अउ जेठानी रहय। जेठानी के बिहाव तो बहुत पहिलीच के होगे रहय फेर अभी तक ओखर कोरा सुनना रहय। अड़बड़ देखा-सुना इलाज-पानी करवाय फेर भगवान ओला चिन्हबे नइ करय। मइनखे मन ओला...
View Articleकमरछठ कहानी : मालगुजार के पुण्य
-वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गाँव में एक झन मालगुजार रहय। ओहा गाँव के बाहिर एक ठन तरिया खनवाय रहय फेर वह रे तरिया कतको पानी बरसय फेर ओमे एक बूंद पानी नइ माढ़े। रद्दा रेंगईया मन पियास मरे तब तरिया के बड़े जान पार...
View Articleसंतान के सुख समृद्धि की कामना का पर्व- हलषष्ठी
वीरेन्द्र ‘सरल‘ संसार में हर विवहित महिला के लिए मातृत्व का सुख वह अनमोल दौलत है जिसके लिए वह कुबेर के खजाने को भी लात मारने के लिए सदैव तत्पर रहती है। माँ अर्थात ममता की प्रतिर्मूत, प्रेम का साकार...
View Articleपुस्तक समीक्षा : गाँव के पीरा ‘‘गुड़ी अब सुन्ना होगे‘‘
वीरेन्द्र ‘सरल‘ जिनगी के व्यथा ह मनखे बर कथा होथे। सबरदिन ले कथा-कंथली ह मनखे के जिनगी के हिस्सा आय। मनखे जब बोले-बतियाय ल नइ सिखे रिहिस मतलब जब बोली-भाखा के विकास घला नइ होय रिहिस तभो मनखे अपन जिनगी...
View Articleदोहा गजल (पर्यावरण)
रुख राई झन काटहू, रुख धरती सिंगार। पर हितवा ये दानियाँ, देथें खुशी अपार।~1 हरहिंछा हरियर *अमित*, हिरदे होय हुलास। बिन हरियाली फोकला, धरती बंद बजार।~2 रुखुवा फुरहुर जुड़ हवा, तन मन भरय उजास। फुलुवा फर हर...
View Articleआठे कन्हैया – 36 गढ़ मा सिरि किसन के लोक स्वरूप
– प्रोफेसर अश्विनी केसरबानी छत्तिसगढ़ मा तेरता जुग अऊ द्वापर जुग के किसिम किसिम के बात देखे अऊ सुने बर मिलथे। ये हमर सब्बो छत्तिसगढ़िया मन के सउभाग्य हवे कि अइसे पवित भुइंया म हमर जनम होये हवे अउ इहां...
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