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Channel: gurtur goth
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बियंग: परगति

बात तइहा तइहा के आये। मनखे अऊ कुकुर के बीच ताकतवार होये के परतियोगिता सुरू होइस। एक घांव कुकुर हा मनखे ल चाब दीस। मनखे मर गे। मनखे के मन म, डर हमागे। कुकुर, ताकत के पहिली लड़ई जीत डरिस। कुछेच बछर पाछू,...

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कविता : छत्तीसगढ़ तोर नाव म

भटकत लहकत परदेसिया मन, थिराय हावंय तोर छांव म। मया पिरीत बंधाय हावंय, छत्तीसगढ़ तोर नाव म॥ नजर भर दिखथे, सब्बो डहर, हरियर हरियर, तोर कोरा। जवान अऊ किसान बेटा ला – बढा‌‌य बर, करथस अगोरा॥ ऋंगी, अंगिरा,...

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चउतरा सेठ

संगवारी हो दुनिया म गजब गजब के मनखे रइथे। कोनो बड़ सिधवा होथे त कोनो बड़ टेड़वा। टेड़वा मनखे के मति के कोनो ठिकाना नइ रहय। कभू भी कहूं ल ठग देथे। चउतरा मनखे ह भगवान घलो ल नइ छोड़य। एकबार एक चउतरा सेठ ह...

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घाम जनावत हे

बितगे जाड़ आगे गरमी घाम जनावत हे। तात तात आगी असन हवा बोहावत हे कोयली मइना सुआ परेवा नइ गुनगुनावत हे छानही खपरा भिथिया भूंइया जमो गुंगंवावत हे कुकरी बोकरी गरवा बइला बछरू नरियावत हे बितगे जाड़ आगे गरमी...

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ओहा मनखे नोहय

जेन ह दुख म रोवय नइ मया के फसल बोवय नइ मुड़ ल कभू नवोवय नइ मन के मइल ल धोवय नइ ओहा मनखे नोहय जी। जेन ह जीव के लेवइया ए भाई भाई ल लड़वइया ए डहर म कांटा बोवइया ए गरीब के घर उजरइया ए ओहा मनखे नोहय जी। जेन ह...

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काबर बेटी मार दे जाथे

कतको सबा,लता,तीजन ह मउत के घाट उतार दे जाथे देखन घलो नइ पावय दुनिया,गरभे म उनला मार दे जाथे बेटा-बेटी ल एक बरोबर नइ समझय जालिम दुनिया ह बेटा पाए के साध म काबर बेटी कुआँ म डार दे जाथे? काबर बेटी मार दे...

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टिकेश्‍वर सिन्‍हा ‘गब्‍दीवाला’के छत्‍तीसगढ़ी काव्‍य संग्रह : ठूठी बाहरी

भूमिका : टीकेश्वर सिन्हा के कविता संकलन “ठूठी बाहरी ” ल पढे कं वाद सोचें बर परिस आखिर ठूठी बाहरी काबर? बाहरी ह ठूठी कब होथे? जब बाहरी ह घर दूवारी के कचरा ल बाहर के सकेला करथे। ओखर वाद ओला घर गोसइन ह...

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सरला शर्मा के उपन्‍यास : माटी के मितान

सरला शर्मा का यह छत्तीसगढ़ी उपन्यास अपनी विशिष्ट शैली के कारण पठनीय है। यह उपन्यास यात्रा- संस्मरण का पुट लिए हुए सास्कृतिक-बोध के लिए आधार-सामग्री प्रदान करता है। छतीसगढ़ की सास्कृतिक चेतना का स्वर...

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संपादकीय : मोर डांड तो छोटे तभे होही संगी, जब आप बड़का डांड खींचहू

संगवारी, गुरतुर गोठ के हमर उदीम इंटरनेट (मेकराजाला) म छत्तीसगढ़ी भाखा के साहित्य ल आघू लाये के हे। हम ये वेब साईट म 2008 ले छत्तीसगढ़ी के रचनाकार मन के रचना सरलग डारत आवत हावन। हम चाहत हावन के हमर भाखा...

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तॅुंहर जाए ले गिंयॉं

तॅुंहर जाए ले गिंयॉं श्री कामेश्वर पांडेय जी द्वारा लिखित आधुनिक छत्तीसगढ़ की स्थिति का जीवंत चित्रण तो है ही, संघर्ष की राह तलाशते आम आदमी की अस्मिता के अन्वेषण की आधारशिला भी है। इसे छत्तीसगढ़ की...

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छत्‍तीसगढ़ी उपन्‍यास : जुराव

कामेश्‍वर पाण्‍डेय ‘कुस’ का बड़बड़ाइस, भीड़ के हल्ला-गुल्ला मं समझ मं नइ आइस। नवटपा के ओहरत सुरुज हर खिड़की मं ले गोंड़ जी के डेरी कनपटी लऽ तमतमावऽथे। भीड़ के मारे सीट मं बइठइया सवारी घलउ मन के जी...

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लक्ष्मण मस्तुरिया के खण्‍ड काव्‍य : सोनाखान के आगी

लिखे-पढ़े के सुख कोनो भी देस-राज के तरक्‍की के मूल म भासा. संस्कृति अउ जनम भुंई के महात्‍तम माने जाथे। एकर बिना कोनो भी किसम के विकास प्रगति बढ़ोत्तरी अकारथ होथे। छत्‍तीसगढ़ राज नई बनेरिस वो समे बीर...

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छत्‍तीसगढ़ी भाषा के मानकीकरण

व्‍हाट्स एप ग्रुप जनभाषा छत्‍तीसगढ़ी म भाषा के मानकीकरण के गंभीर बातचीत 02 दिसम्‍बर ले 07 दिसम्‍बर 2015 तक चलिस। हम अपन पाठक मन बर ये चरचा ल इंहा प्रकाशित करत हन, आपो मन अपन बिचार देके छत्‍तीसगढ़ी भाषा...

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छत्तीसगढ़ के माटी : लक्ष्मण मस्तुरिया

छत्‍तीसगढ़ के माटी सेव करें और आफलाईन पढ़ेंContinue reading...

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सवनाही : रामेश्वर शर्मा

संपूर्ण खण्‍ड काव्‍य सेव करें और आफलाईन पढ़ेंContinue reading...

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भाव प्रवण सरस कृति : मनुख मोल के रखवारी

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मोर गांव के फूल घलो गोठियाये : श्रीमती आशा ध्रुव

मोर गांव के फूल घलो गोठियाये। बड बिहनियां सूरूज नरायन मया के अंजोर बगराये। झुमे नाचे तरियां नदिया फूले कमल मुसकाये। नांगर बईला धर तुतारी मोर किसनहा जाये। मोर गांव के फूल घलो गोठियाये…… मोगरा फूले लाई...

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छत्तीसगढ़ी भासा के महाकाव्यकार

महाकवि कपिलनाथ कस्यप महा कवि कपिलनाथ कस्यप हमर देस के आजाद होय के पहली जनम लेइन अउ बरिस 1985, 2 मार्च के देहावसान होइस, बीसवीं सदी के उन एक साधारण अचरचित साहित्यकार रहिन उन समाचार पत्र-पत्रिका म अपन...

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कोजन का होही

धर्मेन्‍द्र निर्मल के गज़ल संग्रह संपूर्ण काव्‍य सेव करें और आफलाईन पढ़ें Share PostTwitterFacebookGoogle +1EmailContinue reading...

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छत्तीसगढ़ी म छंद बरनन के पहिली किताब

लिखित साहित्य में अपन अनुभव ल बांटे बर पद्य अउ गद्य के उपयोग करे जाथे। जेमा पद्य के उंचहा मान हवय, पद्य ल गद्य के कसौटी तको कहे गए हे। तेखरे खातिर दुनिया के अलग अलग भाखा के साहित्यप मन म पद्य विधा ह...

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