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शिक्षा अधिकारी अपन आफिस म करवावत हे टोना-टोटका

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कथें के शिक्षा ले अंधविश्वास ह दूर हाेेथे, फेर जब गुरूजी मन के बड़का आफिस म माई मूड़ साहबेच ह अंधविश्वास के सहारा लेके आफिस म टोना-टोटका करवाही त शिक्षा के का हाल होही तउन ल आपे मन सोंच लव। खबर हे के ये बुता होवत हे महासमुंद के बीईओ आफिस म।

बीईओ साहेब हर-हमेसा विवाद म बने रहिथे
महासमुंद के खंड शिक्षा कार्यालय म पदस्थ बीईओ ह विवाद म बनेच रहिथें। पाछू दिनन शिक्षक (पंचायत) के वेतन भुगतान करे के एवज म पांच-पाच सौ रूपया रिश्वत लेहे के आरोप ले घिरे बीईओ साहब अब अपन कार्यालय म तांत्रिक बाबा के शरन म हाथ फैलाए दिखत हवय। येला लेके एक वीडियो सोशल मीडिया म जोरदार वायरल होवत हे। अपनी कुर्सी ले खड़े होके बीईओ साहब तांत्रिक बाबा ले टोना-टोटका करात दिखत हे।

वीडियो हो गए वायरल
जब सोशल मीडिया म ये वीडियो वायरल होईस तब छत्तीसगढ़ शासन के संसदीय सचिव रूपकुमारी चौधरी ह जिला शिक्षाधिकारी ल तलब करके मामलाा के जांच करराये अउ कथित अंधविश्वासी बीईओ के विरूद्ध दंडात्मक कार्रवाई करे के निर्देश दीस। बताथें के बीईओ के विरूद्ध गंभीर शिकायत घलव हवय जेखर जांच जिला प्रशासन द्वारा गठित कमेटी ह करत हे। शिक्षक मन के वेतन के भुगतान बर रिश्वत मांगें जइसे गंभीर शिकायत ले घिरे बीईओ ले जिला प्रशासन के आला अधिकारी गुसियात घलव रहिथें। तेकरे सेती हो सकत हे के मानसिक परेशानी के कारन उमन तांत्रिक ढोंगी के शरन गईन होहीं।

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सोनाखान के सोन: शहीद बीर नारायण सिंह

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शहीद बीर नारायण सिंह ह छत्तीसगढ़ के पहिली शहीद आय। 10 सिदम्बर 1857 म अत्याचारी अंगरेज मन बीर नारायण सिंह ल फांसी दे दे रिहिन। ओखर अपराध अतेक रिहिस के सन् 1856 के भयंकर दुकाल के समे वो ह अपन जमींदारी के भूख से तड़फत जनता बर एक झन बैपारी के अनाज गोदाम के तारा टोर के उहां भराय अनाज ल जनता म बांट दे रिहिस। अतके नहीं ये बात के जानकारी लगिहांत वो समै के रइपुर के डिप्टी कमिश्नर ल घलो पठो दे रिहिस के ये काम वोला भूख म तड़फत जनता के भूख मिटाय खातिर करना परिस। फेर अंगरेज कमिश्नर ल ओखर मानवता अउ ईमानदारी नइ भाइस। वोला तो वो जमाखोरी बैपारी के सिकायत म नारायण सिंह ऊपर कार्रवाही करना पसंद आइस। अउ इही बात म डिप्टी कमिश्नर ह बीर नारायण सिंह बर गिरफ्तारी वारंट निकाल दिस। वो अत्याचारी डिप्टी कमिश्नर के नांव एलियट (चार्ल्स एलियट) रिहिस। तेखरे पाय के कतको झिन जुन्ना छत्तीसगढ़िया मइनखे के एलियट नाव घलो सुने म मिल जाथे। खैर हमला नामकरन म धियान नइ दे के शहीद बीर नारायण सिंह के किस्सा कोती धियान देना हे।
तौ ये बीर नारायण सिंग के जनम सोनाखान के जमींदार रामसाय बिंझवार राजपूत के घर सन् 1795 ई. के कोनो तारीख म होय रिहिस। तारीख के पक्का जानकारी नइ मिलय। अपन बाप के इंतताकल के बाद 35 बछर के उमर म नारायण सिंह सोनाखान के जमींदार बनिस। उन बड़ धारमिक, गियानी, मिलनसार अउ परोपकारी परबृत्ति के रहिन। एखरे संगेसंग उंखर म धीरज, साहस अउ प्रजापालक के गुन घलो लबालब भरे रिहिस। वो ह निच्चट सादा जीवन बिताय। वो ह महल अटारी म न हि भलुक माटी अउ बांस के बने कच्चा मकान म राहय अउ अपन परजा के तकलीफ ल दूर करे म हरदम तियार राहय। सोनाखान के राजा सागर, रानी सागर अउ नंद सागर तलाब आजो ओखर जनकल्यानकारी सोंच के गवाही देथे।
नारायण सिंह अपन जमींदारी ल बड़ सुग्घर ढंग ले चलाय के बेवस्था करे राहय। इही बीच सन् 1854 ई. म अंगरेज मन नागपुर के संगे संग छत्तीसगढ़ ल घलो अंगरेजी राज म मिला लिन अउ लगान लेना सुरू कर दिन। लगान ल वो समै टिकोली काहय। ये टिकोली के नारायण सिंह जबर विरोध करिस। इही पाय के रइपुर के डिप्टी कमिश्नर इलियट ह नारायण सिंह से चिढ़े राहय अउ वोला डांडे के मउका खोजत राहय। सन् 1856 के अंकाल म इलियट ल ये मउका घला मिल गे। वो बछर छत्तीसगढ़ म सुक्खा दुकाल परगे। लोगन दाना-दाना बर मोहताज हो गे। एक गांव के माखन नांव के बैपारी ह अपन गोदाम म अनाज ल जमा करके राखे राहय। ये बात नारायण सिंह ल सहन नई होइस। बैपारी जात, सोझबाय त मानतिस नहीं। आपद धरम निभाय बर नारायण सिंह वो गोदाम के तारा टोर के अनाज ल जनता म बंटवा दिस। लगिहांत ये बात के जानकारी डिप्टी कमिश्नर इलियट कर घलो पठो दिस अउ बैपारी ल सही समै म भरती देय के वादा घलो करिस। फेर बैपारी ल संतोस नइ होइस। एती इलियट ल तो मउका के तलास रिहिस काबर के नारायण सिंह राजनैतिक चेतना, जागरूकता अउ अंगरेजी सत्ता के बिरोध ह अंगरेज अधिकारी मन बर चुनौती बन गे रिहिस। माखन बनिया के सिकायत ह बहाना बन गे। बीर नारायण सिंह बर गिरफ्तारी वारंट निकाल दे गिस। 24 अक्टूबर 1856 के दिन संबलपुर म बीर नारायण सिंह ल गिरफ्तार करके रइपुर के जल म धांध दे गिस। ओखर ऊपरचोरी अउ डकैती के मुकदमा चलाय गिस। असहाय जनता के दुख-तकलीफ से उनला कोनो मतलब नइ रिहिस।
फेर वाह रे बीर नारायण सिंह 28 अगस्त 1857 के बीर नारायण सिंह जेल से भागे म सफल होगे। सन 1897 म देस म क्रांति के वाला भड़क गे रिहिस। जेखर आंच छत्तीसगढ़ म घलो पहुंचिस। छत्तीसगढ़ के जनता मन एकसुर म जेल म बंद बीर नारायण सिंह ल अपन नेता चुन लिन। बियाकुल सोनाखान के जनता अपन नेता ल छोड़ाय बर छटपटात राहय। वो समै संबलपुर म सुरेन्द्र साय नांव के एक झिन क्रांतिकारी नेता रिहिस जउन हाले म हजारी बाग जेल से भागे म सफल होय रिहिस। सोनाखान के जनता मन ओखरे मदद ले के बीर नारायण सिंह ल रइपुर जेल ले भागे के उपाय करिन। जेल म सुरंग बनाके बीर नारायण सिंह भाग गे। बीर नारायण सिंह के जेल ले भागे से अंगरेज अधिकारी मन के हौस गायब हो गे। इन्क्वायरी सुरू कर दे गिस अउ वोला दुबारा पकड़े बर सेना के सहायता लेय गिस। वो जमाना म बीर नारायण सिंह ल पकड़वाय बर 1000 रुपए इनाम के घोसना करे गे रिहिस, जउन आज के लाखों रुपिया के बरोबर होथे। एती नारायण सिंह ल पकडे बर लेफ्टीनेंट स्मिथ अउ लेफ्टीनेंट स्थिम अउ लेफ्टीनेंट नेपीयर ल मकान संउप दे गिस।
नारायण सिंह जेल से भागे के बाद चुपचाप बइठे के बजाय अंगरेजी सत्ता से सोझ मुकाबला करे के अयलान कर दिस। सोनाखान के आदिवासी अपन नेता के वापसी से खुस हो गे राहय। 500 बंदूकधारी सेना खड़ा करे म नारायण सिंह ल कांही दिक्कत नइ आइस। वो समै के अऊ बाकी जमींदार मन अंगरेज के पिछलग्गू रहिन। कटगी, भटगांव, बिलाईगढ़ अउ देवरी के जमींदासर मन अंगरेज मन के साथ दीन। देवरी के जमींदार अउ नारायण सिंह के बीच तो खानदानी दुस्मनी रिहिस। उंखरे मदद अउ रद्दा देखाय से 26 नवम्बर 1857 के स्मिथ अपन सेना संग ारायण सिंह के इलाका म पहुंचे म सफल हो गे। उंहा वोला मालूम परिस के नारायण सिंह अपन संग 500 सैनिक जोर डारे हे अउ वोहा अंगरेज सेना संग जोरदार मुकाबला करे बर तइयार बइठे हे। तभे एक झिन घरभेदिया ह स्मिथ ल बताइस के नारायण सिंह सोनाखान के नाकाबंदी म लगे हे फेर वो काम पूरा नइ होय हे अउ सोनाखान म खुसरे जा सकथे। देवरी अउ सिवरीनरायेन के जमींदार मन गद्दार निकलिस। उंखरे सहायता ले स्मिथ 1 दिसम्बर 1857 के सोनाखान बर धावा बोल दिस। नारायण सिंह घलो तइयार रिहिस। ओखर सैनिक मन स्मिथ के सेना ऊपर बंदूक से हमला कर दिन। एखर बावजूद स्मिथ अपन सेना सहित सोनाखान पहुंचे म सफल हो गे।
सोनाखान गांव ल नारायण सिंह खाली करवा दे रिहिस। बग्याय स्मिथ ह खाली गांव म आगी लगवा दिस। सरी गांव भंगर-भंगर जर के राख हो गे। नारायण सिंह अइसन तबाही हो जही कही के नइ सोंचे रिहिस। एती स्मिथ ल अउ उपराहा सेना मिल गे ओखर मदद ले स्मिथ वो पहाड़ी ल घेर लिस जिहां नारायण सिंह अपन साथी संग मौजूद राहय। दूनों डहर ले मुकाबला होय लगिस। स्मिथ के सेना जादा रिहिस, ाीरे-धीरे नारायण सिंह कमजोरपड़त गिस। आखिर म गद्दा मन के मदद ले नारायण सिंह के आनदोलन ल मटियामेट कर दे गिस। 2 दिसम्बर के बीर नारायण सिंह गिरंफ्तार होगे। 5 दिसम्बर के वोला रइपुर के डिप्टी कमिश्नर इलियट के हवाले कर दे गिस। बीर नारायण सिंह ऊपर देसद्रोह के मुकदमा चलाके फांसी के सजा सुना दे गिस। 10 दिसम्बर 1857 के बिहन्चे फांसी के सजा तामील कर दे गिस। बीर नारायण सिंह देस के आजादी खातिर शहीद हो गे। जेन जघा बीर नारायण सिंह ल फांसी दे गिस तेन उही जघा आय जेला आज हम रइपुर के जय स्तंभ चौक के नांव ले जानथन। इहां सुरता करे जा सकथे सन् 1857 म भारत के आजादी खातिर पहिली स्वतंत्रता संग्राम लड़े गे रिहिस। इही लड़ई म बीर नारायण सिंह छत्तीसगढ़ म लड़े रिहिस। छत्तीसगढ़ म सबले पहिली आजादी के अलख जगइया अउ कोनो नो हे इही बीर नारायण सिंह आय। इहां यहू धियान देय के बात हे के छत्तीसगढ़ के ये पहिली शहीद एक आदिवासी बीर रहिस। धन हे शहीद बीर नारायण सिंह, तोर जीवन धन्न हे।
जब तक सुरुज नारायण के ताव रही,
बीर नारायण तोर नांव रही, बीर नारायण तोर नांव रही।

दिनेस चौहान
सितलापारा नवापारा राजिम

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छत्‍तीसगढ़ी म छंद

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सरगुजा मा हे बिसाहिन

सरगुजा – मा हे बिसाहिन, देख हे बिन – हाथ
फेर दायी संग गजहिन, भाग – बाचय – माथ ।
रोज मजदूरी – बजावय, मोगरा – सुख धाम
देख नोनी ला सिखोवय, पंथ के सत – नाम ।

देवदासा – गुरु – सिखोवय, पंथ के अन्दाज
रोज – दायी हर पठोवय, सफल होवय – काज ।
गोड मा सब काम करथे, हे – बहुत हुसियार
हासथे – गाथे मटकथे, मीठ – सुर – कुसियार ।

सुरुज ऊथे रोज बुडथे, दिन खियावत रोज
देखते – देखत गुजरथे, देख ले अब – खोज ।
अब बिसाहिन नाचथे जब, नाचथे – सन्सार
बिधुन हावय नाच मा सब, छोड़ के घर – बार।

सुन बजाथे देख माण्दर, नाव हे बन – खार ।
मन मधुर मुरली मनोहर, बाजथे – सुकुमार।
बिकट – पैसा आत हावय, मोगरा – घर आज
बर बिहा के बात बाँधय, बाज – माण्दर बाज।

मोगरा हर बात कर लिस, माढ गइस – बिहाव
देख मडवा आज गड गिस,सब सुआसिन गाव।
आज खुश हावय बिसाहिन, नाचथे बन – खार
सरगुजा के मन नहाइन, आज बारम्बार ।

(सिंहिका छंद)

सुकमा हे शकुन

सुकमा म मोर संगी हे, शकुन वोकर नाव
एकदम जुगल बंदी हे, दुनो झन सहिनाव ।
वो बपरी हर हे खोरी, हावय – होशियार
हे दया – मया के डोरी, देवारी – तिहार ।

भाई सरहद के पहरी, मनाही – दुइज तिहार
हम दुनो बइठे डेहरी, देखत – हन दुवार ।
” सुन खीर बनाबे बहिनी, मोला अति मिठाय
अथान के देबे बरनी, करण हर ललचाय ।”

छिन – छिन मा फोन करत हन, भाई गोठियाय
“मैं आवत हॅव झगरव झन”, वो बपरा मनाय ।
“सुन बरा बना के धरबे,” हास के बतियाय
“जा ना पहिली ले तरबे,” हँसी – बिकट आय ।

अब हो गे सबो तियारी, मन सुनय पद – चाप
धर – रे पूजा के थारी, खड़े हन चुप – चाप ।
फेर – फोन लगाएन हम , भाई नइ उठाय
देख दुनो झन हावन सम, फेर मन – भरमाय ।

फूल घला अइलावत हे, मन घला – मुरझाय
सूरज – बूडत जावत हे, भाई तै – पछुवाय ।
एदे जहाज आगिस अब, चल दिया अब बार
पूजा – थारी धर के सब,झन हो गिन तियार ।

देख कार मा आइन हे, हमर मन – घबराय
भाई ला घर लानिन हे, अब मन अकबकाय ।
तिरंगा ला ओढे हवय, सुते हे – चुपचाप
भुखहा बिन खाए चल दिस, सुनत हॅव पदचाप ।

” तै रोबे झन ओ बहिनी, सूरज – ए – शहीद
सुन – सुन सूरज के कहनी, हम एकर – मुरीद ।
सौ झन दुश्मन ला मारिस, बढ़िया करिस – काम
मरते दम तक नइ हारिस, रइही – अमर – नाम ।”

अक्कल सबो सिरा गे रे, का करव – सहिनाव
तिलक – लगा पूजा कर रे, मन – मन मा पछताव ।
मरत तक दुश्मन ला धोय, हिम्मत ला समोय
मोर भाई अइसन होय, सब ला गरब होय ।

(शोभन – सिंहिका छंद)

सरलग

कइसे खाबो पीबो रे, कोन दिही अनाज
कोशिश करके जीबो रे, करबो हमन काज ।
सहिनाव ला घर लानेव, करबो हमर काम
सौ – ठन बाँस मंगाएव, मिलही अब मुकाम ।

शबरी मन बने बताथे, सबो – बने तिखार
दायी हर अब समझाथे, मन म मनय तिहार ।
सूपा – टुकनी अब बनही, झन होवव उदास
सबके मन मा अब बसही, टुकनी हमर खास ।

धीरे – बानी काम चलिस, हमरे – मन न आय
तब मोर मन तुलना करिस, टुकनी खुद लजाय ।
देख अब बने बेचाथे , हमर सबो – समान
अब दुनिया भर मा जाथे, बने देथन ध्यान ।

जागर के जंग सरेखव, सुकमा ला निहार
आवव अब सब झन देखव, टुकनी के निखार ।
सहिनाव भले हे खोरी, मिलत हे सम्मान
आवव जी सबो अगोरी, झन करव अपमान ।

(शोभन – सिंहिका छंद)

शकुन्तला शर्मा,
भिलाई, छत्तीसगढ़

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मुख्यमंत्री ह ‘रमन के गोठ’ म कैशलेस लेनदेन के बारे म समझाइन

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मुख्यमंत्री ह ‘रमन के गोठ’ म जनता ल कैशलेस लेनदेन के बारे म विस्तार ले समझाइन
प्लास्टिक मनी के मतलब प्लास्टिक के नोट नहीं : डॉ. रमन सिंह
तकनीकी शब्द मन के घलव सरल शब्द म दीन जानकारी

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह आज अपन रेडियो वार्ता ‘रमन के गोठ’ म आम जनता ल नगदी के बिना लेन-देन (कैशलेस ट्रांजेक्शन) के बारे म विस्तार ले जानकारी दीन। उमन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जनता ल कैशलेस लेन-देन बर देहे जात कई तकनीकी विकल्प मन ल बताईन। मुख्यमंत्री ह प्लास्टिक-मनी, ई-बैकिंग, इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर, मोबाइल बटुआ या ई-वालेट जइसे शब्द मन के तकनीकी बात ल घलव सहज अउ सरल शब्द म समझाइन। उमन कहिन के ‘प्लास्टिक-मनी’ के मतलब प्लास्टिक ले बने नोट नो हे, ये ह अइसे प्रणाली आए, जेमा आन-आन तरीका के ‘स्मार्ट कार्ड’ ले बैंक मन या आन जघा म नगदी बल्‍दा रकम के लेन-देन हो सकय। डॉ. रमन सिंह ह किसान मन ल विश्वास दिलाइन के प्रदेश के 1333 सहकारी समिति मन के 1889 उपार्जन केन्द्र मन म धान के आवक बाढ़ गए हे। धान बेंचे म उखर मन बर ऑन लाईन भुगतान के व्यवस्था करे गए हे। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मन ल एकर बर अब तक 600 करोड़ रूपए के नगदी देहे गए हे। आघू घलव येमा कउनो समस्या नइ आवय।
मुख्यमंत्री ह कहिन के बड़का नगदी लेन-देन के हिसाब-किताब ल लुकाये या नगदी के सुरक्षा ओकर सदुपयोग या दुरुपयोग ल लेके कई ठन समस्या आथे। ओकर अनुभव सिरिफ भारत भर ल नहीं, भलुक जम्‍मो दुनिया ल होथे। प्रधानमंत्री ह हरेक भारतीय नागरिक ल ये सुविधा देना चाहत हें, जउन विकसित देश मन के नागरिक मन ल मिलते हे। एकरे खातिर उमन कैशलेस ट्रांजेक्शन या नकदी रहित लेन-देन ल भारत म घलव बढ़ावा देहे के मन बनाये हें। ये व्यवस्था म ज्यादातर प्लास्टिक ले बने कार्ड उपयोग म आथे। ये तरा प्लास्टिक-मनी शब्द लोकप्रिय हो गए हे।
प्लास्टिक मनी के बारे म उमन कहिन के ‘स्मार्ट कार्ड’ के नाम मैं ह एकर खातिर लेहेंव के, हमन ‘प्रधानमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना’ अउ ‘मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना’ मन म नगदी के लेन-देन नइ करके, एक ठन ‘स्मार्ट कार्ड’ जारी करे हन, जेला लेके जब कोनो अधिकृत अस्पताल म जाथे त रूपया जइसे वो कार्ड के उपयोग उहां करथे। माने वो ह बिना नगदी धरे अस्पताल जाके अपन इलाज करा डारथे, येमा प्लास्टिक के बने ये ‘स्मार्ट कार्ड’ के जउन प्रणाली हे, वो ह नगदी लेन-देन के माध्यम बन जाथे। एकरे खातिर ये व्यवस्था ल ‘प्लास्टिक-मनी’ कहे जाथे। इही तरा ले ‘ई-बैंकिंग’ या ‘इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर’ होथे जब आप बैंक म ‘एटीएम कार्ड’ या ‘इंटरनेट’ के माध्यम ले नगदी ल हाथ लगाए बिना घलव अपन बैंक एकाउंट म जमा रकम के लेन-देन न सिरिफ अपन गांव-शहर म भलुक, दूसर गांव-शहर म घलव कर सकत हव।

आर्थिक व्यवहार म आज कल पांच शब्द मन के चलन ज्यादा हे – मुख्यमंत्री ह कनि के आर्थिक व्यवहार म प्रमुख रूप ले पांच शब्द आजकल अड़बड़ चलत हे। ये पांच शब्द, पांच तरीका मन के बारे म बताथे जिकर ले हम नगद रूपया के लेन-देन के बिना घलव आर्थिक लेन-देन कर सकत हन। डॉ. सिंह ह कहिन के पहली शब्द यू.पी.आई. हे। लगभग जमो बैंक मन के अपन ‘यू.पी.आई.एप.’ होथे। जउन बैंक म आपके खाता हे वोकर ‘यूपीआई-एप’ डाउनलोड करके खाताधारी अपन मोबाइल के उपयोग करत कोनो जिनिस के खरीदी या सेवा के उपयोग करे म वोकर भुगतान कर सकत हे। एकर बर आप मेरन ‘स्मार्ट फोन’ होना चाही। दूसर शब्द हे यू.एस.एस.डी.। ये साधारण फीचर वाले मोबाइल फोन ले घलव संभव हे। अपन फोन म स्टार 99 हैश डायल करके, ओमा आए निर्देश मन के पालन करत अपन बैंक खाते ले कोनो दुकान म छोटे ले छोटे राशि के भुगतान करे जा सकत हे। उदाहरण बर रायपुर म चाय दुकान चलईया अजय यादव, सूरजपुर म अइसनेहे छोटे कारोबार करइया कैलाश देवांगन ह अपन दुकान म ये सुविधा लेहे हे, जिहां उमन 5 ले 10 रू. के भुगतान घलव मोबाइल फोन के माध्यम ले प्राप्त करत हें। अइसे युवा मन के सजगता ल मैं सलाम करत हंव, जउन समय के संग चलना जानत हें अउ उनर छोट-छोट कदम देश के अर्थव्यवस्था ल मजबूती देहे के आधार बनत हे।
डॉ. सिंह ह कहिन के तीसरा शब्द प्री-पेड वॉलेट हे, जेला ‘ई-बटुआ’ कहिथें। उदाहरण बर स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया के ‘मोबाइल एप बडी’ ह काफी लोकप्रिय हे। आपके बैंक एकाउंट ले एक निश्चित राशि ट्रांसफर होके आपके मोबाइल के खाता म जमा हो जाथे। आप बिना कोनो स्वाइप मशीन के सिरिफ अपन मोबाइल के उपयोग करके ये सुविधा के लाभ उठा सकत हौ। चौथा शब्द कार्डस पी.ओ.एस. माने पॉइन्ट ऑफ सेलडिवाइस हे। एकर बर अलग ले कोनो कार्ड लेहे के जरूरत नहीं परे, येमा आपके अपन बैंक ले मिले एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड के ही उपयोग होथे। अउ पांचवां शब्द हे आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम। एकर बर आपके बैंक खाते म आधार कार्ड के सीडिंग होना जरूरी हे। ये ह सबले सुरक्षित उपाय हे, काबर के येमा आपके अंगूठा के निशान अउ आधार नम्बर ले ही भुगतान हो सकथे।
मुख्यमंत्री ह श्रोता मन ल बताइन के छत्तीसगढ़ सरकार कोति ले हरेक ग्राम पंचायत म स्थापित करे जात सामान्य सेवा केन्द्र या उपभोक्ता सेवा केन्द्र म ये सुविधा देहे जाही। बलरामपुर जिला म बड़का सुरूवात होए हे, जिहां सामान्य सेवा केन्द्र मने सी.एस.सी. अब लोगन मन ल बैंक के सेवा देहे खातिर तइयार हें। एकरे खातिर मैं आप मन ले गिलौली करत हंव के जेन खाताधारक मन ह अपन बैंक एकाउंट म ‘‘आधार सीडिंग’’ नइ कराए हें, उमन बैंक म जाके एक पईत आधार नम्बर नोट करा दंय, त उमन ल ये सुविधा अपन घर के मीर अउ बहुत आसानी ले मिले लगही। सी.एस.सी. के सुग्‍घर ढंग ले काम करे ले आप मन ल न तो बैंक जाये के जरूरत परही ना एटीएम।

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रमन के गोठ आडियो –हल्बी सहित- 11 दिसम्‍बर 2016

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रमन के गोठ (ऑडियो) : 11-12-2016

रमन के गोठ (ऑडियो हल्बी) : 11-12-2016

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छत्‍तीसगढ़ के पर्यटन संबंधी फोटो खींचव अउ इनाम पावव

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छत्‍तीसगढ़ पर्यटन मण्‍डल कोति ले ट्विटर म जारी सूचना के अनुसार छत्‍तीसगढ़ के पर्यटन स्‍थल अउ पर्यटन के बारे म प्रतियोगिता म भाग लेवईया संगी मन के खींचे फोटू ल इनाम के रूप म मंडल के कलेंडर म छापे जाही। जानकारी अंग्रेजी भाषा म ये फोटू म हावय, त संगी लउहे फोटू खींचव अउ भेज दव, हमर छत्‍तीसगढि़या भाई मन मत पछुवावव. व्‍हाट्स एप नं. 9111009055 म व्‍हाट्स एप करके जानकारी ले सकत हव.

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कोमल यादव के कविता : बेटी बचावा अउ जाड के बेरा

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बेटी बचावा

कइथे बेटी हाथ पसार
मोला देवा मया दुलार।
बेटी मन ला काबर
मया नई करय हमर संसार।
सोचा जम्मो झन बेटी बिना
बन सकही का घर परिवार।
नानकुन ले लेके जवानी तक
मोर ऊपर लटकत हावय तलवार।
मोर पिडा अउ वेदना के का
अब होही कोनो स्थाई उपचार।
बाढ़त पानी मा मैं बोजा गेंव
कोन कराही नदिया के पार।
मैं बेटी महतारी मैं हंव
महि काली दुर्गा अवतार।
मोर मया मा जम्मो पोठागे
मोर बिना धरती अंधियार।
मोर पिडा अउ वेदना के का
अब होही कोनो स्थाई उपचार।

जाड के बेरा

आ गे हे जाड के बेरा
झन खावव तुमन केरा
बिहनिया अड़बड़ जड़ावत हे
डोकरा बबा बीड़ी सुलगावत हे
आ गे हे जाड के बेरा
झन खावव तुमन केरा।

दई पनपुरवा बनावत हे
ददा कुरता घाम म सुखावत हे
भौजी लईका खेलावत हे
भइया जम्मो ला गुर्रावत हे
आ गे हे जाड के बेरा
जहां खावव तुमन केरा।
हवा सुरूर सुरूर बोहावत हे

चिरई चिरगुन गीत गुनगुनावत हे
जाड मा डोकरा कपकपावत हे
डोकरी सरसों तेल ला कड़कावत हे
झन उठावव तुमन अपन डेरा
आ गे हे जाड के बेरा।

पानी अड़बड़ जनावत हे
ददा नोहाय बलावत हे
दई पानी ला खउलावत हे
गरूवा बइठे पगुरावत हे
रउत ला भाइसी लतीयावत हे
आ गे हे जाड के बेरा।

कोमल यादव
खरसिया, रायगढ़
yadavkomal291@gmail.com

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छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंग्‍य संग्रह तुंहर जंउहर होवय के होईस विमोचन

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युवा व्यंग्यकार धर्मेन्द्र निर्मल के छत्तीसगढ़ी व्यंग्य संग्रह के विमोचन 11 दिसंबर, 2016 इतवार के दिन आई एम ए भवन दुर्ग में होइस। दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति, दुर्ग अउ निराला साहित्य समिति, थान-खम्हरिया के ये संघरा आयोजन रहिस जेमा दुर्ग अउ थान-खम्हरिया के साहित्यकार सकलाये रहिन। विमोचन के पाछू रचनाकार धर्मेन्द्र निर्मल ह कहिन के ये किताब के शीर्षक छत्तीसगढ़ी के अईसे गारी आय जउन ल महिला सियान मन मया म अपन नाती-नतुरा ल देथें। ये गारी देके उमन लईका मन ल सही रद्दा रेंगे के सीख देथें। कार्यक्रम के माई पहुना व्यंग्यकार विनोद साव ह एला परखर करत कहिन के जउंहर शब्द, जौहर ले बने हे जेकर मतलब महिला मन के आगी म कूद के जान दे देना हे। ये अकेल्ला गारी म महिला अउ ओकर पति दूनो के मरे के भड़ौनी हे। छत्तीसगढ़ म ये तरा के कई ठन गारी के चलन हे जइसे तुंहर मुर्दा निकले, आगी लगय, तोला गाड़व आदि अउ ये गारी क्रोध म अउ प्रेम म घलव देहे जाथे। ये किताब के शीर्षक के सन्दर्भ म ये ह मौत के बद्दुआ नो हे भलुक सीखे के कोंचन ये। उमन विस्तार ले किताब के बारे म चर्चा करत धमेंन्‍द्र के व्यंग्य मन म प्रयोग करे गए भाषा, शिल्प अउ प्रतीक के बारे म बताइन।

कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रसिद्द व्यंग्यकार रवि श्रीवास्तव ह छत्तीसगढ़ के जम्मो व्यंग्यकार मन के उल्लेख करत बताईन के छत्तीसगढ़ व्‍यंग्‍य के मामला मां हमेशा माई मूड़ रहे हे। उमन “तुंहर जंउहर होवय” म संघराये व्‍यंग्‍य मन उपर गोठ करत कहिन के येमा कई व्‍यंग्‍य मन म भाषा के दुहराव हे तेखर ले लेखक ल बचना चाहिए। उमन लेखक के भाषा प्रवीणता, छत्‍तीसगढ़ी हाना-भांजरा के अद्भुत प्रयोग के उदाहरण ल पढ़ के घलव बताईन। छत्तीसगढ़ के लोक भाषा मा व्‍यंग्‍य लिखे बर उमन धमेन्‍द्र ल बधाई दीन। विशेष अतिथि राजकमल राजपूत, निराला साहित्य समिति थान खम्हरिया के अध्यक्ष ह अपन उद्बोधन म किताब के संबंध म उदाहरण देवत धमेन्‍द्र ल बधाई दीन।

ये कार्यक्रम म गुरतुर गोठ के संपादक संजीव तिवारी ह व्‍यंग्‍य संग्रह के ये किताब ल छत्‍तीसगढ़ी के श्रेष्‍ठ व्‍यंग्‍य बतावत कहिन के छत्‍तीसगढ़ी के तथाकथित व्‍यंग्‍यकार मन ल हिन्‍दी के व्‍यंग्‍य मन ल पढ़ना चाहिए ओकर पाछू व्‍यंग्‍य लिखे के सोंचना चाहिए। बिना व्‍यंग्‍य के तासीर ल जाने मसखरी ल व्‍यंग्‍य नई समझना चाहिए। उमन घमेन्‍द्र निर्मल के ये संग्रह के बतरस शैली के आख्‍यानिक आलेख मन के उदाहरण तको दीन जउन ह व्‍यंग्‍य के श्रेणी म रखे नई जा सकय। दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति अध्यक्ष डॉ.संजय दानी ह घलव पुस्‍तक के संबंध म बताईन के उमन स्‍वयं व्‍यंग्‍य के प्रयोग छत्‍तीसगढ़ी कविता मन म करथें अउ व्‍यंग्‍य के तार ल अच्‍छा तरीका ले जानथें। कार्यक्रम म प्रसिद्ध व्‍यंगकार विनोद शंकर शुक्‍ल अउ पं. दानेश्‍वर शर्मा के धर्मपत्‍नी श्रीमती शीला शर्मा ल ज्ञद्धांजली देहे गईस। आभार प्रदर्शन आर.सी.मुदलियार ह करिन, संचालन छंदविद अउ संस्थापक साहित्य छत्तीसगढ़ी मंच के भाई रमेश कुमार सिंह चौहान ह करिन।

कार्यक्रम म प्रसिद्द सामयिक पत्रिका ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के 106 वां अंक के विमोचन घलव होईस। ये कार्यक्रम म विदुषी शकुन्तला शर्मा, प्रदीप वर्मा, गीतकार डॉ.नरेन्‍द्र देवांगन, छंदविद अरुण निगम, सूर्यकांत गुप्ता, गिरिराज भंडारी, गिरधारी देवांगन, सुशील यादव, संदीप साहू, सुनिल शर्मा ‘नील’ आदि उपस्थित रहिन।

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खुमान साव के संगीत म छत्‍तीसगढ़ी गीत

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एल्बम मया मंजरी ले (अरूण कुमार निगम के रिकार्ड कराये) अनमोल गीत




तोर संग राम राम के बेरा….
गीत – लक्ष्मण मस्तुरिया
संगीत – खुमान लाल साव
स्वर – कविता वासनिक एवं महादेव हिरवानी।

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बोकबाय देखे………
गीतकार – लक्ष्मण मस्तुरिया
स्वर – कविता वासनिक
संगीत – खुमान लाल साव

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बात मान के परदेस झन जा रे…..
गीत – लक्ष्मण मस्तुरिया
स्वर – कविता वासनिक
संगीत- खुमान लाल साव

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मोर अँगना मा कोन ठाढ़े हे……
गीत – लक्ष्मण मस्तुरिया
स्वर – कविता वासनिक
संगीत- खुमान लाल साव

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मजा हे मजा आजा मोर मितवा…….
गीत – लक्ष्मण मस्तुरिया
स्वर – कविता वासनिक
संगीत- खुमान लाल साव

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मोर मया मोहनी मंतर मारे…….
गीत – लक्ष्मण मस्तुरिया
स्वर – लक्ष्मण मस्तुरिया,कविता वासनिक
संगीत- खुमान लाल साव

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रूप धरे मोहनी ………..
गीत – लक्ष्मण मस्तुरिया
स्वर – लक्ष्मण मस्तुरिया,कविता वासनिक
संगीत- खुमान लाल साव

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जै छत्‍तीसगढि़या किसान अउ खुश रहा

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जै छत्‍तीसगढि़या किसान

तै कभू नई करे विराम
जम्मो दिन तैं करे हस काम
हो गेहे अब तैं सियान
जै छत्‍तीसगढि़या किसान।

अपन मेहनत लगाके
पनपुरवा अउ बासी खाके
उपजावत हस तैं हर धान
जै छत्‍तीसगढि़या किसान।




जम्मो झन बर घर बनाए
अपन परिवार ला कुंदरा मा सुताए
तोला नई मिलिस बढ़िया मकान
जै छत्‍तीसगढि़या किसान।

मजुरी करके लईका पढ़ाए
मेहनत के तैं पाठ सिखाए
नौकरी लगाए बर लइका के तोर
कोनो नई दिहिस धियान
जै छत्‍तीसगढि़या किसान।

बॉसगीत ला गाके
सबके सुते भाग जगाके
उपजवात हस तैं हर धान
जै छत्‍तीसगढि़या किसान।

खुश रहा

नानकुन जिनगी हावय
जम्मो झन खुश रहा।
मनखे मन तिर मा नई हे
ओ मन ला सोंच के खुश रहा।
कोनो नई पतियावय तू मन ला
तभो ले खुश रहा।




जे गँवा गे हे कन्हु करा
ओकर याद मा खुश रहा।
काली ला कोन देखे हावय
तुमन आज खुश रहा।
मया ला जोहत हा काबर
मया ला सोंच के खुश रहा।
काबर खोजत हावा आने मन ला
कभू तो अपन ले खुश रहा।
नानकुन जिनगी हावय भई बहिनी मन
जम्मो झन खुश रहा।

कोमल यादव
खरसिया, रायगढ़
मो.न. 9977562133

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छत्तीसगढ़ म होही ‘पंजाबी अकादमी‘ के स्थापना : डॉ. रमन सिंह

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गुरू गोविन्द सिंह के 350 वां प्रकाश पर्व के अवसर म आयोजित समारोह म करिन घोषणा

रायपुर, 17 दिसम्बर 2016। मुख्यमंत्री डॉं. रमन सिंह ह आज संझां रैपुर के राष्ट्रीय सिक्ख संगत के छत्तीसगढ़ इकाई द्वारा गुरू गोविन्द सिंह जी के 350 वां प्रकाश पर्व के अवसर म आयोजित समारोह ल सम्बोधित करत कहिन के छत्तीसगढ़ म ‘पंजाबी अकादमी‘ के स्थापना करे जाही। मुख्यमंत्री ह कहिन के अवईया बछर राज्य सरकार के बजट म एकर खातिर प्रावधान करे जाही। उमन पटना साहिब म अवईया 5 जनवरी को गुरू गोविन्द सिंह जी के 350 वां प्रकाश पर्व के अवसर म आयोजित होवईया समारोह म छत्तीसगढ़ ले जवईया श्रद्धालु मन खातिर निःशुल्क तीर्थ यात्री ट्रेन भेजे के घोषणा घलव करिन। मुख्यमंत्री ह कहिन के ये तीर्थ यात्री ट्रेन बर राज्य सरकार कोति ले जमो इंतजाम करे जाही। मुख्यमंत्री ह समारोह म गुरू गोविन्द सिंह सहित सिक्ख गुरू मन द्वारा देश, संस्कृति, समाज अउ धर्म के रक्षा खातिर दिए बलिदान मन ल सुरता करत उमन ल नमन करिन। पंडरी के खालसा स्कूल म आयोजित ये कार्यक्रम के अध्यक्षता छत्तीसगढ़ ओलम्पिक संघ के महासचिव बलदेव सिंह भाटिया ह करिन।

मुख्यमंत्री ह ये अवसर म कहिन के दुनिया के इतिहास म देश, समाज अउ संस्कृति के रक्षा खातिर सिक्ख गुरू मन के द्वारा दिए गए बलिदान जइसे कोनो दूसर मिसाल नइ हे। सिक्ख गुरू मन के बलिदान हम सबके खातिर प्रेरणादायक हे। उमन कहिन कि गुरू गोविन्द सिंह धार्मिक गुरू के संगे-संग एक योद्धा अउ कवि घलव रहिन। उमन खालसा पंथ के स्थापना करिन अउ पंथ के मार्ग दर्शन करत येकर गौरव अउ सम्मान स्थापित करिन। मुख्यमंत्री ह ये समय म ‘संगत संसार‘ छत्तीसगढ़ के विशेषांक के विमोचन घलव करिन। आयोजक मन द्वारा समारोह म मुख्यमंत्री के अभिनंदन करे गीस। ये अवसर म विधायक श्रीचंद सुन्दरानी, छत्तीसगढ़ राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह केम्बो, छत्तीसगढ़ हिन्दी ग्रंथ अकादमी के पूर्व संचालक रमेश नैय्यर अउ राष्ट्रीय सिक्ख संगत महासचिव अविनाश जयसवाल सहित स्वर्ण सिंह केम्बो, कैलाश जी, सुनील डोंगरे, इंदरवीर सिंह बत्रा, डॉ. पूर्णेन्दू सक्सेना अउ दीपक शामिल रहिन।

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सत के मारग बतइया- गुरु घासीदास जी

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छत्तीसगढ़ के पावन माटी में बहुत झन स़ंत महात्मा अऊ महापुरुष मन जनम लेहे। समय समय में ये मन ह हमन ल रसता देखाइस अऊ सत्य के रसता में चले बर बताइस। संत महात्मा मन के जनम ह जगत के कलियान खातिर होथे। ओइसने हमर छत्तीसगढ़ के माटी में 18 दिसंबर सन् 1756 में एक गरीब किसान परिवार के घर गांव गिरौदपुरी जिला रायपुर में एक महान पुरुस घासीदास जी के अवतरन होइस । घासीदास जी बचपन से ही गुनी अऊ होनहार लइका रिहिसे। वो समय जात पात अऊ छुवाछुत के भेदभाव बहुत जादा रिहिस। नीच जाति के मन ल मंदिर में चढ़हन नइ देवत रिहिसे। ये सब ल देखके घासीदास जी ह बहुत दुखी होइस अऊ ये सब कुरुति ल मिटाय के बारे में सोचे ल धरलीस।




सत्य के खोज – घासीदास जी के मन में सत्य ल जाने के बहुत इच्छा रिहिसे। वोहा सत के तलाश करे खातिर गिरौदपुरी के जंगल में छाता पहाड़ में समाधि लगा के बइठ गीस। ओकर बाद सोनाखान के जंगल में तको सत अऊ गियान के खोज करे बर बहुत दिन तक तपस्या करीस।

सतनाम पंथ – गुरु घासीदास जी ह सतनाम पंथ के निरमाता आय। वोहा बताइस के “सतनाम” शब्द में बहुत ताकत हे। ये एक मंत्र हरे। सतनाम शब्द से परान ऊरजा निकलथे अऊ जीवन से मुकती मिलथे।
गुरु घासीदास जी बताइस के मनखे मनखे एक समान हरे। कोई ल भेदभाव नइ करना चाही। सबके ऊपर दया अऊ परेम करना चाही। ये परकार से सब झन ल उपदेश दीस।

गुरु घासीदास जी के संदेश

  • गुरु घासीदास जी संदेश दीस के सादा जीवन उच्च विचार रखो
  • मांसाहार पाप हरे
  • जीव हत्या पाप हरे
  • पेड़ पौधा में भी जीव होथे
  • पेड़ ल नइ काटना चाही
  • पर नारी ल माता के समान समझो
  • छुवाछूत ल दूर करो
  • अंधविश्वास ल दूर करो

जैतखाम – गुरु घासीदास जी ह सतनाम पंथ ल मानने वाला बर जैतखाम गड़ाना अनिवार्य बताय हे। जैतखाम में सादा रंग के झंडा ह सत्य, अहिंसा अऊ विश्व शांति के परतीक हरे। गुरु घासीदास जी ह समाज ल एक नया दिशा दीस हे। ओकर बताये मारग में चले से आदमी के जीवन में सुधार आथे। आज के युवा पीढ़ी जे समाज से भटक चुके हे वोला बाबाजी ह सत के रसता में चल के सही जीवन जीये के प्रेरना देहे।

गुरु घासीदास बाबा की जय।

महेन्द्र देवांगन “माटी”
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला – कबीरधाम (छ. ग)
पिन- 491559
मो.- 8602407353
Email -mahendradewanganmati@gmail.com

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छत्तीसगढ़ी कहानी गीत विकलांग विमर्श म

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शोभन – सिंहिका छंद –
सरगुजा मा हे बिसाहिन

सरगुजा – मा हे बिसाहिन, देख हे बिन – हाथ
फेर दायी संग गजहिन, भाग – बाचय – माथ ।
रोज मजदूरी – बजावय, मोगरा – सुख धाम
देख नोनी ला सिखोवय, पंथ के सत – नाम ।

देवदासा – गुरु – सिखोवय, पंथ के अन्दाज
रोज – दायी हर पठोवय, सफल होवय – काज ।
गोड मा सब काम करथे, हे – बहुत हुसियार
हासथे – गाथे मटकथे, मीठ – सुर – कुसियार ।

सुरुज ऊथे रोज बुडथे, दिन खियावत
रोज
देखते – देखत गुजरथे, देख ले अब – खोज ।
अब बिसाहिन नाचथे जब, नाचथे – सन्सार
बिधुन हावय नाच मा सब, छोड़ के घर – बार।

सुन बजाथे देख माण्दर, नाव हे बन – खार ।
मन मधुर मुरली मनोहर, बाजथे – सुकुमार।
बिकट – पैसा आत हावय, मोगरा – घर आज
बर बिहा के बात बाँधय, बाज – माण्दर बाज।

मोगरा हर बात कर लिस, माढ गइस – बिहाव
देख मडवा आज गड गिस,सब सुआसिन गाव।
आज खुश हावय बिसाहिन, नाचथे बन – खार
सरगुजा के मन नहाइन, आज बारम्बार ।




शोभन – सिंहिका छंद –
सुकमा म हे शकुन

सुकमा म मोर संगी हे, शकुन वोकर नाव
एकदम जुगल बंदी हे, दुनो झन सहिनाव ।
वो बपरी हर हे खोरी, हावय – होशियार
हे दया – मया के डोरी, देवारी – तिहार ।

भाई सरहद के पहरी, मनाही – दुइज तिहार
हम दुनो बइठे डेहरी, देखत – हन दुवार ।
” सुन खीर बनाबे बहिनी, मोला अति मिठाय
अथान के देबे बरनी, करण हर ललचाय ।”

छिन – छिन मा फोन करत हन, भाई गोठियाय
“मैं आवत हॅव झगरव झन”, वो बपरा मनाय ।
“सुन बरा बना के धरबे,” हास के बतियाय
“जा ना पहिली ले तरबे,” हँसी – बिकट आय ।

अब हो गे सबो तियारी, मन सुनय पद – चाप
धर – रे पूजा के थारी, खड़े हन चुप – चाप ।
फेर – फोन लगाएन हम , भाई नइ उठाय
देख दुनो झन हावन सम, फेर मन – भरमाय ।

फूल घला अइलावत हे, मन घला – मुरझाय
सूरज – बूडत जावत हे, भाई तै – पछुवाय ।
एदे जहाज आगिस अब, चल दिया अब बार
पूजा – थारी धर के सब,झन हो गिन तियार ।

देख कार मा आइन हे, हमर मन –  घबराय
भाई ला घर लानिन हे, अब मन अकबकाय ।
तिरंगा ला ओढे हवय, सुते हे – चुपचाप
भुखहा बिन खाए चल दिस, सुनत हॅव पदचाप ।

” तै रोबे झन ओ बहिनी, सूरज – ए – शहीद
सुन – सुन सूरज के कहनी, हम एकर – मुरीद ।
सौ झन दुश्मन ला मारिस, बढ़िया करिस – काम
मरते दम तक नइ हारिस, रइही – अमर – नाम ।”

अक्कल सबो सिरा गे रे, का करव – सहिनाव
तिलक – लगा पूजा कर रे, मन – मन मा पछताव ।
मरत तक दुश्मन ला धोय, हिम्मत ला समोय
मोर भाई अइसन होय, सब ला गरब होय ।




शोभन – सिंहिका छंद –
सरलग

कइसे खाबो पीबो रे, कोन दिही अनाज
कोशिश करके जीबो रे, करबो हमन काज ।
सहिनाव ला घर लानेव, करबो हमर काम
सौ – ठन बाँस मंगाएव, मिलही अब मुकाम ।

शबरी मन बने बताथे, सबो – बने तिखार
दायी हर अब समझाथे, मन म मनय तिहार ।
सूपा – टुकनी अब बनही, झन होवव उदास
सबके मन मा अब बसही, टुकनी हमर खास ।

धीरे – बानी काम चलिस, हमरे – मन न आय
तब मोर मन तुलना करिस, टुकनी खुद लजाय ।
देख अब बने बेचाथे , हमर सबो – समान
अब दुनिया भर मा जाथे, बने देथन ध्यान ।

जागर के जंग सरेखव, सुकमा ला निहार
आवव अब सब झन देखव, टुकनी के निखार ।
सहिनाव भले हे खोरी, मिलत हे सम्मान
आवव जी सबो अगोरी, झन करव अपमान ।

शकुन्तला शर्मा
भिलाई, छत्तीसगढ़

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मनखे-मनखे एक बरोबर साप्ताहिक पत्रिका के होईस विमोचन

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बिलासपुर, 18 दिसम्बर 2016। आज बिलासपुर के लालपुर म आयोजित गुरूघासीदास जयंती समारोह म घलो मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ह शामिल होईन। सभा ल संबोधित करत उमन कहिन के मनखे-मनखे एक समान अउ ऊंच-नीच के भेद भाव मिटाये खातिर बाबा गुरूघासीदास जी ह सामाजिक समरसता के संदेश देहे हें। उंकर संदेश आज घलव प्रासंगिक हे, छोटे-छोटे पंथी गीतों मन म बड़े-बड़े संदेश मिलथे, जउन पोथी पुराण मन म घलव नई मिलय। ये गोठ आज मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह मुंगेली जिला के विकासखण्ड लोरमी के ग्राम लालपुर म आयोजित गुरूघासीदास जयंती समारोह म कहिन। ये अवसर म उमन लालपुर गुरूघासीदास मंदिर परिसर म बड़का मंच अउ मिनी स्टेडियम निर्माण खातिर स्वीकृति प्रदान करिन।
उमन कहिन के ये कोति के जनता, जनप्रतिनिधि अउ सतनामी कल्याण समिति कोति ले हर साल इहां आये खातिर नेंवता मिलथे। मैं पाछू 17 बछर ले लालपुर आवत हंव। मुख्यमंत्री ह मनखे-मनखे एक बरोबर साप्ताहिक पत्रिका अउ चलो गिरौधपुरी कैसेट के विमोचन घलव करिन। ये कार्यक्रम म खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री पुन्नूलाल मोहले, बिलासपुर क्षेत्र के सांसद लखनलाल साहू, संसदीय सचिव तोखन साहू ह घलव सभा ल संबोधित करिन। कार्यक्रम के संचालन रामकुमार पात्रे अउ आभार जिला पंचायत सदस्य रामेश्वर बंजारे ह करिन। ये मौका म नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल, राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के सांसद अभिषेक सिंह, जिला पंचायत सदस्य श्रीमती शांति भास्कर, लोरमी जनपद पंचायत अध्यक्ष श्रीमती वर्षा सिंह ठाकुर, नगर पालिका मुंगेली के उपाध्यक्ष प्रकाश जैन, पूर्व विधायक चोवादास खाण्डेकर, कोमल गिरी गोस्वामी, संभागायुक्त श्रीमती निहारिका बारिक, पुलिस महानिरीक्षक विवेकानंद सिन्हा, कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती फरिहा आलम सिद्दिकी, फणेश्वर पाटले, जीवन बंजारा सहित समाज प्रमुख अउ ग्रामीणजन उपस्थित रहिन।

गुरू बाबा घासीदास ह मिटाइस सामाजिक भेदभाव: डॉ. रमन सिंह




राजनांदगांव, 18 दिसम्बर 2016। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह आज संझा जिला मुख्यालय राजनांदगांव के नंदई चौक म आयोजित बाबा गुरू घासीदास जी के 260वां जयंती समारोह ल संबोधित करत कहिन के बाबा ह अपन प्रेरणा दायक विचार के जरिए ओ समें म समाज म व्‍यापे छुआ-छूत, सामाजिक भेदभाव अउ शोषण ल मिटाये के ऐतिहासिक काम करे रहिन। उमन जम्‍मो दुनिया ल समानता के संदेश दीन। डॉ. सिंह ह ये अवसर म गुरू घासीदास मंदिर म पूजा-अर्चना करके आशीर्वाद लीन। उमन नंदई म वाचनालय भवन निर्माण खातिर पांच लाख रूपया देहे के घोषणा घलव करिन। आयोजक मन बड़का फूल माला पहिरा के मुख्यमंत्री के आत्मीय स्वागत करिन।
मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डॉ. रमन सिंह ह समारोह ल संबोधित करत कहिन के बाबा गुरू घासीदास के विचार, उपदेश अउ उखंर बताये मारग आज घलो प्रासंगिक हे। बाबा ह मनखे-मनखे एक समान के संदेश दीस। उकर मानना रहिस के करिया अउ गोरिया के आधार म मनुष्य मन के बीच भेदभाव नइ करे जा सकय। उमन सत्य ल ईश्वर अउ ईश्वरेच ल सत्य मानिन। बाबा गुरूघासीदास के अनुयायी मन ए बात ला सरल ढंग ले पंथी नृत्य के माध्यम ले गांव-गांव तक फैलाइन। मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ह कहिन के बाबा ह पुरूष अउ महिला मन के बीच भेदभाव के विरोध करिन। उमन पशु बलि प्रथा के घलव विरोध करिन।
मुख्यमंत्री ह कहिन के बाबा गुरूघासीदास के जन्म स्थली गिरौदपुरी के विकास के समाज के लोगन मन जउन सपना देखे रहिन ओकरे अनुरूप बाबा के जन्म स्थली के विकास करे गए हे। छाता पहाड़ मेला स्थल के सौंदर्यीकरण अउ विकास करे गए हे। बाबा गुरूघासी दास के जन्म स्थान शक्ति स्थल हे। गिरौदपुरी म बाबा के आशीर्वाद ले विशाल जैतखंभ के निर्माण कराये गए हे। मुख्यमंत्री ह ऐहू कहिन के अनुसूचित जाति प्राधिकरण के माध्यम ले सामाजिक अउ आर्थिक विकास के योजना क्रियान्वित करे जावत हे। उमन ये अवसर म गुरूघासीदास धर्मशाला के लोकार्पण घलव करिन। मुख्यमंत्री ह लोगन मन ल गुरूघासीदास जयंती के बधाई अउ शुभकामनाएं दीन।
समारोह ल अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रामजी भारती, विधायक श्रीमती सरोजनी बंजारे घलव संबोधित करिन। कार्यक्रम म लोकसभा सांसद अभिषेक सिंह, नगर निगम राजनांदगांव के महापौर मधुसूदन यादव, बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष खूबचंद पारख, राज्य समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष श्रीमती शोभा सोनी, छत्तीसगढ़ भंडार गृह निगम के अध्यक्ष नीलू शर्मा अउ जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष सचिन बघेल, सहित कई वरिष्ठ जनप्रतिनिधि अउ सतनाम सेवा समिति के पदाधिकारी उपस्थित रहिन।

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का साग रांधे संवरिया .. सुनव करमा गीत

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रमकेरिया म राजा राम बिराजे … राकेश तिवारी अउ साथी के संगत म लाईव

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मुख्यमंत्री ह प्रसिद्ध लेखक अउ पर्यावरणविद अनुपम मिश्र के निधन म शोक प्रकट करिस

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रायपुर, 19 दिसम्बर 2016। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह देश के सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक, लेखक अउ पर्यावरणविद अनुपम मिश्र के निधन म गहन शोक व्यक्त करिस। मिश्र जी के आज नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) म निधन हो गीस। मुख्यमंत्री ह उंकर परिवार बर अपन संवेदना प्रकट करे हें। डॉ. रमन सिंह ह रायपुर म जारी शोक संदेश म कहे हे के श्री मिश्र ह देश म पर्यावरण के सुरक्षा अउ विशेष रूप ले तालाब मन के संरक्षण खातिर जन-जागरण म अपन पूरा जीवन लगा दीस। उमन ’आज भी खरे हैं तालाब’, ’राजस्थान की रजत बूंदे’ अउ ’हमारा पर्यावरण’ जइसे अपन महत्वपूर्ण पुस्तक मन के जरिए पानी अउ पर्यावरण बचाये बर लोगन मन के ध्यान आकर्षित करिन। वर्षा जल संचय (रेनवाटर हार्वेस्टिंग) के महत्व ल उमन अपन लेखनी के जरिए जन-जन तक पहुंचाईन। श्री अनुपम मिश्र ह आखरी सांस तक गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली म सेवा करत रहिन। उमन ल इंदिरा गांधी राष्ट्रीय पर्यावरण पुरस्कार अउ जमनालाल बजाज पुरस्कार सहित राष्ट्रीय स्तर के कई ठन पुरस्कार मन ले सम्मानित करे गए रहिस हे। डॉ. रमन सिंह ह स्वर्गीय श्री अनुपम मिश्र ल विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करे हें।

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डिजिटल वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम म दस दिन म 5.20 लाख ले जादा लोगन ल प्रशिक्षण

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मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह मास्टर ट्रेनर डिजिटल वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षण कार्यशाला म जताइन विश्वास के छत्तीसगढ़ देश में रहिही अघुवा

रायपुर, 19 दिसम्बर 2016। कैशलेस लेन-देन खातिर आयोजित डिजिटल वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम छत्तीसगढ़ म पाछू 10 दिन म 4 लाख 70 हजार ले जादा मनखे मन ल प्रशिक्षण देहे गए हे। छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसायटी (चिप्स) के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एलेक्स पॉल मेनन ह बताइन के केन्द्र सरकार कोति ले छत्तीसगढ़ के 9734 ग्राम पंचायतों म 3 लाख 89 हजार 360 मनखे मन ल 31 दिसम्बर तक कैशलेस लेन-देन खातिर प्रशिक्षण देहे के लक्ष्य दे गए रहिस हे, जबकि आज 19 दिसम्बर तक 5 लाख 20 हजार ले जादा मनखे ल प्रशिक्षण दे देहे गए हे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह ये उपलब्धि खातिर चिप्स के अधिकारी मन अउ कर्मचारी मन ल अउ ये प्रशिक्षण कार्यक्रम म सहयोग देवईया जमो मनखे मन के की सराहना करत उमन ल बधाई दीन।
चिप्‍स के अधिकारी ह बताईस के ये महीना 9 दिसम्बर 2016 को चिप्स कोति ले मास्टर ट्रेनर डिजिटल वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षण कार्यशाला ल सम्बोधित करत मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह विश्वास व्यक्त करे रहिन के डिजिटल वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण देहे म छत्तीसगढ़ पूरा देस म अगुवा राज्य बनही। डॉ. रमन सिंह कोति ले राज्य ल 10 लाख ले मनखे मन ल प्रशिक्षित करे के लक्ष्य देहे गए रहिस हे। ये लक्ष्य के प्राप्ति खातिर चिप्स कोति ले नियुक्त ग्रामीण लोक सेवक मन के सहायता ले 10 दिन म 4 लाख 70 हजार ले जादा मनखे मन ल प्रशिक्षण दे देहे गए हे।
असल गोठ ये हे के नवा तकनीक ल अपनाये म छत्तीसगढ़ हमेशा आघू रहे हे। प्रधानमंत्री जन-धन योजना जब चालू होए रहिस, तब राज्य के एक करोड़ ले जादा जनता मन के बैंक खाता नइ रहिस हे। छत्तीसगढ़ म शासन अउ जनता के सहयोग ले 90 लाख जनता के जन-धन खाता खोले जा चुके हे। प्रदेश म 96 प्रतिशत लोगन मन के आधार-कार्ड बन गए हे।
केन्द्र सरकार कोति ले देश के जमो राज्य मन ल दिहे गए लक्ष्य के निगरानी खातिर वेबसाईट पोर्टल www.digitaljagriti.in/contents/counters/beneficiaries/state बनाये गए हे। ये वेबसाईट के अनुसार छत्तीसगढ़ ह देश के आन जघा रहईया मनखे के तुलना म सबले जादा मनखे मन ल प्रशिक्षण दे गए हे। छत्तीसगढ़ के पाछू उत्तर प्रदेश म एक लाख 72 हजार ले जादा मनखे ल अउ ओडिसा म एक लाख 55 हजार ले जादा मनखे ल प्रशिक्षण देहे गए हे। ये वेबसाईट ले जिलावार प्रशिक्षण के जानकारी घलव देखे जा सकत हे। खाल्‍हे म देहे कड़ी ले देश के जमो राज्य मन के प्रशिक्षण के जानकारी लेहे जा सकत हे।

http://www.digitaljagriti.in/contents/counters/beneficiaries/district/CHHATTISGARH~7
http://digitaljagriti.in/state-wise-target.html

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छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर ह देश के पहिली कैशलेस बाजार

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मुख्यमंत्री ह करिन रवि भवन अउ मालवीय रोड के बाजार मन म कैशलेस सुविधा के लोकार्पण

डॉ. रमन सिंह ह दुकान म खड़े होके बिसाईस मनपसंद जिनीस मोबाईल कव्हर, पेन अउ खारा बिसा के करिस कैशलेस भुगतान

रायपुर, 19 दिसम्बर 2016। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह आज मंझनिया राजधानी रायपुर के सबले भीड़-भाड़ वाले मालवीय रोड बाजार पहुंचिस। उहां उमन दुकान मन म खुद कैशलेस भुगतान करके खरीददारी करिस। डॉ. सिंह ह जयस्तंभ चौक के रविभवन ‘स्मार्ट बाजार-स्मार्ट रायपुर’ के लोकार्पण करिन। अब रवि भवन अउ मालवीय रोड के बाजार देश के पहिली कैशलेस बाजार बन गे हे।

रवि भवन म 530 दुकानों अउ मालवीय रोड, ओकर ले जुड़े 382 दुकान मन म पीओएस, यूपीआई एप अउ पेटीएम सहित आन डिजिटल माध्यम मन ले ग्राहक मन ल कैशलेस भुगतान के सुविधा उपलब्ध कराये गए हे। मुख्यमंत्री के रवि भवन पहुंचे म व्यापारी मन उंकर स्वागत करिन। मुख्यमंत्री ह रवि भवन के एक दुकान ले अपन आई फोन मोबाइल खातिर मनपसन्द रंग के कव्हर बिसाईस। मालवीय रोड के एक इलेक्ट्रानिक दुकान ले उमन एक पेन अउ एक खारा के दुकान ले दू पैकिट खारा बिसाईस। मुख्यमंत्री ह कैशलेस व्यवस्था ले जुड़े खातिर व्यापारी मन ल धन्यवाद दीस। उमन कहिन के आज कई बछर बाद मोला दुकान म ठाढ़ होके मनपसन्द समान बिसाये के मौका मिलिस।

डॉ. सिंह ह ये अवसर म नगर निगम रायपुर कोति ले बनाये मोबाइल एप ‘मोर रायपुर’ के लोकार्पण घलव करिन। ये एप के जरिए सम्मत्ति कर भुगतान सहित नगर निगम के कई ठन सेवा मन के जानकारी मिलही। संगें संग निगम के किराया म मिलईया सम्‍पत्ति जईसे शहीद स्मारक अउ इंडोर स्टेडियम के ऑनलाईन बुकिंग घलव येकर ले करे जा सकत हे। मुख्यमंत्री ह ये अवसर म आठ झिन ल डिजिटल आर्मी एम्बेसडर के सर्टिफिकेट प्रदान करिन। ये दूत मन मनखे मन ल कैशलेस भुगतान के संबंध म जानकारी देके ये प्रणाली ल अपनाये खातिर प्रोत्साहित करहीं। मुख्यमंत्री ह मालवीय रोड म पैदल घूम के मनखे मन ल कैशलेस भुगतान बर प्रेरित करिन। उमन कहिन के डिजिटल पद्धति ले कैशलेस भुगतान बहुत आसान हावय। येकर ले लोगन मन ल नगदी लेके चले के जरूरत नइ परही। रवि भवन अउ मालवीय रोड ले लगे गोल बाजार के 509 दुकानों म लगभग 70 प्रतिशत दुकान मन म कैशलेस भुगतान के सुविधा उपलब्ध करा देहे गए हे। लउहे गोलबाजार घलव कैशलेस बाजार हो जाही।

ये अवसर म रायपुर ग्रामीण के विधायक श्रीचंद सुन्दरानी, नगर निगम रायपुर के सभापति प्रफुल्ल विश्वकर्मा, राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष दिलीप सिंह होरा, चेम्बर ऑफ कॉमर्स रायपुर के अध्यक्ष अमर पारवानी, नगर निगम के पार्षद, अउ व्यापारी संघ के पदाधिकारी, मुख्यमंत्री के संयुक्त सचिव रजत कुमार, कलेक्टर रायपुर ओ.पी. चौधरी, नगर निगम रायपुर के आयुक्त रजत बंसल सहित अड़बड़ झान नागरिक उपस्थित रहिन।

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मैं वसुधा अंव

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सृष्टि के पहिली कुछु नइ रिहिस, ना तो अंतरिक्ष अउ ना अगास रिहिस, लुकाए रिहिस वो ह हिरण्यगर्भ गुफा म अनचिन्हार असन, जउन ल कौउनो नइ समझ सकिन अउ नइ कौउनो चिन्हे सकिन। वेद पुरान मन म सृष्टि के रच्इया ल ब्रम्‍हा कहे गे हे फेर इनकर सिरजन ल धरर्ईया वसुधा त महिंच अंव, महिंच वो वसुधा अंव, जेकर उपर म ब्रम्‍हा ले सिरजन,  विष्‍णु ले पालन अउ शिव ले संहार करे गए हे। मुण्डकोपनिषद् 2/1/3 म कहे गए हे कि “पृथ्वी विश्वसय धारिणी” मानें जम्मों विश्‍व ल धारन करने वाली पिरथी माने वसुधा ये। कई हजारन पईत सृष्टि होईस,  हज़ारन पईत ब्रहमा बनिन, बिगड़िन फेर मैं उहिच मेर हावंंव, इहि मेर मोरेच गोदी म, हजारन लाखन देवता, राक्षस, दानव, मनखे, गंधर्व मन जनमिन अउ नास होइन फेर मैं ह अभी तक वइसनहेच दसा म ठाढ़ हाावंव। सबों छिन ल एकेच ढंग ले धरें हावंव, अड़बड़ पहिली के नवां-नवां अउ जुन्ना बखत ले बहुते व्‍यवस्‍था-अव्‍यवस्‍था में मैं ह रहेंव, मै ह उहि वसुधा आंव।

मोरेे गोदि म खेलइया भारत ह छोटेच कन मोर अंस ये,  मैं ह बहुतेच बडका हवं। मै अपन भीतर म कतकोन रहस्‍य लुकाए हावंव, कतकोन विरासत, चीज-बस मोर भितरी म हवय, मै ह ओला नइ बतावंव, मैं ह कुछु कहि देहुँ त रहस्‍य के परदा उघर जाही। मैं ह काल के साखी आंव,  काल घलो मोला चिन्हे म असमर्थ हे, जम्मों मानवता ह मोरेच म समोय हवय। मै ह एकदम धीर अउ निच्‍छल भाव ले उहिच मेर ठाढ़े हावंव, सबो ल एकेच असन धरें हावंव, हजारन उलट फेर होवत चले गे, एको झिन मोर परवाह नई करिन, काल के घुमरत चकरी के फेर म कतको इतिहास बनिस अउ मेटा गईस, फेर मैं सबो ल जानत हंव तभो ले थिर ठाढ़े हंव।

सबले पहिली मै ह लइकई म रहे़व, हरियर हरियर रहेंव, मोर मेर थिर हवा, निरझर-निरमल आरूग पानी रिहिस। सबो डहर खुसी के व्‍याप्‍त रहिस, जइसन के पूरा सरगेच ह मोरेच म उतर गे होवय, मोरो मन लइकई असन चंचल  रिहिस। अचानक अबड़ बदलाव होइस जइसन के कउनो लइकई ले छिन म जवानी म भितरा गे हो, बदलाव-बदलाव बस बदलाव। थोथहा राज सुख बर लरर्ई-झंझट-अतलंग। मैं ह रो डारेंव, ब्रम्‍हा ले सिरजे रचना उपर तरस आ गे, का उन हा अइसन सृष्टि ल रचिंन?? तभो ले मै ह टस ले मस नइ होंयेंव, काबर मोर उपर काकरो राज नइ हे, मैं ह थिर हंव धीर हंव।

मोरेच ततकेच कन कुटका ल पाके अनंद भास करर्इया वाले मन कभु सोचेव, कुटका का कर डरे हव, काकर कुटका होइस? सोचेव कभु? जउन के उपर म डेरा बनाके रहत हवव, ओखर कुटका करके कतका अनंद पाए हो हु? अरे!!! पीरावत हे मोरो देह ह, पीरा म छटपट-छटपट करत हंव तभो ले चुप हंव, चल जान दे सोचके। काबर मोला तो तुमन ल धरना हे, मै ह तो सबो झिन ल एकेच भाव ले धरें हंवव, एकेच भाव ले देखत हवंव, मै ह नइ बनाएंव हिन्दू – मुसलमान फलानां ढेकाना। मै ए सबले आहत हावंव जेकर पीरा ल बता नई सकंव। कोउन सिखाईस अईसन ??? काकर अतका हिममत?? का मै वसुधा अंवं!!!? मै वसुधा अंव!! मै इनकर वसुधा अंव? का मै ह ए सेती मानवता संस्कृति सभ्यता ल धारन करे हंव??

मोर उपर रहईया तुमन कुछु करहू त पीरा मोहिंच ल होही। तुहंर कुटका करे ले मै कुटका नइ हो सकंव। मोर बडकापन मोर चिन्हार ये, मोर आन मोर आत्‍मा ये, तुहंर अउ मोर संग नता कईयो जुग ले हे। तुुहंर पहिचान मोर सेती ले हे, तुमन जउन कुछु करहू ओखर फल तुंंहर संगे-संग महुं भोगहूं।

तुमन सुघ्‍घर राज करहूं, महुं घलो तुमन के भलाई करहूं। तुमन बीज डारहू त मै तुमन ल फसल देके खुस करहुँ, तुमन रूख लगाहु त तुमन ल हरिहर हरियर आरूग वातावरण देहूं। तुमन के फरज हे साफ-सफई रखेके, मोला जतने के, तुमन जतका मोला आरूग रखहु मैं ह ओतकेच तुमन ल जिनगी देहूं। मोर अन्न, जल,  हवा, परकास ल दोहन करहू मै तुमन ल भितराए गहिर रहस्‍य कोति इसारा करहूं। मै ह तुमन के हरेक हरकत उपर नजर रखे हंव, तुमन मोला बरबाद करहू त मोर संगेच संग तुमन के नास हो जाहि। जब तुम अउ मै एकेच हन त फेर का बर अतका असांत हवव? तुमन चलथव त छाप मोर उपर परथे, तुमन कुछू करथव ओखर परिनाम मोला भोगना परथे, माने तुम अउ मै बंधना म फंदाए हवन। त फेर छोड़ देवव अबिरथा-अनख-इरसा ल, तुमन के हाथ म मोर जिनगी हे, मै सिसकत हंव मोला जतनव तुमन, मै रोवत हंव मोर कलियान करव, झन करव तार-तार मोला, मां अंव तुमन के, मां के भलई करव। आज मै ह जरत हंव, पियास म तडफत हंव, सांस नइ ले सकत हंव। जिनगी मोर खतरा म हे, मोला बचाव कोउनो…!

मोर जिनगी तुमन सबो झिन बर जरूरी हे, हाथ ल जोर के बिनति करत हंव… बचा लेवव मोला बचा लेवव…. का मानवता मर चुके हे… तडफत हे मोर वसुधा, तार-तार होगे हे मोर वसुधा… का ए तुमन के फरज नइ हे?? बोम पारके रोवत हे कहत हे … ये मोर भितर के ताप ह बाढत हे,  मानवता के असितत्व खतरा म हे। ओ ह अगाह करत हे कि ओ ह गरम होवत हे, अब हमन ओखर उपर बोझा हो गे हन। ओखर सिसकी ल सुन लेवव, ओखर परचंड भाव ल लेवव, इसारा-इसारा म समझावत हे ओला समझव…. ओ ह वसुधा ये ओला बचा लेवव। एक दिन आहि ओ ह टूट जाहि, जउन दिन ओ ह बिफरही वो दिन कोनो नइ बचही, जब उहि नइ रहिही त फेर का के मनखे अउ ओखर असतित्व, अउ कहा के मानवता रहिही…… इहि बताए बर आए हे मोर वसुधा… मोर वसुधा……

जय जोहार जय छत्तीसगढ़….

गीता शर्मा 

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गरीबों का सहारा है, वही ठाकुर हमारा है : ठाकुर प्यारेलाल सिंह

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ठाकुर प्यारेलाल सिंह छत्तीसगढ़ म मजदूर मन के अधिकार खातिर आंदोलन के बाना उचईया पहिली मनखे रहिन। इंकर जनम 21 दिसम्बर 1891 को राजनांदगांव जिलाा के दैहान गांव म होए रहिस। इंखर पिताजी के नाम दीनदयाल सिंह अउ माताजी के नाम नर्मदा देवी रहिस। इंखर पढ़ई-लिखई राजनांदगांव अउ रायपुर म होईस। नागपुर अउ जबलपुर म इमन कालेत के पढ़ई करके 1916 म वकालत के परीक्षा पास करिन। लईकई ले ही आप अड़बड़ होसियार रहेव अउ राष्ट्रीय विचारधारा ले ओत-प्रोत रहेव।

1906 म बंगाल के क्रांतिकारी मन के संपर्क म आके क्रांतिकारी साहित्य के प्रचार आरंभ करेव अउ पढ़ईया लईका मन न सकेल के संगठित कर के जुलूस निकलवात रहेव अउ जुलुस म वन्देमातरम् के नारा लगवात रहेव। 1920 म राजनांदगांव के बीएनसी मिल के मिल-मालिक मन के मजदूर मन के शोषण कराई ल देख के मिल मालिक मन के विरुद्ध आप आवाज उठायेव, जेमा मजदूर मन के जीत होईस।

1925 ले आप रायपुर म जा के रहे लागेव। आप छत्तीसगढ़ म हिन्दू-मुस्लिम एकता, नमक कानून तोड़ना, दलित उत्थान जईसे कई काम के संचालन करेव। देश सेवा करत आप कई पईत जे जेल गएव। आपके मनोबल तोड़‍ेे खातिर आपके घर म छापा मारके जम्‍मो सामान ल कुर्क कर देहे गईस, तभो लेे आप नइ्र डिगेव।

आप 1937 म राजनीति के उठा-पटक के पाछू रायपुर नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गएव। 1945 म छत्तीसगढ़ के बुनकर मन ल संगठित करे खातिर आपके नेतृत्व म छत्तीसगढ़ बुनकर सहकारी संघ के स्थापना होईस। प्रवासी छत्तीसगढ़िया ल शोषण अउ अत्याचार ले मुक्त कराये के दिशा म घलव आप अड़बड़ काम करेव।

वैचारिक मतभेद के कारण सत्ता पक्ष ल छोड़के आप आचार्य कृपलानी के किसान मजदूर पार्टी म शामिल घलव होएव अउ 1952 म रायपुर ले विधानसभा बर चुने गएव अउ विरोधी दल के नेता बनेव। विनोबा भावे के भूदान अउ सर्वोदय आंदोलन ल आप ह छत्तीसगढ़ म बढ़ायेव। 20 अक्टूबर 1954 के दिन भूटान यात्रा के बेरा म बीमार हो जाये ले आपके निधन हो गए। छत्तीसगढ़ शासन ह उंखर सुरता म सहकारिता म उत्कृष्ट प्रदर्शन खातिर ठाकुर प्यारेलाल सिंह सम्मान स्थापित करे हे।

– संजीव तिवारी
चित्र साभार वीरेन्‍द्र बहादुर सिंह

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