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छत्तीसगढ़ के जुझारू पूत अउ महतारी भाखा के मयारुक साहित्यकार पं. सुंदर लाल शर्मा

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छत्तीसगढ़ के प्रयाग राजिम के तिर म नदिया के पार म एक ठी गांव हे चमसुर। इहें जनम धरे रिहिन छत्तीसगढ़ महतारी के जुझारू बेटा पं. सुंदर लाल शर्मा। उंखर जनम 21 दिसम्बर 1881 के होय रिहिस। उंखर जिनगी के साल ल गिनबे तो उन जादा लंबा उमर नइ पाय रिहिन। सिरिफ 59 साल । अउ ये 59 साल म उंखर काम अइसे रिहिस के उंखर नांव जुग-जुग बर अमर होगे। उंखर राजनीति, समाज सेवा अउ साहित सेवा अतका ऊंचा दरजा के रिहिस के उन छत्तीसगढ़ के अगास म सुरज बरोबर चमकिन। हमर जोगनी कीरा मन के उंखर बारे म कुछू बोलना सुरुज ल दिया देखाय कस बात होही। उंखर इसकुली सिक्छा मिडिल इसतर तक होइस।

उंखर पिता पं. जयलाल तिवारी 18 गांव के मालगुजार रिहिन जेन उंखर ऊंच सिक्छा के बेवस्था घरे म करवा दिन। तेकर से पं. सुंदर लाल संस्कृत, हिंदी, अंगरेजी, उड़िया, बंगाली अउ मराठी भासा के संगे संग धरम, दरसन, संगीत, जोतिस अउ इतिहास के अच्छा जानकार बनिन। उंखर झुकाव साहित्य कोती होइस तो कई ग्रंथ के रचना करिन। जेखर संख्या लगभग 22 हे। अतकेच न हि उन चित्रकार अउ मूरतीकार घलो रिहिन। फेर उंखर जीवन के जादा से जादा समय आंदोलन अउ समाज सुधार के काम म खप गे। उंखर एक आंखी म समाजिक दुवाभेदी अउ ऊंचनीच के पीरा दिखथे तो दूसर आंखी म देस के गुलामी के आंसू। उंखर एक कदम समाज सुधार बर उठय तौ दूसर कदम देस ल आजाद कराय के आंदोलन बर तियार राहय। उन सतनामी समाज के हीन दसा से बहुत दुखी रिहिन। सतनामी समाज के मंदिर परवेस के घटना उंखरे पुरसारथ से संभव हो सकिस। ये घटना के गूंज पूरा देस म सुनइस अउ हरिजन उद्धार कारकरम म सुंदर लाल शर्मा ल महात्मा गांधी अपन गुरू मानिन।

अंगरेज सासन के किरपा ले उन तीन बार जेल के सजा घलो भोगिन। जंगल सत्याग्रह म दू बार अउ गांधीजी के असहयोग आंदोलन म एक बार। एकर छोड़ कंडेल नहर सत्याग्रह म घलो अंगरेज सासन के विरोध देखे बर मिलथे। इही आंदोलन ल गति देय बर पं. सुंदरलाल शर्मा महात्मा गांधी ल छत्तीसगढ़ आय के नेवता दीन अउ 20 दिसम्बर 1920 म पहिली बार महात्मा गांधी के छत्तीसगढ़ आगमन होइस। आज के पीढ़ी भले पवन दीवान ल “पवन नहीं वो आंधी है, छत्तीसगढ़ का गांधी है” कहि देथे फेर छत्तीसगढ़ के गांधी कहाय के असली हकदार तो पं. सुंदर लाल शर्माच हरंय।

भले पं. सुंदर लाल शर्मा साहित्य कोती कम धियान दीन तभो ले 22 ग्रंथ के रचना छोटे-मोटे बात नोहय। एमा कविता, कहिनी, नाटक अउ उपन्यास जइसे बिधा सामिल हे। एमा सबले जादा चरचित होइस छत्तीसगढ़ी भासा म लिखे उंखर परबंध काब्य “छत्तीसगढ़ी दानलीला” जेला छत्तीसगढ़ी के पहिली परबंध काब्य घलो केहे जाथे। मैं ह तो आज के लइका अंव। मैं पं. सुंदर लाल शर्मा के नांव ल छत्तीसगढ़ी दानलीला के कारन ही जानेंव। जब भी पं. सुंदर लाल शर्मा के चरचा होही दानलीला के घलो चरचा होही। यदि ये केहे जाय के पं. सुंदर लाल शर्मा अउ दानलीला एक दूसर के परयाय बन गे हे तो कोई गलत नइ होही। ए करा एक ठी सवाल उपर बिचार करे जा सकथे के पं.जी अतेक जादा साहित्य रचिन फेर दाने लीला के चरचा जादा काबर होथे? एकर जवाब हे महतारी भाखा के ताकत। “राम चरित मानस” अतेक परसिद्ध अउ लोकप्रिय काबर होइस? “गीतांजलि” ल नोबल पुरस्कार काबर मिलिस? ये सबके एके जवाब हे महतारी भाखा के ताकत। महतारी भाखा म जतका असरदार रचना रचे जा सकथे दूसर भाखा म नइ रचे जा सकय। पहिली घलो केहे जा चुके हे के पं. जी जादा लंबा उमर नइ पाइन। उखर जीवन के जादा समय देस के आजादी अउ समाज सुधार के आंदोलन म खप के। साहित्य पिछुवा गे। यदि उंखर जीवन म 15–20 बछर अउ जुड़ जातिस पिछुवाय साहित्य घलो अगुवातिस। जइसे उन दलित जात के उद्धार करिन वइसने दलित महतारी भाखा के घलो उद्धार करतिन। आज हमर महतारी भाखा के दुरदसा ल देख के बड़ दुख होथे।

हमर एक झन सियान साहितकार अउ छत्तीसगढ़ी पतरिका के संपादक आदरनीय नंद किशोर तिवारी के कहना हे हमर जुन्ना नामी साहितकार मन हिन्दी मोह म छत्तीसगढ़ी कोती बिलकुल धायान नइ दीन। यदि वोमन छत्तीसगढ़ी भासा म अपन रचना करतिन तौ जतका नांव वोमन हिंदी साहित्य म कमइन ओतके छत्तीसगढ़ी म घलो कमा सकत रिहिन। उंकर मन के हिन्दी मया ह छत्तीसगढ़ी बर सराप बन गे। इही आजो होवत हे। फेर ये जघा पं. सुंदर लाल शर्मा के पैलगी करना परही के उंखर उपर ये दोख नइ लगाय जा सकय। “छत्तीसगढ़ी दानलीला” परमान हे उंखर छत्तीसगढ़ी मया ल साबित करे बर। सिरतोन म वो महा मानव रिहिन। उंखर सुरता ल बारम्बार परनाम हे!

जात-पांत के भेद मिटाये, काटे ऊंच-नीच के जाल।
देस-धरम बर तन ल खपाये, जै हो जै हो सुंदरलाल।
जै हो जै हो सुंदर लाल।।
दिनेश चौहान

राजिम, छत्‍तीसगढ़
Mo. 9826778806

पं.सुन्‍दर लाल शर्मा जी के संबंध में हिन्‍दी आलेख यहॉं पढ़ें

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8 बछर के पाछू सुरता आईस टाटपट्टी घोटाला

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दागी साहेब मन उपर कार्यवाही नइ करे के आरोप झेलत आवत छत्तीसगढ़ सरकार ह अब जुन्‍ना मामला मन उपर जांच शुरू कर दे हे। टाटपट्टी खरीदी घोटाला म राज्य सरकार ह आठ बछर पाछू जाग के शिक्षा विभाग के 9 अधिकारी मन के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर देहे हे। स्कूल शिक्षा विभाग ह संभागीय जांच आयोग तको गठित कर देहे हे। प्रस्तुतकर्ता लोक शिक्षण संचालनालय के सहायक संचालक संजय श्रीवास्तव ल बनाये गए हेे। आप मन ल बता दन के आरोपी अधिकारी मन में दू झन रिटायर तको हो गए हें, उहें दू प्राचार्य अउ 5 डीईओ अभी घलव अपन पद म बईठे हें।

का ये मामला
मामला 2007-08 के आए जमेा अधिकारी मल ल स्‍कूल बर हथकरघा ले तईयार टाट्पट्टी खरीदना रहिस हे, फेर आदेस ना मान के उमन पावरलूम के टाट-पट्टी खरीदीन अउ सरकार ल करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए ले जादा के चपत लगाये रहिन हें।

ऑडिट रिपोर्ट म रहिस वसूली के सुझाव
लोक शिक्षण संचालनालय के ऑडिट रिपोर्ट समिति ह साढ़े तीन करोड़ के अनियमितता बतात येला वसूली योग्य बतायेे रहीस हे। उन्‍हें 8 बछर पाछू सरकार ह ये मामला म आरोप पत्र जारी करे के बाद सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 14 के तहत उंखर मन उपर विभागीय जांच शुरू करे हे।

इंखर मन के खिलाफ विभागीय जांच
टाटपट्टी घोटालाा म स्कूल शिक्षा विभाग ह ओ समें के जिला शिक्षा अधिकारी राजनांदगांव (अभी सेवानिवृत्त) जीपी जोशी, ओ समें के जिला शिक्षा अधिकारी जांजगीर-चांपा (अभी सेवानिवृत्त) आनंद दास गुप्ता, ओ समें के जिला शिक्षा अधिकारी बेमेतरा (अभी डीईओ गरियाबंद) एमएल सोनवानी, ओ समें के जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर (अभी डीईओ राजनांदगांव) बीएल कुर्रे, ओ समें के जिला शिक्षा अधिकारी अंबिकापुर (अभी अंबिकापुर म प्रिंसिपल) ए खलखो, ओ समें के जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग (अभी डीईओ दुर्ग) एके चावरे, ओ समें के जिला शिक्षा अधिकारी सूरजपुर (अभी बैकुंठपुर डाइट म प्रिंसिपल) संजय गुप्ता, ओ समें के जिला शिक्षा अधिकारी एपी एक्का (डीईओ सूरजपुर) अउ ओ समें के जिला शिक्षा अधिकारी रायगढ़ (अभी डीईओ बेमेतरा) अशोक भार्गव के खिलाफ विभागीय जांच सुरू करे हे। ये मामला म राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव विकासशील ह कहिन के टाटपट्टी अनियमितता मामले म अभी के स्थिति ल देखत जल्दी कार्रवाई करे जाही।

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उस्ताद अमजद अली खां, श्रीमती तीजन बाई, शेखर सेन अउ भारती बन्धु ल मानद डी.लिट् के उपाधी

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इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह म शामिल होईस मुख्यमंत्री 

23 दिसम्बर 2016। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह आज खैरागढ़ के कला संगीत विश्वविद्यालय के चौदहंवा दीक्षांत समारोह म संघरिन। उमन विश्वविद्यालय कोति ले प्रसिद्ध सरोद वादक पद्मविभूषण उस्ताद अमजद अली खां, प्रसिद्ध पंडवानी गायिका पद्मभूषण श्रीमती तीजन बाई, प्रसिद्ध संगीतकार पद्मश्री शेखर सेन अउ कबीर प्रसिद्ध कबीर गायक पद्मश्री भारती बन्धु ल डी.लिट् के मानद उपाधि ले सम्मानित करिन। ये अवसर म विश्वविद्यालय कोति ले डॉ. प्रदीप कुमार ल कला संकाय खातिर अउ डॉ. अवधेश प्रसाद मिश्र ल दृश्य कला संकाय खातिर डी.लिट् के उपाधी देहे गीस। विश्वविद्यालय ह दीक्षांत समारोह म 18 शोधार्थी मन ल संगीत, नृत्य, दृश्यकला, कला, लोक संगीत संकाय मन म पी.एच.डी के उपाधी घलव प्रदान करिस। विश्वविद्यालय ह 2014-15 बछर अउ 2015-16 बछर म होए परीक्षा मन म सबले जादा नम्‍बर पवईया 54 विद्यार्थी मन ल सोना अउ चांदी के पदक घलव दीस। मुख्यमंत्री ह कला संगीत विश्वविद्यालय के परिसर म नवा बने संग्राहलय के उदघाटन करिस। समारोह म उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डे, नैक के निदेशक प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह, सांसद अभिषेक सिंह, विधायक गिरवर जंघेल, विधायक श्रीमती सरोजनी बंजारे, नगर पालिका खैरागढ़ के अध्यक्ष श्रीमती मीरा चोपड़ा, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अध्यक्ष सचिन बघेल, जनपद पंचायत खैरागढ़ के अध्यक्ष विक्रांत सिंह सहित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. माण्डवी सिंह उपस्थित रहिन।




ये अवसर म मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह कहिन के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के विद्यार्थी मन अपन कला के प्रतिभा अउ संवेदनशीलता ले ये देश भर म नहीं भलुक जम्‍मो दुनिया म खैरागढ़ अउ छत्‍तीसगढ़ के नाम रौशन करहीं। उमन विश्वविद्यालय के विद्यार्थी मन ल उंखर सफलता बर बधाई देवत जमो के सुखद, सफल अउ खुशहाल जीवन खातिर शुभकामना दीन। मुख्यमंत्री ह कहिन के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय कला, संगीत अउ संस्कृति के महमहई ल देश अउ दुनिया म बगराने वाला अपन आप म अद्भुत संस्थान आए। डॉ. सिंह ह आघू कहिन के हमार देश अउ प्रदेश बर ये गर्व के बात आए। एशिया के पहिली संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ म स्थापित होए हे, जउन ह पाछू 6 दशक मकई ठन ललित कला मन के अध्ययन-अध्यापन म रत हे अउ अपन विशिष्ट योगदान ले अंतर्राष्ट्रीय स्तर म प्रतिष्ठित हे। उमन कहिन के ये विश्वविद्यालय म पाछू साठ बरिस म देश अउ दुनिया ल कई झन प्रतिभा देहे हे, जेन मन हमार संस्कृति, संगीत अउ कला के विरासत के संरक्षण अउ संवर्धन म अपन अमूल्य योगदान देके ये क्षेत्र म नवा प्रतिभा मन अउ नवां उपलब्‍धी के रास्दा खोल देहे हे। डॉ. सिंह ह कहिन के ये विश्वविद्यालय ह पढ़ईया मन ल ना केवल ललित कला मन के शिक्षा भर नई बल्कि बदलत परिवेश म नवा पीढी ल भारतीय संस्कार अउ परम्परा म घलव दीक्षित करे हे। उमन कहिन के संस्कार, संस्कृति अउ आजीविका के त्रिवेणी ये विश्वविद्यालय म मॉरिशस, श्रीलंका, अफगानिस्तान, बेलारूस, पोलैण्ड, थाईलैण्ड, आस्ट्रिया, फिजी, तुर्की आदि देश मन के विद्यार्थी संगीत, नृत्य-नाट्य, दृश्य-कला अउ सांस्कृतिक मूल्य उपर आधारित शिक्षा प्राप्त करत हें अउ ये विश्वविद्यालय संगीत कला के बडका केन्द्र बन गए हे।




मुख्यमंत्री ह विश्वविद्यालय ल राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा ‘ए’ ग्रेड प्रदान करे बर कुलपति सहित जमो अध्यापक मन, कार्यपरिषद अउ विद्यापरिषद मन के सदस्य मन अउ विद्यार्थी मन ल घलव बधाई दीन। उमन विश्वविद्यालय कोति ले 60 बछर म बनाये संगीत अउ कला के क्षेत्र म स्थापित अपन विशिष्ठ पहचान ल आघू घलव बनाये रखे के आव्हान विद्यार्थी मल ले करिन।
समारोह ल संबोधित करत मुख्य अतिथि प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह ह विश्वविद्यालय ल शास्‍त्र अउ लोक के समन्वय के स्थली बतात कहिन के शास्‍त्रीय संगीत अउ कला मन के अध्ययन के संगे-संग लोक कला मन ल प्रोत्साहन देना इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के पहचान आए। उमन विद्यार्थी मन ल सफल जीवन अउ परखर भविष्य खातिर घलव अपन शुभकामना दीन। प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह ह कहिन के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के विद्यार्थी सात सुर मन के सृष्टि के अनमोल संवाहक आंए। विश्वविद्यालय ले उपाधी पाए के पाछू विद्यार्थी मन ल भगवान बुद्ध के उपदेश चरैवेति-चरैवेति के भाव ल लेके समाज म जाना चाही। प्रो. सिंह ह भरोसा जताइस के विश्वविद्यालय के विद्यार्थी जउन ज्ञान प्राप्त कर चुके हें वोकर प्रकाश ले जम्‍मो समाज प्रकाशित होही अउ जमो भारतीय संस्कृति अउ परम्परा ल आघू बढ़ईया अग्रदूत बनहीं। उमन लउहे-लउहे आधुनिकता कोती बढ़त युवा मन ले सामाजिक परम्परा मन ल भुलाये झन देहे अउ जमो भरम ले उठके भारतीय मूल्य मन के रक्षा करत नवा सोनहा भारत के निर्माण म अपन सहभागीता सुनिश्चित करे के आव्हान घलव पढ़ईया मन ले करिन।




उच्च शिक्षा मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डे घलव सभा ल संबोधित करिन। समारोह ल लोक सभा सांसद अभिषेक सिंह घलव संबोधित करिन उमन कहिन के ये विश्वविद्यालय म भारतीय कला अउ परम्परा के शिक्षा पवईया पढ़ईया भर नहीं बल्कि इंहा कला के साधक मन कठिन साधना करत हें। अलग-अलग स्तर म विद्यार्थी मन के ये साधना कला अउ संगीत ल एक महत्वपूर्ण स्थान देवाही। इंखर ये साधना ले विश्वविद्यालय अउ छत्‍तीसगढ़ के घलव देश-विदेश म विशिष्ट पहचान बनही। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. माण्डवी सिंह ह विश्वविद्यालय के उपलब्धी अउ इतिहास के विषय म विस्तृत जानकारी दीन।

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लक्ष्‍मण कुम्हार : कोमल यादव के कविता

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छत्तीसगढीहा माई के दुलार
डांस इण्डिया बर रहिस तइयार
ददा हे जेखर रिक्शा चरवार
नाव हे लक्षमण कुम्हार।

पन्नी बिनइया लइका के
सोनी टी वी करिस उद्धार
नाव हे लक्षमण कुम्हार।

अपन मेहनत लगाके
कूड़ा कचरा मा मन बहलाके
डांस ला इहाँ करिस साकार
नाव हे लक्षमण कुम्हार।

कार्ट व्हील पहचान हे जेखर
जम्मो नचईया मुंह ताके ओखर
टॉप 5 में जगह बनइया
नई हे तोर असन कोनो नचईया
तैं हर अस अड़बड़ हुशियार
नाव हे तोर लक्षमण कुम्हार।

कोमल यादव
खरसिया,रायगढ़(छ.ग.)
मो.न. 9977562133

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छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण बर

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भाषा ह नाना प्रकार के व्यवहार बोल-चाल, पढ़ई-लिखई, बाजार, मनोरंजन आदि म मन के बात, संवेदना व्यक्त करे के माध्यम होथे। शासन अउ व्यक्तिगत चिठ्ठी-पतरी के माध्यम होथे। कोनो भाषा तभे पोठ होथे जब ओ भाषा हा, ओ भाषा के बोलईया मन के संगे-संग दूसर भाषा के बोलईया मन बर घला आदर्श होवय। कोनो भी बोली पहिली भाषा बनथे फेर एक मानक भाषा के रूप लेके व्यापक रूप मा प्रचारित हो जथे। हमर छत्तीसगढ़ी बोली हा भाषा के रूप ला पागे हे अब येखर मानक भाषा बने के यात्रा शुरू होगे हे।

मनकीकरण के संदर्भ म हमर विद्वान मन के दू प्रकार के विचार देखे ल मलिथे एक विचार धारा के अनुसार- ‘‘मानक भाषा अपन बनावट ले अपन भाषा के नाना प्रकार के रूप ले कोनो एक रूप या एक बोली ऊपर आधारित होथे। येखर मानक बने ले येखर बोलीगत गुण खतम होय लगथे अउ वो क्षेत्रीय ले अक्षेत्रीय हो जाथे। येखर कोनो तय सीमा क्षेत्र नई होवय अउ न ही ये कोनो भाषा-भाषी समुदाय के मातृबोली होवय।‘‘ दूसर विचार के अनुसार- ‘‘मानक रूप के मतलब एक अइसन रूप ले हे जउन भाषा के प्रकृति ला समझत अउ ओखर बहाव ला देखत येला सरल करे जाये ना कि दूसर भाषा के प्रकृति के आधार मा मानकीकरण के चक्कर मा भाषा के प्रवाह ला, प्रकृति ला रोक दे जाये। मानकीकरण के आधार भाषा के मूल रूप मा होनी चाही।‘‘ दूनों विचार के सार एके हे मानक भाषा सरल होवय, अपन प्रकृति म रहत जन-व्यापक होवय।




मानक भाषा के प्रमुख तत्व ऐतिहासिकता, मौलिकता, केन्द्रीयकरण, सहजता, एकरूपता अउ व्याकरण संमत होथे। ये तत्वमन मन मा भाषा के मानकीकरण करत बखत ध्यान दे ल परथे। भाषा के मानकीकरण बर ये दू काम धारन बरोबर होथे – पहिली ओ भाषा के प्रचलित नाना प्रकार के बोली म कोनो एक बोली ला आधार मान के या सांझर-मिंझर भाषा बर शब्द के गठन करे जाये। अउ दूसर ओखर लिखे के लिपी अउ वर्तनी म एक रूपता लाये जाये।

कोनो भी भाषा ला ओखर बोलीमन ओला मजबूत करथे, फेर कोनो भी बोली ओ भाषा ऊपर अपन अधिकार नई जतावय न अपन ल ओखर ले अलग समझय। छत्तीसगढ़ी के खलटाही, कमारी, सरगुजिया, सदरी-कोरबा, रायपुरी, बिलासपुरी, कांकेरी, बस्तरिया, लरिया, बिंझवारी जइसे नाना बोली प्रचलित हे। ये सबो बोली म जेन बोली ल छत्तीसगढ़ के जादा ले जादा मनखे अपन दिनचर्या म उपयोग करथे ओही ल आधार बनाना चाही। ये खोज के विषय हो सकत हे के छत्तीसगढ़ी के कोन बोली ह बोल-चाल म जादा ले जादा उपयोग होवत हे। फेर जेन छत्तीसगढ़ी ल धनी धरम दास, गुरू घासीदास, पं. सुंदरलाल शर्मा, शुकलाल पाण्ड़े, कोदूराम दलित, नारायण लाल परमार जइसे साहित्यकार मन अपनाइन, जेन छत्तीसगढ़ी ला अंतर्राष्‍ट्रीय स्तर म हबीब तनवीर, तीजन बाई, देवादास, डॉ. सुरेन्द्र दुबे मन जइसे कलाकार मन जेन रूप म बगरायें हें, चंदैनी-गोंदा जइसे संस्था छत्तीसगढ़ी के जेन रूप ला दुनियाभर म बगरायें हें, जेन रूप म आकाशवाणी अपन स्थापना के बखत ले आज तक छत्तीसगढ़ी ला पालत-पोषत हे ओही रूप ल मानकीकरण के आधार चुने जा सकत हे काबर छत्तीसगढ़ी के ये रूप ले जादा ले जादा मनखे मन परिचित हे ओखर उपयोग छत्तीसगढ़िया मन के संगे-संग दूसर भाषा-भाषाई मन घला करत हें। आज छत्तीसगढ़ी मा लिखईया साहित्यकार मन, फिल्मकार मन, कलाकार मन घला येही रूप ला चलावंत हे।




मानकीकरण के दूसर धारन लिपी अउ वर्तनी हे। छत्तीसगढ़ी ह देवनागरी लिपी ल अपना चुके हे लिपी के चयन के कोनो समस्या नई हे। अब एके बात बाचथे जेमा विचार करे के जरूरत हे ओ हे- ‘वर्तनी‘। भाषा के वर्तनी के अर्थ हे- ‘‘भाषा मा शब्द मन ला वर्ण आखर ले व्यक्त करना। कई ठन भाषा, जइसे अंग्रेजी उर्दू मा सालों-साल ले वर्तनी (अंग्रेज़ीके स्पेलिंग, उर्दू के हिज्जा) ला रटावये जाथे। हम नान-नान मा अंग्रेजी के बहुत स्पेलिंग रटे हन। ये अभ्यास आज घलो चलत हे। फेर छत्तीसगढ़ी म अभी तक वर्तनी के महत्ता ल परखे नई गे हे। छत्तीसगढ़ी भाषा के पहिली अउ सबले बड़े गुण ‘ध्वन्यात्मकता‘ हे। छत्तीसगढ़ी ल देवनागरी लिपी म लिखे जाथे। देवनागरी लिपी के सबले बढ़िया बात हे- ‘जइसे बोले जाथे वइसने लिखे जाथे।‘‘ बोले गेय ध्वनि ला व्यक्त करना बहुत सरल हे। फेर ये हा कठिन हो जाथे शब्द ला अलग-अलग ढंग ले बोले मा। क्षेत्र अंतर होय मा, बोली के अंतर होय मा षब्द के उच्चारण म अंतर होथे, दूसर भाषा के आये शब्द के उच्चारण ल घला अलग-अलग ढंग ले करे म वर्तनी एक ठन समस्या के रूप म हमर बीच खड़े हे।

छत्तीसगढ़ी के मूल शब्द के मानकीकरण म कोनो बड़े समस्या नई हे। छत्तीसगढ़ी के केन्द्रीय बोली के चयन होत्ते येखर निदान हो जही। सबले बड़े समस्या जउन आज दिखत हे ओ हे- हिन्दी शब्द के छत्तीसगढ़ी म प्रयोग। अभी तक छत्तीसगढ़ी ह हमर मातृबोली अउ हिन्दी ह मातृभाषा रहिस हे। येखर सेती बासी म नून कस हिन्दी ह छत्तीसगढ़ी म घुर गे हे। जेन ल निकालना अब कठिन हे। हां, हमला येखर प्रयोग के ढंग म चिंतन करना चाही। छत्तीसगढ़ी म हिन्दी के प्रयोग अइसे होवय के छत्तीसगढ़ी के अपन खुद के मौलिकता बने रहय। अइसन करत बखत हमला येहू देखना चाही के हिन्दी शब्द के उच्चारण छत्तीसगढ़ी म करत बखत ओ शब्द के ओइसने उच्चारण होवय जेन ओही अर्थ दे सकय जेखर बर येखर प्रयोग करे जात हे। अर्थ के अनर्थ नई होना चाही।




हिन्दी शब्द के छत्तीसगढ़ी अपभ्रंश ल स्वीकार करना चाही के हिन्दी के मूल रूप म। येही हा सोचे के विषय हे। येमा कुछु निर्णय ले के पहिली कुछ जरूरी बात म जरूर सोचना चाही। हिन्दी के छत्तीसगढ़ी अपभ्रंश कइसे बनिस। कइसन शब्द के अपभ्रंश प्रचलित होइस अउ कइसन शब्द ह अपन हिन्दी के मूल रूप म चलत हें। जइसे हिन्दी के घर, छाता, जहाज, कागज जइसे बहुत अकन शब्द ह जस के तस छत्तीसगढ़ी मा प्रयोग होत हे। जेन शब्द के अपभ्रंश रूप चलत हे ओला देखे म मोटा-मोटी दू प्रकार दिखथे ‘आधा वर्ण‘ वाले शब्द अउ ‘संयुक्त वर्ण‘ वाले शब्द। सबले जादा ‘र‘ के पहिली कोनो आधा वर्ण आथे त अउ ‘आधा र‘ आथे त जइसे प्रसन्न-परसन, प्रदेश-परदेश, प्रसार-परसार, प्राथमिक-पराथमिक अर्घ-अरघ, फर्श-फरस आदि। संयुक्त वर्ण म शिक्षा-सिक्छा, श्री-सिरी, विज्ञान-बिग्यान, वैज्ञानिक-बिगयानिक या बइग्यानिक श्राप-सराप, त्रिशूल-तिरसूल आदि। अपभ्रंश रूप तभे स्वीकारे जाये जब येखर अर्थ ह ओही होय जेखर बर येखर प्रयोग करे गे। हिन्दी के प्रदेश, जेखर अर्थ अपन प्रांत, अपन राज्य होथे ओही मेरा येखर अपभ्रंश परदेश ह आन के देश, आन के राज्य के बोध कराथे जेखर प्रयोग उचित नई कहे जा सकय। ‘श्री‘ जेन संस्कृत ले हिन्दी म चलत हे ल ‘सिरी‘ कहे मा ओ अर्थ नई होवय जउन श्री कहे मा होथे। ये मेरन ध्यान दे के बात हे ‘श्री‘ के ध्वनि ला अंग्रेजी म ज्यों के त्यों Shri प्रयोग करे जाथे। फेर छत्तीसगढ़ी म जेखर लिपी ओही हिन्दी के देवनागरी हे तेमा ‘सिरी‘ काबर ? स, ष, श के प्रयोग बर घला सोचे चाही ये सही हे के मूल छत्तीसगढ़ी म केवल ‘स‘ के प्रयोग होथे फेर हिन्दी ले आये शब्द के श अउ ष ल घला स कहिना कहा तक सही हे ? व्याकरण के दृष्टिकोण ले व्यक्ति वाचक संज्ञा भाषा बदले म नई बदलय त कोखरो नाम संतोष ल संतोस, रमेश ल रमेस कहिना कहां तक उचित हे ?




कोनो भाषा के मानकीकरण ले ओ भाषा के प्राण हा बाचे रहय, ओखर प्रकृति लहजा, मिठास हा बाचे रहय। ये चिंता जायज हे के हिन्दी के धडल्ले ले प्रयोग ला सही कहिना छत्तीसगढ़ी ल प्राणहीन कर सकत हे। ये चिंता जतके बड़े हे ओतके बड़े चिंता येहू हे के हिन्दी के अपभ्रंश छत्तीसगढ़ी ले अर्थ के अनर्थ मत होवय। ये दूनों चिंता ला मिला के येखर हल खोजे के उदीम करे जाये। सबले पहिली जेन अर्थ बर छत्तीसगढ़ी शब्द पहिली ले हवय ओखर बर हिन्दी शब्द के प्रयोग कतई नई करना चाही। जेन अर्थ म छत्तीसगढ़ी आसानी से नई मिलय ओ अर्थ म हिन्दी के शब्द ल मूल रूप म स्वीकार करे चाही। काबर के मानक भाषा के रूप सर्वग्राही-सर्वव्यापी होना चाही। येखर बर भाषा म कुछ लचीलापन घला होना चाही। जुन्ना-जुन्ना साहित्यकार मन, कलाकार मन छत्तीसगढ़ी के जुन्ना शब्द जउन नंदावत हे ओला सहेज के नवा मनखे ल देंवय, नवा लइका मन घला छत्तीसगढ़ी लिख-पढ़ सकय येखर बर देवनागरी स्वर, व्यंजन, आधा वर्ण, संयुक्त वर्ण ला महत्ता देवंय। जेन शब्द मूल छत्तीसगढ़ी के हे तेमा आधा वर्ण या संयुक्त वर्ण, ष, श के उपयोग या बिल्कुल नई हे या नही के बराबर हे। ये सबो लफड़ा हिन्दी ले छत्तीसगढ़ी म अपभ्रंश के रूप म प्रयोग करब म होत हे। जब छत्‍तीसगढ़ी म अंग्रेजी के शब्द डॉक्टर, मास्टर, हॉफपेंट, रेल, जइसे शब्द ल बिना अपभ्रंश करे जेंव के तेंव स्वीकार कर ले गे त हिन्दी के शब्द ल मूल रूप म ग्रहण करे बर अतेक न नुकुर काबर।

रमेश कुमार सिंह चौहान

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जनकृति अंतरराष्ट्रीय पत्रिका लोकभाषा विशेषांक : छत्‍तीसगढ़ी

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जनकृति अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के लोकभाषा विशेषांक, भाग-1 के अंतर्गत छत्तीसगढ़ी प्रभाग प्रकाशित. यह अंक आप पत्रिका की वेबसाईट www.jankritipatrika.com पर भी पढ़ सकते हैं. इस अंक में अभी छत्तीसगढ़ी में रचित रचनाओं, लेख, साक्षात्कार, उपन्यास अंक प्रकाशित किया गया है. इसके अतिथि संपादक संजीव तिवारी हैं. लोकभाषा विशेषांक के प्रथम भाग में भोजपुरी, मालावी, निमाड़ी, भीली, भिलाली, बारेली भी शामिल है, जिसका प्रकाशन भी इसी माह वर्तमान अंक में सम्मिलित किया जाएगा.
इस अंक की विषय सूची – संपादकीय: संजीव तिवारी, आलेख छत्तीसगढ़ी साहित्य में काव्य शिल्प-छंद: रमेश कुमार सिंह चौहान, भाषा कइसना होना चही?: सुधा वर्मा, यात्रा वृतांत वैष्णव देवी के दरसन: अजय अमृतांशु, कहानी लहू के दीया: कामेश्वर, परसू लोहार: डॉ. पारदेशीराम वर्मा, नियाँव: डॉ. पीसीलाल यादव, दहकत गोरसी: जयंत साहू, आजंत आजंत कानी होगे: सुशील भोले, तारनहार: धर्मेन्द्र निर्मल, बेंगवा के टरर टरर: विट्ठल राम साहू‘निश्छल’, मिटठू मदरसा (रविंद्रनाथ टैगोर की कहानी का छत्तीसगढ़ी अनुवाद): किसान दीवान, व्यंग्य त महूँ बनेव समाज सुधारक: आनंद तिवारी पौराणिक, अपराधी आश्रम में कवि सम्मलेन: कांशीपुरी कुन्दन, छूही के ढूढा: बांके बिहारी शुक्ल, दुर्योधन काबर फेल होथे ? मूल लेखक- प्रभाकर चौबे (हिंदी): अनुवादक- दुरगा प्रसाद पारकर, आवव बियंग लिखन- संजीव तिवारी, आलेख/जीवनी युगप्रवर्तक: हीरालाल काव्योपाध्याय- डॉ. पीसीलाल यादव नाटक चित्रगुप्त के इस्तीफा: नरेंद्र वर्मा, अनुवाद विष्णु भगवान् के पदचिन्ह (Marks of Vishnu)- खुशवंत सिंह: अनुवादक: कुबेर, पद्य- कविता/गीत डॉ. विमल कुमार पाठक, डॉ. जीवन यदु, आचार्य सरोज द्विवेदी, डॉ. पीसीलाल यादव, मुकुंद कौशल, बलदाऊ राम साहू, छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल मुकुंद कौशल, दोहा अरुण कुमार निगम, छत्तीसगढ़ी लोकगाथा अंश अहिमन कैना: संकलन- संजीव तिवारी, उपन्यास अंश आवा: डॉ. पारदेशीराम वर्मा

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राज्य कर्मचारी मन ल लउहे मिलही सातवां वेतनमान

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रायपुर 25 दिसंबर 2016। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह राज्‍य सरकार के कर्मचारी मन ल सातवां वेतनमान देहे के घोषणा करे हें। उमन कहिन के राज्य शासन के स्तर म येकर खातिर उदीम करे जात हे। जमो जरूरी औपचारिकता मन ल लउहे करके सातवां वेतनमान देहे जाही। मुख्यमंत्री ह कहिस के राज्य सरकार अपन कर्मचारी मन ल केन्द्र के अनुरूप सातवां वेतनमान देहे बर सहमत हे। डॉ. सिंह आज मझनिया अपन घर के कार्यालय म छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के प्रतिनिधि मंडल ले गोठ बात करिन। ये अवसर म मुख्यमंत्री ह तुरते मुख्य सचिव ल फोन लगाइन अउ कहिन के फेडरेशन के प्रतिनिधि मंडल ल अलग ले बुला के कर्मचारी हित ले जुरे उंखर जमो मुद्द मन उपर विस्तार ले चर्चा करयं।

मुख्यमंत्री ल आज फेडरेशन के संयोजक सुभाष मिश्रा अउ राज्य कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव के सियानी म प्रतिनिधि मंडल ह अलग-अलग ज्ञापन सौंपिन अउ ये मुद्द मन कोति मुख्‍यमंत्री के ध्‍यान आकर्षित करिन। फेडरेशन के एक ज्ञापन म राज्य म छठवां वेतनमान पावत सरकारी कर्मचारी अउ पेंशनर मन ल केन्द्र के समान एक जुलाई 2016 ले महंगाई भत्ता सात प्रतिशत अतिरिक्त किश्त लउहे देवाए के घलव आग्रह करे गए हे। फेडरेशन के प्रतिनिधि मन मुख्यमंत्री ल बताइन के केन्द्र सरकार ह अपन विभाग, सार्वजनिक उपक्रम अउ स्वायत निकाय म काम करत अउ छठवांं वेतनमान पावत कर्मचारी मन खातिर एक जुलाई 2016 ले महंगाई भत्ता के अतिरिक्त किश्त पहली ही घोषित कर देहे हे।




फेडरेशन के एक ठन आन ज्ञापन म मुख्यमंत्री ले चार स्तरीय पदोन्नत वेतनमान देहे, प्रदेश म सातवांं वेतनमान ल यथाशीघ्र लागू करे, कर्मचारी संगठन मन के मान्यता ल जा के तस रखेे, अधिकारी अउ कर्मचारी के वेतन विसंगति ल तत्काल दूर करे, केन्द्र अउ मध्यप्रदेश जइसे महिला कर्मचारी मन ल प्रसूति अवकाश स्वीकृत करे, लघुवेतन अउ शिक्षक संवर्ग के सेवानिवृत्त आयु अन्य सवंर्ग के आयु ल दू बछर बढ़ाए, प्रशासनिक सुधार आयोग ल सौंपे गे ज्ञापन मन उपर यथाशीघ्र कार्रवाई करे अउ कर्मचारी संघ के पदाधिकारी मन ल मंत्रालय आए-जाये खातिर प्रवेश पत्र के स्थायी व्यवस्था करे संग आन मांग शामिल हे।




ज्ञापन म मुख्यमंत्री ले यहू अनुरोध करे गए हे के नया रायपुर म सरकारी कर्मचारी मन ल उही शर्त अउ रियायत मन उपर नया रायपुर म आवासीय भू-खंड देहे जाए, जेन शर्त अउ रियायत म धरमपुरा म वरिष्ठ अधिकारी मन ल देहे गए हे। मुख्यमंत्री ले मुलाकात बर आए फेडरेशन के प्रतिनिधि मंडल म प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष पी.आर.यादव, डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र टूटेजा, लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष संजय सिंह अउ छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के महामंत्री यशवंत वर्मा संग कई कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि संघरे रहिन। जमो कर्मचारी नेता मन मुख्यमंत्री ल उंखर नेतृत्व म प्रदेश सरकार के तेरा बछर पूरा होए अउ चौउदहवां बछर म सुरूू होए के बधाई दीन। प्रतिनिधि मंडल ह डॉ. सिंह ल उंखर सफल अमेरिका यात्रा अउ आज मनाए गए सुशासन दिवस के घलव बधाई दीन।

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सुशासन दिवस लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम के संग

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रायपुर 25 दिसंबर 2016। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ह आज रईपुर के टाउन हाल म देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जनम दिन म आयोजित ‘सुशासन दिवस’ के कार्यक्रम म शासकीय योजना मन उपर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुति मन ल देखिन। ये अवसर म विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री धरमलाल कौशिक, छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ के अध्यक्ष श्री राधाकृष्ण गुप्ता, राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री चन्द्रशेखर साहू, प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव श्री एन. बैजेन्द्र कुमार, जनसम्पर्क विभाग के सचिव श्री संतोष मिश्रा संग कई संस्था मन के पदाधिकारी अउ अड़बड़ झन जनता उपस्थित रहिन। जनसम्पर्क विभाग ह ये कार्यक्रम के आयोजन करे रहिस।

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पंचायत मंत्री अजय चन्द्राकर ह ‘कार्टूनों में अटल जी’ पुस्तक के करिस विमोचन

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पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अजय चन्द्राकर ह अपन निवास कार्यालय म प्रो. शिवानंद कामड़े के लिखे पुस्तक ‘कार्टूनों में अटल जी’ के विमोचन करिस। ये मौका म कामड़े ह चन्द्राकर जी ल स्वच्छता अभियान उपर आधारित पुस्तक ‘स्वच्छता अभियान’ भेंट करिन। कामड़े ह चन्द्राकर जी ल बताईन के ये उंखर 57वां पुस्तक आए। भारत रत्न ले सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के 92वां जन्म दिन म काली 25 दिसम्बर के दिन ल छत्तीसगढ़ सरकार ह सुशासन दिवस के रूप में मनाइस। इही कड़ी म ये पुस्तक वैभाव प्रकाशन ले प्रकाशित करे गउ हे। कामड़े साहित्य, कला, कार्टून अउ पत्रकारिता म विगत तीनसाल ले अपन विशिष्ट प्रतिभा के सृजन कररत हवंय। कामड़े चार पईत राष्ट्रीय पुरस्कार अउ कतकोन पईत राज्य अलंकरण ले सम्मानित हो गए हें। ये अवसर म लेखक अउ साहित्यकार डॉ. सुशील त्रिवेदी, गिरिश पंकज, डॉ. सुधीर शर्मा, श्रीमती भावना कामड़े अउ गोपाल सोलंकी उपस्थित रहिन।


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छै महीना बर ‘दंगल’ होईस टैक्स फ्री

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह बॉलीवुड फिल्म ‘दंगल’ ल छत्‍तीसगढ़ म 6 महीना बर टैक्स फ्री कर देहे हे। मुख्‍यमंत्री साहेब के आदेश म वाणिज्यिक कर (आबकारी) विभाग ह मंत्रालय ले ये बाबत अधिसूचना जारी कर देहे हे। आबकारी अधिकारी मन बताइन के अधिसूचना के अनुसार ये फीचर फिल्म ल छत्‍तीसगढ़ राज्य के सिनेमा घर मन म देखाये ले छत्तीसगढ़ मनोरंजन शुल्क अउ विज्ञापन कर अधिनियम 1936 के प्रावधान के तहत 6 महीना खातिर छूट देहे गए हे।


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तेरा साल विकास के : गीत

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विकास के गीत : तेरह साल विकास के




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गरीब मुलुक के बड़हर नेता

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हमर देश भर नहीं भलुक पूरा दुनिया के एकेच हाल होगे हवय। हर देश ह अपन देश के कमजोरी ल जनता के आंखी ले लुकाय खातिर दूसर देश म आतंक फैलावत हे। लड़ई-झगरा के ओखी खोज हे अउ बड़े-बड़े बम गोला के धमाका करत हे। चारों मुड़ा हाय-हाय, रांय-रांय।
जेन देश के अस्सी प्रतिशत जनता निच्चट गरीब हे। वो देस के राजा या आज के भाखा म कहीन त नेता ल कइसे होना चाही? जिहां तक लोकतांत्रिक व्यवस्था के मापदण्ड हे त निश्चित रूप ले कोनो न कोनो गरीब मनखे ल ही नेता होना चाही। काबर ते लोकतंत्र के मापदण्ड बहुमत या कहीन, भीड़ हे, त निश्चित रूप ले कोनो भी गरीब-गुरबा ले भरे लोगन के देस के नेता ल कोनो गरीबेच ल होना चाही। फेर हमर देस के लोकतंत्र के सबले बड़े मंदिर जेला हमन सम्मान के साथ संसद घलोक कहिथन तिहां झांकीन त जानबा मिलही के उहां के करीब साढे पांच सौ सांसद मन म 240 सांसद करोड़पति हें। जेमा लोकसभा म 135 अउ राज्य सभा म 105 हें। ए दृश्य ल देखे के बाद तभे तो विदेश राज्य मंत्री शशि थरुर बकबकागे वोला लागिस के ए तो करोड़पति मनके देस आय तभे तो कहि दिस के जेमन कामन (साधारण) श्रेणी म बइठ के कहूं आना-जाना करथें ते मन जनावर बरोबर होथे।




अब ये तो इहां के लोगन के दुर्भाग्य आय के जे मन न देस के बारे म बने गतर के जानयं, समझयं, न देखयं, बूझयं तेन मनला मंत्री-संत्री बना दिए जाथे। शशि थरुर जेन संयुक्त राष्ट्र संघ म राजनयिक रहे हे, वोला एकदम से चुनाव लड़वा के सीधा मंत्री के पद म बइठार दिए जाही त उजबक असन तो गोठियाबेच। करही अरे भाई जेन मनखे ह संयुक्त राष्ट्र संघ म राजनयिक रहे हे। माने दुनिया भर के देश के संगठन जिहां चारों मुड़ा के माल पुआ छकत ले आथे अउ एमन ससन भर दंदोरथें तिहां रेहे बसे मनखे ह वइसनेच तो गोठियाही। ए देश म रहितीस, इहां के लोगन संग उठतीस-बइठतीस, वोकर मन संग मुंहा-चाही करतीस, दु:ख-पीरा ल टमड़तीस अउ वोकर निराकरन के कोनो रद्दा खोजतीस। उंकर मौलिक अधिकार खातिर लड़तीस -झगड़तीस, तब तो जानतीस ए देश के असली चेहरा ल अउ तभे तो वो अकाल के पीरा भोगत देश के नेता के रहन-सहन कइसे होना चाही तेला जानतीस-समझतीस, वइसने गढ़न के संवागा करतीस।




अइसन दृश्य खातिर सिरिफ शशि थरुर भर दोषी नोहय। असल म ए हर इहां के जम्मो राजनेता मन के असली चेहरा या कहिन दोष आय। देश जब ले आजाद होए हे तबले इहां के राजनीति म राक्षसी प्रवृत्ति के घुसपैठ होगे हावय। बड़ा तााुब लागथे जेन देश म गांधी, सुभाष, भगत सिंह, रानी लक्ष्मी बाई ले लेके वीर नारायण सिंह, सुंदर लाल शर्मा, खूबचंद बघेल अउ त्यागमूर्ति ठाकुर प्यारेलाल सिंह जइसे नेता जनमें हें। जे मन भारत महतारी के आजादी खातिर अपन जम्मो चीज बस अउ जीवन ल अरपन कर दिन। उही देस म अब शशि थरुर जइसन नेता मन राज करत हें। न सिरिफ केन्द्र शासन म बइठ के भलुक जम्मो प्रदेश म अउ संगे संग पंचायत अउ नगरीय निकाय जइसे जगा म घलोक। सबो जगा के एके हाल हे- झींको-झींको, टोरो बस। फरक अतके हे, के कोनो कमती झींकत हे त कोनो जादा। फेर इही ह आज के राजनीति अउ नेता मन के मापदण्ड बनगे हे।
कभू-कभू तरूवा काम नइ करय, सोचबे त माथा छरिया जाही तइसे कस लागथे। धरम ग्रंथ मन मा जेन कलजुग के खराए अउ कुछ दिन के बाद ए दुनिया के सिरा जाए के बात पढ़े-सुने ल मिलथे, तेन सिरतोन हो जाही तइसे कस जनाथे। काबर ते सिरिफ ए हमर देश भर नहीं भलुक पूरा दुनिया के एकेच हाल होगे हवय। हर देस म मार-काट अउ झींको-झींको चलत हे। एक देस ह अपन देश के कमजोरी ल जनता के आंखी ले लुकाय खातिर दूसर देश म आतंक फैलावत हे। लड़ई-झगरा के ओखी खोजत हें, अउ बडे-बड़े बम गोला के धमाका करत हे। चारों मुड़ा हाय-हाय, रांय-रांय।




गरीब गुरबा मनखे कइसे जी ही, कइसे बांचही तेन ह गुनउल होगे हे। अइसे म जेन मन थोक-बहुत धन दौलत सकेल डरे हें, पद पावर पहुंचा ले हें, ते मन शशि थरुर कस बोली तो बोलबे करहीं। एक बात अलग आय के वोकरे पारटी के मुखिया ह सादगी म जीवन जीए के संदेश देवत हे। खुदो उही रद्दा म रेंगत हे। फेर कोन जनी ए नेता मन कोन माटी के बने होथें ते उनला ककरो बात सुनाबे नइ करय। उनला कुछु जनाबे नइ करय।

सुशील भोले
41191, डॉ. बघेल गली, संजय नगर
टिकरापारा रायपुर

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पंथी नर्तक देवदास बंजारे के स्मृति म चालू होही राज्‍य पुरस्कार

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27 दिसम्‍बर, 2016। छत्तीसगढ़ के पंथी नृत्य ल देश विदेश के मंच मन म प्रसिद्धि देवईया पंथी नर्तक स्व. देवदास बंजारे के स्मृति म छत्तीसगढ़ सरकार पुरस्कार करईया हे। ये घोषणा राज्य के पर्यटन अउ संस्कृति मंत्री दयाल दास बघेल ह करिस। बेमेतरा जिले के तहसील मुख्यालय नवागढ़ म गुरू घासीदास लोककला महोत्सव 2016 के शुभारंभ समारोह म मंत्री जी ह ये घोषणा करिन। समारोह म गिरौदपुरी धाम के जगतगुरू विजय कुमार गुरू मुख्य अतिथि के रूप म शामिल रहिन। पंथी नृत्य प्रतियोगिता के आयोजन राज्य सरकार के पर्यटन संस्कृति अउ पर्यटन विभाग अउ अनुसूचित जाति विकास विभाग कोति ले करे गए रहिस हे। प्रदेश के कई जिला ले अंदाजन 300 पंथी नृतर्क दल मन ये प्रतियोगिता खातिर अपन पंजीयन करवाये रहिन।

ये प्रतियोगिता के पहिली पुरस्कार के रूप म 1 लाख 51 हजार रूपया, दूसरा पुरस्कार के रूप म 1 लाख 1 हजार रूपया अउ तीसरईया पुरस्कार के रूप म 75 हजार रूपए देहे जाही। एकर अलावा प्रतियोगिता म शामिल जमो पंथी दल मन ल दू-दू हजार रूपया संत्वाना पुरस्कार घलव देहे जाही। संस्‍कृति संचालनालय के संचालक श्री मिश्र जी ह बताईन के प्रतियोगिता म शामिल दल मन म जउन उत्कृष्ट प्रदर्शन करहीं तेला चिन्हांकित करके संस्कृति विभाग पंथी नृत्य प्रदर्शन खातिर विदेश भेजही। ये कार्यक्रम के शुभारंभ समारोह म पर्यटन अउ संस्कृति मंत्री बघेल कहिस के छत्तीसगढ़ के विश्व प्रसिद्ध पंथी नृत्य के माध्यम ले गुरू घासीदास के सत्य अहिंसा के संदेश जन-जन तक पहुंचथे। प्रदेश म 18 दिसम्बर ले 31 दिसम्बर तक अलग-अलग जघा म परम पूज्य बाबा गुरू घासीदास जयंती समारोह के आयोजन करे जावत हे।




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चुनाव ल देखत भाजपा ह साधत हे अप्रवासी प्रदेशवासी मन ल

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27 दिसम्‍बर, 2016। भारतीय जनता पार्टी ह दू बछर पाछू होवईया विधानसभा चुनाव बर अभी ले तइयारी सुरू कर देहे हे। येकरे खातिर भाजपा ह विदेश म रहईया छत्तीसगढिय़ा मन ल अपन जर ले जोरे खातिर अभियान चलाही। भाजपा के विदेश संपर्क विभाग ये उदीम म लग गए हे। विभाग एकर खातिर टेलीफोन डायरेक्टरी बनाही अउ विदेश म छत्तीसगढ़ के कलाकृती मन ल बेंचे खातिर नवा बजार खोजे के घलव उदीम करही। भाजपा विदेश संपर्क विभाग के बइठक म भाजपा यूएसए के पहिली के अध्यक्ष चंद्रकांत पटेल के अध्यक्षता म ये बड़का फैसला लेहे गईस। पटेल ह कहिन के दुनिया म हमार संस्कृतिक एकता के सम्‍मान हर-हमेसा रहिही। हमार जरी छत्तीसगढ़ ले जुड़े हे, येकर खातिर हमार जिम्मेदारी बनथे के, छत्तीसगढ़ ले दूरिहा सात समुदंर पार रहत अपन मन ल भाजपा ले जोरे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अउ सशक्त भारत सशक्त भाजपा बनाये के अभियान ल मजबूत करे जाय।




विदेश संपर्क विभाग के संयोजक अउ पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू ह कहिन के विदेश म रहईया अपन मन ल छत्तीसगढ़ के माटी ले जोड़े के अभियान के शुरूआत हो गए हे। विदेश म रहइया छत्तीसगढ़ के उद्यमी, छात्र अउ एनआरआई मन ल भाजपा ले जोड़के हम समृद्धशाली छत्तीसगढ़ के परिकल्पना करत हन। ये कदम ले निवेश ल घलव बढ़ावा मिलही।

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लक्ष्‍मण मस्‍तुरिया के कविता : आडियो

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अनियाव सहय अउ देखय समझय वो तो कायर आए बहादुर नोहे
आघू पांव परे पाछू घात करे वो बइरी रे सगा पाहुन नोहे
जाके जंग म खेलय होरी असली वोही लाल लहू ये महाउर नोहे







(Chhattisgarhi Kavita Fagun by Laxman Masturiya लक्ष्‍मण मस्‍तूरिया की छत्‍तीसगढ़ी कविता)



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मोर गांव मया-प्रेम के

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मोर गांव हवे अबड़ बढिय़ा,
बोहवत नदिया, सुहावत तरिया।
मान मनऊला छोटे-बड़े के
‘भेदभाव’ करै न कोना ला
जिहां दया के तरिया छलकत हे
मया-प्रेम के नदिय बोहवत हे
घर-आंगन सब सजे-धजे
आना-जाना लोगन के ले हवे,
गली खोर अऊ संगी संगवारी
बइठे मंदिर के चौरा में संझौती
बने सियान संग बबा बिहारी।
बरजत लइकन ल श्याम बबा,
खेल धलेव बेरा हो मुंधियार
घर जाके सब पढ़त-लिखत रे
दाई-दा के ‘नाव’ गढ़व रे…।
करौ जाव मंदिर में दिया बत्ति
कहथे हमर सगुन बबा हर,
निकाल सुटी नई ते देवन दे बतत्ती।
दाई-माई के करो कइसे बड़ाई,
गली-खोर ल करत हे साफ-सफाई,
गोबर कचरा घुरवा के बांता हे,
गोबर-ानी के देवत छांटा हे,
नई रहे यहां कोनो ह रीता,
सकेलत हे दाई, बटोरत सरीता।
बहिनी-माई के मान बड़ाई,
करे घर द्वारी के साफ-सफाई,
नाकुन देखत हे कचरा घर में,
सास-बहु ल देथे ताना,
आवत देख के बूढ़ी दाई ल,
जोकड़ बबा हर गावत हे गाना।
‘सिरवत’ हे नाती ‘सिखावत’ हेनाना,
हंसी-ठिठोली के संग पारत हाना

अमित कुमार डौंडे
मामा-भांचा,
मुंगेली

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चटनी बनाए ल छत्तीसगढ़ के मंत्री मन ल किसान मन देहीं पताल

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छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सा मन म सड़क म पताल फेंक के अपन विरोध जतावत किसान अब राज्य के मंत्री मन ल पताल बांटहीं। संग म धनिया अऊ मिर्चा के घलोक तोहफा देहीं। अइसन ओ मन कउनों खुशी म नहीं भलुक अपन दुख—दरद बताय खातिर करहीं। आप मन ल हम बता दन के धमधा कोति के किसान मन राजधानी म अपन ये अजूबा प्रदर्शन ले अपन दुख ल जाहिर के तैयारी करत हें। किसान मन के एक बैठक बेरला म 27 दिसंबर को होए रहिस हावय। असल म ये कोति के दानीकोकड़ी, धमधा, साजा, बेमेतरा, बेरला, गंडई, अहिवारा जइसन इलाका के कई सैकड़ा गांव म पताल के कोनो बिसईया नइ मिलत हे। किसान मन बतावत हें के पताल ह उंखर जिंदगी के सुवाद ल बिगाड़ देहे हावय, का पता पताल के चटनी के चटकारा ले मंत्रीजी के जायका संवर जाय। एकरे खातिर किसान मन ये रूप म अपन विरोध जताहीं ताकि मंत्रीजी ल किसान मन के दरद के कुछु अनुभव हो पाही।




आपमन जानत होहू के पाछू हप्तही म किसान मन दू कोरी ले जादा ट्रैक्टर भर पताल मन ल सड़क म उलद के अपन विरोध जताए रहिन। एखर पाछू घलोक उंखर गोहार सरकार के कान तक नइ पहुंचे रहिस। किसान मन के कहना हवय के, ये हाल म तो हमर ये पूरा नवा साल खराब गुजरही। अकेल्ला दुर्ग-बेमेतरा जिला के इलाका म करीब 80 हजार एकड़ म किसान मन पताल के खेती करत हावंय। बड़का पैमाना म पैदावार के पाछू घलोक नुकसान होए के असल कारन इंहा फूड प्रोसेसिंग यूनिट के नइ होना ल माने जावत हावे, संगें—संग इलाका म एक बड़का सब्जी मंडी के घलोक मांग होवत हवय। ये दुनों मांग कई बछर ले पूरा नइ होए हे। ये सब बात ल देखत किसान मन ये अजूबा प्रदर्शन के तरीका ल अपनाए के सोंचे हवंय।




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छत्तीसगढ़ी म शिव महापुराण अऊ शिव कार्तिक महात्म्य

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धार्मिक ग्रंथ शिव महापुराण-शिव कार्तिक महात्म्य अब आप मन छत्तीसगढ़ी म घलोक पढ़ सकहू।





छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग ए दुनों धर्मग्रंथ मन के छत्तीसगढ़ी म अनुवाद करवाये हावे। 28 जनवरी 2017 के तारीख म राजिम म होवईया आयोग के पांचवां प्रांतीय सम्मेलन म एकर विमोचन होही। पांचवा प्रांतीय सम्मेलन पूर्व सांसद अउ संत कवि पवन दीवान ल समर्पित होही। शिव महापुराण के अनुवाद साहित्यकार गीता शर्मा अऊ शिव कार्तिक महात्म्य के अनुवाद साहित्यकार गिरजा शर्मा ह करे हावंय। पाछू बछर आयोग ह फैसला लेहे रहिस के हर एक साल दू ठन धार्मिक ग्रंथ के छत्तीसगढ़ी म अनुवाद होही अउ ओला प्रकाशित करवाये जाही। आयोग ह शिव महापुराण अउ शिव कार्तिक महात्म्य के एक-एक हजार प्रति प्रकाशित करवावत हे। ये ग्रंथ ल बेंचें नई जाय, भलुक ये ह आयोग कार्यालय ले उन मन ल देहे जाही, जउन मन धार्मिक ग्रंथ मन के महत्व ल समझथें। आयोग इकर चयन अपन स्वयं के पैमाना ले करही।




आयोग ह हिन्दू धर्म ग्रंथ के संगें—संग कुरान के घलोक छत्तीसगढ़ी म अनुवाद करवाए के फैसला ले हावे, एखर खातिर साहित्यकार मन ल गिलोली करे गए हवय, फेर उंखर मन मेर अनुबंध करे जाही। सुरेंद्र दुबे, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग ह पत्रकार मन ल बताये हें के आयोग हर डॉ. भीमराव अंबेडकर के रचे भारतीय संविधान ल छत्तीसगढ़ी म अनुवाद करवाए के निर्णय घलोक ले हावे, येमा अभी लंबा समय लगही, काबर के येमा जटिलता बहुत हावय। कहूं ये वाले प्रयास सफल हो जाही त आयोग अऊ छत्तीसगढ़ सरकार, भारत सरकार के आघू छत्तीसगढ़ी ल आठवां अनुसूची म सामिल करे के दावेदारी प्रमुखता ले कर सकही।




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फेसबुक म दोस्ती, बिहाव फेर गहना-गुरिया धरके भाग गए बिहाता

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पाछू दिनन ग्वालियर म एक लड़का के लड़की संग फेसबुक म दोस्ती हो गे अऊ गोठ-बात करत प्यार हो गीस। अड़बड़ दिन ले चेट करे के पाछू दूनों मन बिहाव कर लीन। बिहाव के चार बछर पाछू पता चलिस के लड़की पहिलीच ले शादी शुदा हवे। जइसे राज खुलिस लड़की घर म रखे जेवर, नकदी समेट के भगा गे। एखर बाद रीवा मं युवती हर अपनेेच पति के खिलाफ अपहरण अउ दुष्कर्म के मामला दर्ज करा दीस। पाछू एक बरिस ले लड़की अपन उही पति ल ब्लैकमेल करके दस लाख रुपए के मांग करत हे।




गोला के मंदिर थाना कोति हनुमान नगर म रहईया 27 बछर के अमरनाथ शर्मा कम्प्यूटर कोचिंग के संचालक हे। साल 2009 म दिल्ली म एक कार्यक्रम म ओला रूपा तिवारी नाम के रीवां निवासी एक लड़की मिलीस। दिल्ली म मुलाकात के पाछू दुनों ह एक दूसरे लेे फेसबुक म चेट शुरू कर दीन। दुनों के बीच पहिली बने दोस्ती होइस फेर मोहब्बत हो गए। लड़की ह अपन आप ल कुवांरी बतायेे रहिस। साल 2010 म दुनों हर ग्वालियर के एक आर्य समाज मंदिर मं बिहाव कर लीन। बिहाव के पाछू थाोकन दिन तक सब ठीक-ठाक चि‍लिस। तहां सन 2014 के शुरू म अमरनाथ ल पता चलिस के रूपा तिवारी पहिली ले ही शादी शुदा हावे। अमरनाथ संग शादी करे के एक साल पहिली रूपा हर पहली शादी कर डरेे रहिस हे। जब अमरनाथ ल ए धोखा के बारे म पता चलिस त वो ह रूपा ल कहिस तहां उंखर बीच झगरा सुरू हो गे।

दुसर बिहाव के पोल-पट्टी खुले के बाद लड़की 87 हजार रुपए नकद अउ गहना-गुरिया समेट के भाग गए। एती अमरनाथ कुछ समझ पातीस ओखर पहिली लड़की ह रीवा जिला के एक थाना म अपन अपहरण व दुष्कर्म के मामला कथित पति के विरूद्ध दर्ज करा दीस। जेमा अमरनाथ अउ ओखर परिवार वाले मन ल आरोपी बनाय गीस। ये चक्‍कर म उमन ल कोर्ट ले अपन जमानत लेके बाहिर आए ल परिस।




जमानत म रिहा होए के बाद जब पीड़ित अमरनाथ हर अपन संग होए धोखाधड़ी अउ पत्नी के गहना-गुरिया धरके भागेे के शिकायत बर पुलिस मेर कई पईत गीस त पुलिस ओखर नइ सुनीस। हार ख के तब ओ हर कोर्ट मं मामला के शिकायत करिस। कोर्ट हर मामला ल सही मानत गोला के मंदिर थाना पुलिस ल तुरतेे धोखाधड़ी के मामला दर्ज करे के आदेस दीस। तेकर पाछू पुलिस हर रूपा तिवारी पुत्री इन्द्रशेखर निवासी रामलीला मैदान रीवा के खिलाफ अमानत म खयानत के मामला दर्ज करीस। अभी मामला चलत हवय।

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नई होईस बड़का धमाका : नोटबंदी के आखिरी दिन प्रधान मंत्री के घोषणा

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प्रधानमंत्री मोदी ह आज रतिहा देश के जनता ल अपन संदेस दीन। जम्‍मो झन 8 नवंबर कस कोनों नवा झटका के अगोरा म रहिन फेर मोदी ह कोनों बड़का धमाका नई करिन। अपन भासन म उमन खाल्‍हे म देहे असल गोठ करिन –




शहर के मनखे मन खातिर नौ लाख के कर्ज उपर चार परसेंट के छूूट मिलही अउ उमन ल बारा लाख के कर्जा उपर तीन परसेंट के दे जाही।
गांव के मनखे मन ल अपन घर ल बढ़ाए या चतवारे खातिर दू लाख रूपया करजा देहे जाही जेकर उपर 3 परसेंट के छूट देहे जाही।
जउन किसान मन रबी फसल खातिर करजा लेहे रहिन ओमा साठ दिन के ब्याज सरकार स्‍वयं वहन करही।
तीन करोड़ किसान मन के क्रेडिट कार्ड ल रूपे कार्ड म बदलेे जाही एकर ले किसान मन कहूं भी खरीद-बिक्री कर सकहीं।
छोटे व्यापारी मन के क्रेडिट गारंटी बढ़ा के एक करोड़ ले दू करोड़ रुपयाा कर देहे गए हे।
डिजिटल माध्यम ले ट्रांजक्शन के टैक्स के हिसाब जउन पहिली आठ परसेंट रहिस वो अब छै परसेंट म करे जाही। एकर ले व्यापारी मन उपर टैक्स के बोझा कम होही।
वरिष्ठ नागरिक मन ल साढ़े सात लाख रुपए तक के रकम म दा बछर तक बर सालाना आठ परसेंट के दर ले ब्याज मिलही, जेला वो ह हर महीनाा निकाल सकहीं।
देश के साढ़े छै सौ ले ज्यादा जिला मन म सरकार गर्भवती महिला मन ल पंजीकरण, डिलिवरी, टीकाकरण खातिर छै हजार रुपयाा के मदद दहि।




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