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छत्तीसगढ़ी भाषा में रिश्ते-नाते

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Family relations in Chhattisgarhi. Learn the Names of Relatives in the Chhattisgarhi – Hindi – English Language.





दाई / महतारी / दइ = माँ (Mother)
ददा = पिता (Father)
बबा = दादा (Paternal Grandfather)
डोकरीदाई = दादी (Paternal Grandmother)
कका = चाचा (Father’s Younger Brother)
काकी = चाची (Father’s Younger Brother’s Wife)
नानी / आजी, ममादाई = नानी (Maternal Grandmother)
नाना /आजा बबा = नाना (Maternal Grandfather)
मौसी दाई = सौतेली माँ (Step Mother)
मौसी = मौसी (Mother’s Sister)
मौसा = मौसा (Mother’s Sister’s Husband)
ममा = मामा (Mother’s Brother)
मामी = मामी (Mother’s Brother’ Wife)




भई / भईया = माई (Brother)
भौजी = भाभी (Brother’s Wife)
बहिनी / दीदी = बहन (Sister)
बहनोई = छोटी बहन का पति (Brother-in-law)
जीजा = बंडी बहन का पति -जीजा (Sister’s Husband)
फूफा = पिता की बहन का पति (Father’s Sister’s Husband)
फुफु दीदी बुआ = पिता की बहन (Father’s Sister)
ससुर = ससुर (Wife’s/ Husband’s Father)
सास = सास (Wife’s/ Husband’s Mother)
पत्तो / बहुरिया = बहू (Daughter in Law)
बहु = बेटे की पत्नी (Daughter in Law)
सारी = साली (Wife’s Sister)
सारा = साला (Wife’s Brother)
डेढ़ सास = पत्नी की बङी बहन (Wife’s elder Brother’s Wife)
डेढ़ सारा = पत्नी का बडा भाई (Wife’s elder Brother)
साढू = साली डेढ सास का पति (Wife’s Sister’s Husband)
सरहज = साला डेढ साला की पत्नी (Wife’s Brother’s Wife)
ननंद = पति की बहन (Husband’s Sister)
नंदोई = पति के बहन का पति (Husband’s Sister’s Husband)
कूरा ससूर / जेठ = पति का बड भाई (Husband’s elder Brother)
देवर = पति का छोटा भाई (Husband’s younger Brother)
देवरानी = देवर की पत्नी (Husband’s younger Brother’s Wife)
जेठानी = जेठ की पत्नी (Husband’s elder Brother’s Wife)
ममा ससुर = पत्नी/पति का मामा (Wife’s/Husband’s Uncle)
मामी सास = पत्नी/पति की मामी (Wife’s/Husband’s aunt)
मौसा ससुर = पत्नी/पति का मौसा (Wife’s/Husband warts)
मौसी सास = पत्नी/पति की मौसी (Wife’s/Husband’s aunt)




नना ससुर = पत्नी/पति का नाना
नानी सास = पत्नी/पति की नानी
कका ससुर = पत्नी/पति का चाचा
काकी सास = पत्नी/पति की चाची
फूफा ससुर = पत्नी/पति की बूआ का पति
फुफु सास = पत्नी/पति की बूआ
बेटा = बेटा (Son)
बेटी = बेटी (Daughter)
भाईबहू = छोटे भाई की पत्नी
ढेंढा = विवाह की रस्म कराने वाला (जीजा या मामा)
ढेंढिन = विवाह की रस्म कराने वाली (बडी बहन / दीदी या बुआ)
सुआसिन = ससुराल पक्ष की विवाह की रस्म कराने वाली
सुआसा = ससुराल पक्ष का विवाह की रस्म कराने वाला
बिहइ = विवाह कर लायी गई पत्नी
उदढरिया = भगाकर लायी गई पत्नी
मितान, गियाँ = मित्र (Friend)
डौकी /गोसइन /घरवाली / सुआरी / = पत्नी (Wife)
डौका / गोसइयॉ /घरवाला, लगवार = पति (Husband)

उपर दिये गए शब्‍दों में सुधार या सुझाव देकर भाषा को समृद्ध करने में सहयोग करें.




छत्‍तीसगढ़ी में शरीर के अंग

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सुशील यादव के रचना

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सुनव हमर सरकार

पानी पलोय ओतके ,जतका के दरकार
पनछुटहा सब भाग के ,खबर लिही सरकार

रखव जी लीप पोत के ,साथी तीर-तखार
सफई के अभियान में ,माते हे सरकार

हांका जम के पार दो ,सकलाय गोतियार
सुध लेवय न चेत धरय,काबर जी सरकार

ईद-दिवाली सब मनय,अपने – अपन तिहार
महंगाई ‘बम’ झन फुटय,सुनव हमर सरकार

हमर घर ले नहक के जाबे

कइसने मरे-बिहान हे गा
इही कोती दइहान हे गा

खेत-खार तोर सोन उगले
भाग में हमर गठान हे गा

एसो बादर जम के बरसय
फोकट पानी दुकान हे गा

कीचड़-काचड़, लदर- फदर हे
रसता बहुते असान हे गा

महंगाई के का रोवासी
भाजी-भात अथान हे गा

हमर गाव के हवे चिन्हारी
मनखे जियत मशान हे गा

हमर घर ले नहक के जाबे
सुग्घर बने रेंगान हे गा

कुण्डली

कभू रुखनडा पेड़ ले, आमा पाये चार
दू के चटनी बाँट ले ,दू के डार अचार
दू के डार अचार ,समझय कोनो गवइहां
पडत समय के मार ,ढूढे मिलय न छईहाँ
बीती ताहि बिसार ,सुमर तनिक नाम परभू
रखव ‘सुशील’ विचार ,फलत मिलही पेड़ कभू

उल्लाला

नुन्छुर कस मोला लगय , व्यवहार अउ बात-वचन
कस बिताबो पांच बछर , आगी लगे तुहर शरन

लिख लिख ले अरजी घुमन,चालीस-घर, चार-डहर
कोनो तीर कहाँ मिलय,आश्वासन अमरित -जहर

बिहिनिया कुकरा बासत, भूकत हे हजार कुकुर
कान रुइ गोजाय तुंहर ,लालच दिखय लुहुर-टुपुर

आम आदमी बस कहव , आमा चुहकते रहिबे
संगी मया – पीरा हमर,कोन भाखा कब कहिबे

तीर के हमर आदमी , मुह लुकौना होवत हे
खेत-किसानी छोड़ के ,बीज अपजस बोवत हे

दोहे

नुन्छुर कस मोला लगय ,बात-बानी व्यवहार
कस बिताबो पांच बछर , असकट में सरकार

लिख-लिख ले अरजी घुमन,काखर-काखर द्वार
कोनो तीर कहाँ मिलय,सुनय हमर गोहार

बिहिनिया ले कुकरा बासत,भूकय कुकुर हजार
कान रुइ गोजाय तुंहर , निभय तुहार- हमार

आम आदमी बस कहव ,आमा चुहके दारि
फिर बाद बेहाल करव,मारे-मार तुतारि

सुख के संगवारी हमर ,काबर रहव लुकाय ,
जउन मिले मिल-बाँट के ,देवी भोग-चढ़ाय

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, चिर्पोटी बंगाला
अमसुर होवत राज तुंहरे ,हमरो देश निकाला

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, राजनीति खपचल्हा
दिन बहुरे काखर हे देरी ,होवय नकटा- ठलहा

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, होवय नेता लबरा
सपनावत रहिबे बाँध-बनही ,खनाय रहिथे डबरा

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, दोनों हाथ म लाडू
सूट- पेंट पहिरे खातिर अब , दिल्ली मारो झाड़ू

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,सीखो गा बदमाशी
दारु दुकान खोले मिलही ,परमिट बारामासी

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,गुरतुर जेखर बोली
सब्सीडी एसो रंग मिलही ,खेलेबर जी होली

वेलेंटाइन छत्तीसगढ़ी स्टाइल
छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,मनाव वेलेन्टाइन
जरहा बीडी कान खुचैया,तुम्हला का समझाइन

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,बासा होटल चलबो
जलईया मन के छाती मा,मुंग-मसूर दलबो

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, टुटहा जेखर पनही
वेलेंटाइन राग गवइया , लबरा नेता बनही

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,करव टोटका टोना
वेलेंटाइन गाँव म घुसरत ,बचाव कोना कोना

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, हवय दाम दू पइसा
पान खवातेन वेलेन्टाइन,खोजब पाछू भइसा

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,सूट बूट ला पहिरो
वेलेंटाइन मनाय खातिर,हमर सेती सम्हरो

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, उतरिस घर में डोला
अनारकली, मुमताज, हीरा ,देवव खिताब तोला

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, बजा बजा के दफडा
टूरा के हमरो ताका झांकी , वेलेन्टाइन लफडा

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,जीवरा करय कुल-कुल
डिपरा के रहवइया संगी ,खचका जावय ढुल २

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,टूरा हे खपचल्हा
दाई ददा के बखान सहय,काबर नकटा- ठलहा

सुशील यादव

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नवा बछर म देखावा झन करव तुमन

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नवा बछर मं नवा बिचार अउ संकल्प के संग सबके भलई के काम करना हे





सबले पहिली आप सबो ला नवा बछर के नंगत बधई अउ शुभकामना हावय। मोर अंतस के इही उद्गार हे के सरी संसार हा हांसत-गावत अउ मुसकावत नवा बछर के सुवागत करयं अउ पूरा बछर भर हा बिघन-बाधा के बिन बित जावय। कोनो हा पाछू साल के कोनो गलती ला कोनो गलती ले झन दोहरावय। नवा साल हा दगदग ले, रगरग ले सूरुज कस अंजोर हम सबके जिनगी मा बगरावय अउ अगियान के, गरब-गुमान के अंधियारी ला मेट दय। नवा बछर के सरी दिन हा नवा उछाह, नवा उमंग , नवा खुशी अउ नवा आनंद मा बितय इही उमीद एसो के नवा बछर ले हावय। नवा साल मा नवा सूरुज के नवा बिहान हा सरी संसार भर मा सुख-सांति के नवा-नवा अंजोर बगरावय। पाछू बछर के अधूरा परे कोनो सपना हा आंखी मा काजर कस अंजाय परे हा ए नवा बछर मा सच हो जाय, सकार हो जाय। नवा बछर मा नवा जोस, नवा उरजा के संग नवा कारज करे बर बल मिलत रहय। सत के सरी कारज करे खातिर सबके मन मा बिसवास के संचार सरलग होवय ए नवा बछर मा। पाछू साल के बांचे अटके जम्मो कारज हा नवा बछर मा सिद्ध पर जाय, बिगङ़े बुता हा एसो के बछर मा संवर जाय, सुफल हो जाय। मन मा पाछू साल के गुरतुर सुरता हा बसेरा बना के आगू-आगू खुशी के अगोरा मा अघुवा बनय जउन हा हा नवा बछर मा सबला खच्चित मिलय। मन ले बैर भाव के मइल हा मेटा जाय, सुनता अउ सहजोग के सुग्घर भाव हा सबके अंतस मा समा जाय। लबारी अउ लालच के ए जीवलेवा बीमारी हा जर ले उजर जाय। नवा बछर मा नसा अउ जुआ-चित्ती,सट्टा-पट्टी मा संसार के सरी सुख के अधार खोजइया अटके-भटके मनखे मन ला सत अउ इमान के करम कमई के महत्तम समझ आ जाय नवा साल मा। सइता मा सरी संसार के सुख अउ सुबिधा समाय रथे। पोगरी रपोटे मा कोनो फाइदा नइ हे इहां। सरी सांसारिक जीनिस हा इहां नास होवइया हरय अउ इहंचे छोड़ के परलोक जाना परथे सबला। एखरे सेती मिल बांट के सइता ले सरी सुख-सुबिधा ला भोगना चाही। ए संसार मा सइता ले बढके कोनो सुख नइ हे। अइसन सोच अउ समझ सबके मन मा परमातमा हा भर दय इही नवा बछर के मोर मंगल कामना।




वइसे ए नवा बछर के उत्सव हा भारतीय परमपरा अउ हिन्दू धरम के हिसाब ले नवा बछर नो हे। फेर मनखे के इतिहास मा मनखे हा खुशी मनाय के अउ ओला देखाय के ओखी खोजत रथे। अइसने खुशी मनाय अउ देखाय के सबले जुन्नटहा ओढहर के रुप नवा बछर मनाय के उतसव हा हरय। नवा बछर के अनुभूति हा अंतस मा वइसने हरय जइसे बरसा के पहिली बून्द हा देंह ला छुथे। घर मा पहिलावत लइका के जनम, नवा बिहान के अगवानी मा चिरई-चिरगुन मन के चिहुर,आरुग फूल के महर-महर अउ कोनो बरफ के पहाङ़ ले नान्हे नंदिया के अवतरन ला देख के मन मा अनुभव होथे। खुशी ला नापे के कोनो माधियम नइ हे फेर एला देखाय बताय के एकेच ठन माधियम हावय उतसव मनाना,तिहार मनाना। मनखे दिन-रात के बुता-काम ले हक खा जाथे। थक-हार जाथे। जिनगी मा दरद-पीरा, झंझट-फटफट ले रोजेच भेंट होवत रथे फेर खुशी अउ आनंद मंगल ला खोजे ला परथे। जिनगी मा इही खोज हा उतसव अउ तिहार कहाथे। अइसने एक ठन संसार के सबले बङ़े आनंद तिहार नवा बछर के उतसव हा हरय। उतसव ला सबो चिन्हार-अनचिन्हार संघरा मनाय ले एहा महाउतसव बन जाथे। नवा बछर के तिहार हा हमर भारतीय परमपरा के तिहार नो हे तभो ले आज एला पूरा भारत भर मा बङ़ धूमधाम ले मनाय जाथे। एखर पाछू एके ठन कारन हे के ए धरती हा सबके महतारी हरय अउ सरी संसार हा एखर संतान हरय। जम्मो जग हा एक परवार अउ कुटुंब बरोबर हावय। एखर सेती खुशी मनाय के मउका ला कोनो अपन हाथ ले जावन नइ दँय। लगभग सरी संसार भर हा ए तिहार मा एक परवार बरोबर एकमई होके उतसव मनाथे। ए नवा बछर मनाय के पाछू 4000 बछर जुन्ना इतिहास के कहिनी हावय। नवा साल के उतसव ला तिहार के रुप मा सबले पहिली बेबीलोन शहर मा मनाय गे रहीस। एखर पहिली नवा साल के उत्सव ला 21 मार्च के मनाय जावत रहिस जउन हा बसंत के आये के शुभ समे माने जावत रहीस। पराचीन रोम राज मा घलाव इही समे मा नवा बछर के उतसव मनाय जावत रहीस फेर उहां के तानाशाह जूलियस सीजर हा ईसा के पहिली 45वां बछर मा जब जूलियन कलेंडर के इस्थापना करीन तभे उी समे ले पहिली घांव 1 जनवरी के दिन नवा साल के उत्सव मनाय गीस। अइसन करे बर जूलियस सीजर ला पाछू साल ला याने ईसा पाछू 46वां साल ला 445 दिन के करे ला परीस। तब ले आज तक नवा बछर के उत्सव ला सरी संसार भर मा 1 जनवरी के दिन मनाय ला धर लीन। सरी संसार मा नवा बछर के ए उतसव ला मनाय अउ देखाय के रंग-ढंग भले अलग-अलग हावय, तिथि घलाव अलगेच हावय फेर संदेशा एकेच हावय। जिनगी मा खुशी के पल निकालव अउ वोला हांसी खुशी ले जी भर के जीयव। नवा बछर के सुवागत सबो संघरा नाच-गा के, मउज-मसती करके करथें। संसार के अलग-अलग जघा मा नवा साल के तिहार अलग-अलग तिथि मा मनाय जाथे। नवा बछर के उत्सव मनाय के पाछू सिरिफ इही संदेशा हावय के बीते पाछू के पछतावा झन करव अउ आघू के समे ला झन बिगाड़व। अवइया समे या फेर कही लव संग मा चलइया वरतमान समे ला सोनहा समे बना लव। कभू सुरता आवय बीते समे हा ता कोनो पछतावा झन होवय।




1 जनवरी के दिन संसार के जादा ले जादा जघा मा नवा बछर के उत्सव मनाय जाथे। नवा बछर के शुभ दिन आये के हफ्ता दिन भर पहिली 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस जेला बड़े दिन कहे जाथे बड़ धूमधाम ले मनाय जाथे। बड़े दिन के उत्सव के संगे संग नवा साल के शुभ दिन के सुवागत मा तिहार मनाय के तियारी शुरू हो जाथे। एक दुसर ला बधई दे बर बधई के कारड, उपहार,बधई संदेश ले-दे के,भेजे के पहिली ले तियारी शुरू हो जाथे। पालटी के बेवसथा नवा साल के सुवागत मा पहिली ले हो जाथे। सब्बो झन नवा बछर के अगोरा मा एक गोड़ मा ठाड़हे रथे।

31 दिसम्बर के अधरतिहा 12 बजते साठ सरी संसार भर मा उच्छल-मंगल धूमधाम के संग शुरू हो जाथे। फटक्का फुटे ला धर लेथे, मिठाई बंटे ला धर लेथे चारो डहर। राते कन आनंद-मंगल के बाजा मा खुशी के नाच शुरू हो जाथे। 1 जनवरी के दिन नवा बछर के सुवागत मा नाच-गान, मउज-मसती,पालटी अउ फिलिम के रिंगी-चिंगी सुरुवात संगी-जहुंरिया,परवार अउ लगवार संग हो जाथे। नवा बछर के ए उत्सव के अगोरा सरी संसार ला साल भर ले होथे। नवा साल के ए तिहार हा सरी संसार भर मा सबले बड़का अउ समरिद्ध बनत जावत हावय। आज शहर के संगे संग गांव-गंवई मा घलाव नवा साल के उछाह देखे ला मिलथे। फेर ए नवा साल के तिहार समरिद्धी के संगे-संग दुसित घलो होवत जावत हे। नाच-गान, खान-पान अउ मउज-मसती मा दारु-मास के बेवसथा नवा बछर मा करे के फेशन सुरु होगे हावय। ए अलकरहा मंद-मंउहा अउ मास-मछरी के सेवन के फेसन हा तन-मन-धन बर नसकानी आय। अइसन हिजगहा फेसन ले खुद बांचव अउ दूसरो ला घलाव बचावव। सरल,सवच्छ अउ सवसथ तरीका ले नवा बछर के बधई देवंय अउ लेवंय। कोनो परकार के नसकानी अउ हलकानी काखरो बर कहूं कभू झन होवय। नवा बछर के उत्सव के सारथकता ला बनाय खातिर हमला नवा-नवा बुता-काम करे के संकल्प लेना चाही। सिरिफ संकल्प ले भर ले नवा साल शुभ अउ मंगलमय नइ होवय। एखर बर हमला अपन संकलप ला हर हाल मा पूरा करना चाही। पाछू साल के संकलप के समीक्छा खुद ला अपन आप मा करना चाही। नवा बछर मा नवा सफलता के कहिनी अपन-अपन जिनगी मा लिखना चाही, गढना चाही अउ आगू-आगू बढना चाही। मन मा धीर अउ बिसवास के बीजा बोना चाही अउ वोला सत इमान के पानी पलोना चाही, मिहनत के खातू डारना चाही। ए उदिम मा सिरतोन मा सफलता के मीठ फर हमला मिलही। बिन मिहनत मिले फोकटिहा सुख सुबिधा अउ संपत्ति हा कभू शुभ फलदायी नइ होवय। एखर ले बढिया अपन जांगर ला पेर के करम कमई ले कमाय अलवा-जलवा जीनिस हा घलाव असल सुख-सांति देथे। करिया मन अउ करिया धन हा सरी संसार बर दुखदायी होथे। लालच-लबारी अउ भस्टाचार हा हमला आखिर मा बिनास के रद्दा मा रेंगा के हमर सतियानाश कर देथे।

कन्हैया साहू ‘अमित’
हथनी, भाटापारा



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छत्तीसगढ़ी हाना

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छत्तीसगढ़ी कहावतें (हाना / लोकोक्तियाँ)




अँधरा पादै भैरा जोहारै (अंधा पादे, बहरा जुहार करे)
अँधरा खोजै दू आँखी (अंधा खोजे दो आँख)
अँधवा म कनवा राजा (अँधों में काना राजा)
अक्कल बडे के भैंस (अक्ल बडी की भैंस)
अड्हा बइद प्रान घात (अनाडी वैद्य प्राण घातक होता है)
अपन आँखी म नींद आथै (अपनी आँखों में नींद आती है)
अपन कुरिया घी के पुडिया (अपना घर स्वर्ग समान)
अपन मराए काला बताए (अपनी समस्या किसे बताएँ)
अपन मरे बिन सरग नि दिखय (अपने मरे बिना स्वर्ग दिखायी नहीं देता)
अपन हाथ जगन्नाथ (अपना हाथ जगन्नाथ)
अपन गली म कुकुर घलो बघवा कस नरियाथे (अपनी गली में कुत्ता भी शेर की तरह दहाडता है)
आए नाग पूजै नहीं, भिंभोरा पूजे जाए (आए हुए नाग की पूजा न करके उसके बिल की पूजा करने के लिए जाता है)
आगू के करु बने होथे (पहले की कड्वाहट बाद की कड्वाहट से अच्छी)
आप रुप भोजन, पर रुप सिंगार(आप रुचि भोजन, पर रूचि श्रृंगार)
आए न जाए चतुरा कहाए (आता जाता कुछ नहीं चतुर कहाता है)
उपर म राम-राम, भितर म कसइ काम (मुख में राम बगल में छूरी)
एक कोलिहा हुँआ–हुँआ त सबो कोलिहा हुँआ-हुँआ (एक सियार हुँआ बोला तो सभी सियार हुँआ बोले)
एक जंगल म दू ठिन बाघ नि रहय (एक जंगल में दो शेर नहीं रह सकते)
एक ठन लईका गाँव भर टोनही (एक अनार सौ बिमार)
एक ला माँ एक ला मौसी (भाई भतीजावाद करना)
एक हाथ के खीरा के नौ हाथ बीजा (तिल का ताडड राई का पहाड)
कथरी ओढे घी खाए (खाने के दांत अलग दिखाने के अलग)
कतको करय गुन के न जस (कितना भी करें गुण का न यश का)
कौआ के सरापे गाय नि मरय (कौंआ के श्राप से गाय नहीं मरती)
करिया आखर भैंस बरोबर (काला अक्षर भैंस बराबर)
करेला तेमा नीम चढय (एक तो करेला उस पर नीम चढा)
कहाँ गे कहूँ नहीं काय लाने कछु नहीं (कहाँ गए कहीं नहीं क्या लाए कुछ नहीं)
कहाँ राजा भोज कहाँ गंगवा तेली (कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली)
नंगरा नहाही काला अउ निचोही काला (नंगा नहाएगा क्या और निचोडेगा क्या)
का माछी मारे का हाथ गंधाए (मक्खी मारकर हाथ गंदा करना)
गरियार बइला रेंगथे त मेड्बवा ल फोर के (आलसी कुछ करता नहीं, करता है तो नुकसान करता है)
बाम्हन कुकुर नाउ, जात देख गुर्राउ (प्रतिद्धन्दी से ईष्या करना)
कुकुर के पूछी जब रही टेडगा के टेडगा (कुत्ते की पूँछ कभी सीधी नहीं हो सकती)
कुकुर भूकय हजार हाथी चलय बजार (कुत्ते भोंके हजार, हाथी चले बाजार)
कोरा म लइका गली खोर गोहार (बगल में बच्चा गाँव भर हल्‍ला)
खसू बर तेल नहीं घुडसार.बर दिया (खुजली मे लगाने को तेल नहीं पर घुडसाल में दिया जलाने के लिए तेल चाहिए)
गंगा नहाए ले कुकुर नई तरय (गंगा स्नान करने से कुत्ते को मोक्ष प्राप्त नहीं हो जाता)
गाँव के कुकुर गाँवे डहार (गाँव का कुत्ता गाँव की ओर से ही भोंकता है)
गाँव के जोगी जोगडा आन गाँव के सिद्ध (गाँव का जोगी जोगडा आन गाँव का सिद्ध)
गाँव गे गवार कहाए (गाँव गए गवार कहाए)
गाँव भर सोवै त फक्कड रोटी पोवै (गाँव के सभी लोग सो जाते हैं तो फक्कड रोटी बनाता है)
बढई के खटिया टुटहा के टुटहा (दिया तले अँधेरा)
गुरु तो गुड रहिगे चेला शक्कर होगे (बाप से बेटा सवा शेर)
घर के भेदी लंका छेदी (घर का भेदी लंका ढाए)
घर के कुकरी दार बरोबर (घर की मुर्गी दाल बराबर)
घानी कस किंजरत हे (कोल्हू का बैल बनना)
घी देवत बामहन टेड्वाए (बेवजह नखरे करना)
चट मंगनी पट बिहाव (चट मंगनी पट विवाह)




चटकन के का उधार (थप्पड की क्या उधारी,/क्वथनं किं दरिद्रम)
चमडी जाए फेर दमडी झन जाए (चमङी जाए पर दमङी न जाए)
चार बेटा राम के कौडी के न काम के (चार बेटे राम के कौडी के न काम के)
चिर म कौंआ आदमी म नउँवा (पक्षियों में कौंआ और मनुष्यों मे नाई)
चोर मिलय चंडाल मिलय फेर दगाबाज झिन मिलय (चोर मिले चंडाल मिले किन्तु दगाबाज न मिले)
सिधवा के डौकी सबके भौजी (सीधे व्यक्ति की पत्नी सभी की भाभी)
छानी म चघके होरा (छप्पर पर चढकर होला है)
जइसे जइसे घर दुवार तइसे तइसे फइरका जडसन दाई-ददा तइसन तइसन लडका (जैसा घर वैसा दरवाजा, जैसे मां-बाप वैसे बच्चे)
हूम देके हाथ जरोए (भलाई का जमाना नहीं)
मया के मारे मरे त दूनो कुला जरे (अधिक प्रेम करने से शत्रुता हो जाती है।)
जिहाँ गुर तिहाँ चाँटी (जहाँ गुड वहाँ चींटी)
जेखर घर डउकी सियान तेखर घर मरे बियान (जिसके घर में पत्नी की चलती हो वहाँ पति की मृत्यु हो जाती है)
जेखर बेंदरा तेखरे ले नाचथे (जिसका बंदर उसी से नाचता है)
जेखर लाठी तेखर भैंस (जिसकी लाठी उसकी भैंस)
जइटसन बोही तहसन लूही (जैसा बोएगा वैसा काटेगा)
जोन गरजथे तोन बरसे नहीं (गरजने वाले बरसते नहीं)
जोन तपही तोन खपबे करहि (जो अत्याचार करेगा वह नष्ट होगा)
झांठ उखाने ले मुर्दा हरू नी होय (झांट उखाडने से मुर्दा हल्का नहीं होता)
टठिया न लोटिया फोकट के गौंटिया (थाली न लोटा मुफ्त के जमीदार)
टिटही के थामें ले सरग नि रुकय (अकेला चना भाड्ड नहीं फोड सकता)
रद्दा के खेती अउ रांडी के बेटी (रास्ते की फसल और विधवा की पुत्री का कोई रखवाला नहीं होता)
राजा के अगाडी अउ घोडा के पिछाडी (राजा की अगाडङडी अउ घोडा की पिछाडी)
चोदरी डउकी के बारी ओखी (वेश्या औरत के अनेंक बहाने)
तइहा के गोठ बइहा ले गे (गई बात गणपत के हाथ)
तिन म तेरा म ढोल बजावै डेरा म (कबीरा खडा बाजार में सबकी मांगे खैर, ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर)
म लाडू नि बंधावय (थूक थूक से लड्डू नहीं बंधता है।)
दाँत हे त चना नहीं, चना हे त दाँत नहीं ( दाँत है तो चना नहीं चना है तो दाँत नहीं)
दुब्बर बर दू असाड (गरीबी में आटा गिला)
दूध के जरे ह मही ल फूक के पीथे (दूध का जला छाछ को भी कर पीता है)
दुधारी गरुवा के लातों मीठ (दुधारु गाय की लात भी सुहाती है)
दुरिहा के ढोल सुहावन (दूर के ढोल सुहावने)
धोए मुरई बिन धोए मुरई एके बरोबर (गधा घोडा एक समान)
न उधो के देना न माधो से लेना (न उधो को देना न माधो से लेना)
न गाँव म घर न खार म खेत (न गाँव में घर न खार में खेत)
कतको घी खवा चाँटा के चाँटा (कितना भी खिलाओं अंग नहीं लगेगा)
न मरय न मोटाए (न मरेगा न मोटाएगा)
नकटा के नाक कटाए सवा हाथ बाढय (नक्टे की नाक कटी परन्तु वह सवा हाथ बढ गयी)
नानकुन मुह बडे-बडे गोठ (छोटा मुँह बडी बात)
नीच जात पद पाए हागत घानी गीत गाए (तुच्छ को पदवी मिल जाती है तो वह अभिमानी हो जाता है)
नौ हाथ के लुगरा पहिरे तभो टांग उघरा (नौ हांथ लम्बी साडी पहनने पर भी पैर नंगे)
पर भरोसा तीन परोसा (पराधीन सपनेहू सुख नाही)
सही बात के गांड गवाही (सांच को आंच नहीं)




फोकट के पाए त मरत ले खाए (फोकट के चंदन घिस मेरे नंदन)
बर न बिहाव छट्ठी बर धान कुटाए (शादी न ब्याह छठी के लिए धान कुटाए)
जादा मीट म कीरा परय (अति परिचयात् अवज्ञा)
बाते के लेना बाते के देना (ब्यर्थ बकवास करना)
बाप मारिस मेचका बेटा तीरंदाज (बाप ने मारी मेंढकी बेटा तीरंदाज)
बाप ले बेटा सवासेर (बाप से बेटा सवा शेर)
बिन देखे चोर भाई बरोबर (बिना देखा हुआ चोर भाई बराबर)
बिलई के भाग म सिका टुटय (बिल्ली के भाग्य से टूटा)
बुढतकाल के लट्डका सबके दुलरवा (बुढापे का बच्चा सबका प्यारा)
बेंदरा काय जानय आदा के सुवाद (बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद)
भगवान घर देर हे अंधेर नइ ये (भगवान के घर देर है अँधेर नहीं)
भागे भूत के लंगोटी सही (भागे भूत की लंगोटी सही / नहीं मामा से काना मामा)
भूख न चिनहय जात कुजात, नींद न चिनहय अवघट घाट (भूख जात कुजात की और नींद अच्छे बुरे स्थान की पहचान नहीं करती)
भंइस के आघू बिन बजाए भैंइस बइठे पगराए (भैंस के आगे बिन बजाए भैंस रही पगुराए)
दान के बछिया के दाँत नि गिने जाए (दान की वस्तुओं का मूल्यांकन नहीं किया जाता)
मार के देखे भुतवा काँपे (मार से भूत भी काँपता है)
मुड मुडाए त छुरा ल का डराए (ओखली में सिर दिया तो मूसल से क्या डरना)
ररूहा खोजय दार भात (दरिद्र को सिर्फ खाना चाहिए)
राखही राम त लेगही कोन, लेगही राम त राखही कोन (जाको राखै साईयाँ मार सकै न कोय, बाल न बाँका कर सकै चाहे जग बैरी होय)
रात भर गाडा फाँदे, कुकदा के कुकदा (रात भर गाडी चलाई जहाँ के तहाँ)
रात भर रमायन पढिस, बिहनियाँ, पूछिस राम सीता कोन ए त भाई बहिनी (रात भर रामायण पढी, सुबह पूछा कि राम सीता कौन तो बताया भाई-बहन)
रुपया ला रुपया कमाथे (रुपए को रुपया कमाता है)
लंका म सोन के भूति (लंका में सोने की मजदूरी)
लटका जांग म हाग दिही त जांग ल थोरे काट देबे (यदि बच्चा जांग पर मल त्याग कर दे तो जांघ को थोडे ही काट देते हैं)
लबरा घर खाए त पतियाए (झूठे की खाए तभी विश्वास करे)
लात के देवता बात म नइ मानय (लातों के भूत बातों से नहीं मानते)
लाद दे लदा दे छे कोस रेंगा दे (लाद दो लदा दो छह कोस पहुँचा दो)
संझा के झडि बिहनिया के झगरा (शाम की झडी और सुबह का झगडा)
सबो कुकुर गंगा चल दिही त पतरी ल कोन चाटही (सब कुत्ते गंगा चले जायेंगे तो पत्तल कौन चाटेगा)
सबो अंगरी बरोबर नइ होवय (सभी अंगुलियाँ बराबर नहीं होतीं)
सरहा मछरी तरीया ला बसवाथे (एक सडी मछली पूरे तालाब को गंदा करती है)
सस्ती रोवय घेरी-फेरी महँगी रोवय एक बेर (सस्ता रोए बार-बार रोए एक बार)
जोन सहही तेकर लहही (जो सहेगा वह टिकेगा)
सांझी के बइडला किरा के मरय (सांझे का बैल कीडे पडकर मरता है)
सावन मं आँखी फुटिस हरियर के हरियर (सावन के अंधे को हरा ही हरा सूझता है)
सास लट्कोरी, बहू सगा आइस तउनो लइकोरी (जब सभी कामचोर हों तो काम कभी पूरा नहीं होता)
सीखाए पूत दरबार न् चढय (सीखाया हुआ पुत्र दरबार नहीं चढता)
सौ ठन बोकरा अउ झांपी के डोकरा (एक अनुभवी सौ नवसिखियों पर भारी पडता है)
सुनय सबके करय अपन मन के (सुने सबकी करे अपने मन की)
सूते के बेर मूते ल जाए, उठ उठ के घुघरी खाए (सोने के वक्त पेशाब करने जाता है और उठ उठ कर घुघरी खाता है)
सोझ अंगरी म घी नई निकरय (सीधी अंगुलि से घी नहीं निकलता)
सौ ठन सोनार के त एक ठन लोहार के (सौ सुनार की तो एक लोहार की)
सोवय तउन खोवय, जागय मउन पावय (जो सोया वह खोया, जो जागा सो पाया)
हगरी के खाए त खाए फेर उटकी के झन खाए (एहसान फरामोशों से कुछ नहीं लेना चाहिए)
हाथी के पेट म सोंहारी (ऊँट के मुँह में जीरा)
हाथी बुलक गे पूछी लटक गे (हाथी निकल गया पूँछ रह गयी)
आवन लगे बरात त ओटन लगे कपास (बारात आने पर आरती के लिए कपास ओटने चले)
कुँआर करेला, कातिक दही, मरही नही त परही सही (क्वार में करेला और कार्तिक में दही खाने वाला यदि मरेगा नहीं तो बीमार अवश्य पडेगा)
पीठ ल मार ले त मार ले फेर पेट ल झन मारय (किसी के पेट पर लात मारना ठीक नहीं)
बिन रोए दाई घलो दूध नई पियावय (बच्चे के रोए बिना माँ भी दूध नहीं पिलाती)
मुड मुडाए देरी नइ ए करा बरसे लागिस (आसमान से टपके, खजूर पर अटके)
हर्रा लगय न फिटकरी रंग चोखा (मुफ्त में अच्छा काम हो जाना)



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छत्तीसगढ़ी भांजरा

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छत्तीसगढ़ी के मुहावरे

अकल लगाना = विचार करना
अंगठी देखाना = उंगली दिखाना
अंग म लगना = अंग में लगना
अंगरी जरना = उंगली जलना
अंधियारी कुरिया = अंधेरी कोठरी
अइसे के तइसे करना = ऐसी की तैसी करना
अकल के अंधवा होना = अक्ल का अंधा होना
अजर-गजर खाना = अलाय–बलाय खाना
अद्धर करना = अलग करना
अपन घर के बडे होना = अपने घर का बडा होना
आँखी-आँखी झूलना = आँखों ही आँखों में झूलना
आँखी-कान मूंदना = आँख-कान मूंदना
आँखी के कचरा = आँख का कचरा
आँखी के तारा = आँख का तारा
आँखी = आँख गडाना
आँखी गुडेरना = आँख दिखाकर क्रोध करना
आँखी फरकना = आँख फडकना
आँखी फार फार के देखना = आँखें फाड फाडकर देखना
आँखी म समाना = आँख में समाना
आँखी मटकाना = आँख मटकाना
आँखी मारना = आँख मारना
आँखी मिलना = आँखें मिलना




आँसू पी के रहि जाना = आँसू पीकर रह जाना
आगी उगलना = आग उगलना
आगी देना = आग देना
आगी बूताना = आग बुझाना
आगी म घी डारना =ऱ आग में घी डालना
आगी म मूतना = आग में मूतना
आगी लगना = आग लगना
आगी लगाके तमासा देखना = भग लगाकर तमाशा देखना
आघू-पीछु करना = हीला हवाला न करना
आघू-पीछु घुमना = चमचागिरी करना घुमना
आडी के काडी नि करना = कोई काम न करना
आन के तान होना = कुछ का कुछ हो जाना
आसन डोलना = आसन डोलना
आसरा खोजना = सहारा खोजना
इज्जत कमाना = इज्जत कमाना
उबुक चुकुक होना = डूबना उतराना
उलटा पाठ पढाना = उल्टा पाठ पढाना
एडी के रिस तरवा म चढना = अत्यधिक क्रोधित होना
एक कान ले सुनना = एक कान से सुनकर
दुसर कान से बोहा देना = दूसरे कान से निकाल देना
एक खेत के ढेला होना = एक खेत का ढेला होना
एक ताग नि उखाड सकना = कुछ भी न बिगाड सकना।
एक दु तीन होना = नौ दो ग्यारह होना
एक हाथ लेना दूसर हाथ देना = बराबरी का सौदा करना
एके लवडी म खेदना एक ही लाठी से हाँकना
एती के बात ओती करना = इधर की बात उधर करना
कचर-कचर करना = बकबक करना
कठवा के बइला = काठ का उल्लू
कन्हियाँ टूटना = कमर टूटना
कमर कसना = कमर कसना
करजा बोडी करना = कर्ज आदि करना
करम फूटना = भाग्य फूटना
करेजा निकलना = कलेजा निकल आना
काटे अंगरी नि मूतना = कटि अंगूली में न मूतना
कान म तेल डारे बइठना = कान में तेल डालकर बैठना
कान ल कौंआ ल जाना = कान को कौंआ ले जाना
कुल के दिया होना = कुल का दीपक होना
कोन खेत के ढेला होना = किस खेत का ढेला होना
कोरा भरना = गोद भरना
कोरा म लेना = गोद में लेना
खटपट होना = यथावत




खटिया धरना = खाट पकडना
खांध देना = कंधा देना
खाक छानना = खाक छानना
खाए के दाँत अलग = खाने के दाँत अलग और
देखाए के दाँत अलग = दिखाने के दाँत अलग होना
खुसुर पुसुर करना = खुसुर फुसुर करना
गंगा नहाना = गंगा स्नान करना
गडे मुरदा उखाङना = गडे मुर्दे उखाङना
गरवा पुछी छुना = गाय की पूँछ छूना
गांड जरना = मलद्धार जरना
गुड गोबर करना = गुड गोबर करना
गोड धोके पीना = पैर धो के पीना
परना = गांठ पडना
घुचुर-पुछुर करना = आगे-पीछे करना
चारी करना = चुगली करना
चुरी उतरना = विधवा होना
चुरी पहिराना = चूडी पहनाना
छाती म दार दरना = छाती पर मूंग दलना
जरे म नून = जले पर नमक छिडकना
जहाँ गुर तहाँ चाँटा होना = जहाँ गुड वहाँ चिंटा होना
जुच्छा हाथ होना = खाली हाथ होना
जे थारी म खाना ओही म छेदा करना = जिस थाली में खाना उसी में छेद करना
झक मारना = झक मारना
टुकुर-टुकुर देखना = टुकुर-टुकुर देखना
पीटना = टिंडोरा पीटना
डेरी हांथ के खेल होना = बाँए हाथ का खेल होना
तिडी-बिडी होना = तितर बितर होना
दाँत ल खिसोरना = दाँत निपोरना
धरती म पाँ नि मढाना = जमीन पर पैर न रखना
नाक कटोना = नाक कटाना
नाक घसरना = नाक रगड्ना
पहुना बनना = मेहमान बनना
पाठ–पीढा लेना = शिक्षा-दीक्षा लेना
पिंजरा के पंछी उड जाना = पिंजरे का पंछी उड जाना
पुदगा नि उखाड सकना = बाल न बाँका कर सकना
पेट म आगी बरना = पेट में चूहे कूदना
पोटार लेना = गले लगना




फूटहा आँखी म नि सुहाना = फूटी आँख न सुहाना
बनी भूति करना = मजदूरी करना
भोरका म गिरना = गडढे में गिरना
माटी के माधो = गोबर गणेश
मीट लबरा होना = मीठी छुरी होना
मुंह करिया कर डारना = मुंह काला कर डालना
मुड्भसरा गिरना = सिर के बल गिरना
मोर चिरई के एक गोड = मेरी मुर्गी की एक टांग
लुगरा चेंदरा तक बेचा जाना = कंगाल हो जाना
एक हंसिया के टेडगा होना = अनुशासन में रखना
हर्रा लागय न फिटकरी = हर्रा लगे न फिटकरी
हाथ उचाना = हाथ उठाना
हाथ झर्राना = पल्ला झाडना
हाडा गोड नि बाचना = हड्डी पसली न बचना।

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धरती ले पहली पईत दूरबीन ले दिखही अकास के खरहेरा

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गांव म डोकरी दाई मन बतावंय के रात कन अकास म खरहेरा उथे। लईकई म आप जमो झन ह ये खरहेरा ल समे-समें म देखे होहू। येला हिन्‍दी म धूमकेतु कहिथें। अकास के जिनिस मन के खोज करईया संस्‍था नासा के वैज्ञानिक मन एसो अकास म उवईया खरहेरा के खोज करे गए हे। ये हफ्ता ये बहुुतेच कम दिखईया खरहेरा मने धूमकेतु ल पहली पईत दूरबीन ले देखेे जा सकही। ये हप्‍ता के बाद ये खरहेरा ह हजारों साल के चक्‍कर मारे बर फेर दूरिहा चल दीही।




नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ स्टडीज के पॉल चोडास ह बताइस के से चारहेरा जेकर नांव धूमकेतु सी-2016यू-1 नियोवाइज हे तेला दूरबीन ले देखे के उदीम करबोन। ये ह बिहनियाले थोकुन पहिली झ़लझ़लहा बेरा म थोकन समें बर उत्‍ती-रकसहूं कोति आकाश म दिखही। ये ह 14 जनवरी के दिन सूरूज के एकदम लकठा माने बुध ग्रह के कक्षा म घुसर जही जेकर पाछू ये ह बहिरा जही अउ हजारों बछर के जात्रा म अछप हो जही।

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डॉ. सी. व्ही. रमन विश्वविद्यालय के कैलेंडर के विमोचन

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डॉ. सी. व्ही. रमन विश्वविद्यालय कोटा बिलासपुर म आयोजित शिक्षक उन्नयन कार्यक्रम म माननीय डॉ विनय कुमार पाठक अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, माननीय श्री धरमलाल कौशिक अध्यक्ष छत्तीसगढ़ भा. ज.पा., श्री बी.के. स्थापक पूर्व कुलपति भिलाई, प्रो. आर.पी. दुबे कुलपति रामन विवि, श्री शैलेष पाण्डेय कुलसचिव रामन विवि के गरिमामय उपस्थिति म विवि के कैलेंडर के विमोचन करे गइस अउ अतिथिमन के उदबोधन होइस। ए मउका म संयोजक डॉ पी. के. नायक, विवेक तिवारी अउ विवि के शिक्षक शिक्षिका मन उपस्थित रहिन।




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अड़हा रईतिस तेने बने ददा

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हमन ल सुने म बढ़िया लगथे की फलाना के लईका ह बिदेश में रहिथे अऊ बड़का कंपनी म मेनेजर हाबय, पईसा तको अपन देश ले जादा मिलथे। त अईसने मोर ममा गाँव के एक किसान जेकर नाव हाबय किसुन तेकर लईका परमेश्वर बड़ होशियार, एकलौता रिहिस, किसुन ममा ह ओकर सबो फरमाईस ल पूरा करय। लागा-बोड़ी करके वोला इंजीनियर के पढ़ाई करवईस। इंजीनियर के डिग्री मिलीच तहा ले परमेश्वर ह नऊकरी बर एती-तेती हाथ पाव मारिस। नऊकरी लगय तहा ले कुछ दिन करय फेर छोड़ दय। दाई ददा ह समझावय फेर परमेश्वर ह ककरो नई सुनय। अपनेच मन के करय, दिन अईसने पहावत गिस अऊ एक दिन ओकर नऊकरी बिदेश के कोनों बड़का कंपनी म लग जथे।




ददा दाई के रोवई ल देखके पड़ोसी मन बोलिस तोर बेटा के नऊकरी बिदेश म लगे हे, तुमन ल खुशी मनाना चाहिए त तुमन रोवत हौ। हमर गाँव अऊ समाज बर बड़ा गरब के बात हे, आजकल का देश, का बिदेश जहाज चढ़हिस तहा ले एके कनिक मा बिदेश ले देश आ जही। जावन दे ग किसुन भाई कईके सबो गाँव के पढ़े लिखे मनखे मन समझईस। परमेश्वर ह अब बिदेश म नऊकरी करे बर धर लिस। शुरू-शुरू में साल में तीन-चार बार बिदेश से गाँव आवत रिहिस। धीरे धीरे गाँव आय बर बंद कर दिस। फोन में हाल-चाल पूछ लय तहा ले मिटका दय। दाई ह ओकर काहय बेटा तोर बर बहु खोजे हौ तोर बिहाव एसो करे बर हे। परमेश्वर ह अपन दाई ल बोल दय पांच साल अभी नई करव कईके, पांच साल अईसने गुजर गे अब तो फोन करय त फोने ल काट दय।




गजब दिन बाद पता चलिस कि परमेश्वर ह उहेंं के लड़की सन बिहाव कर डाले रिहिस अऊ एक लईका तको होगे रिहिस। ये खबर ल सुन के किसुन के हाथे पाँव जुड़ागे, अब तो न बात होवय न तो पईसा भेजय किसुन अऊ ओकर डोकरी ह चिंता फिकर म बस दिन रात गुनत रहय। लईका के मया म महतारी के रोवई-रोवई म आंंखी ह अंधीरियागे, अब तो अईसे होगे बुढत काल म करलई होगे। किसुन ह सोचे बर धर लिस का फायदा अईसन पढ़ई लिखई से जेन पढ़ई म संसकार नईये। अपन दाई ददा से जेला मया नईये, अपन माटी के जेन ल मोल नईये, जेला दाई ददा के बुढ़ापा के फिकर नईये, अपन सुख अऊ पेट ल फोरा पार के जेन लईका ल लायक बनायेव आज वोहा अपन संसकार अऊ संसकिरती ल भुलागे हे। तेकरे सेती काहत हौंं अड़हा रईतिस तेने बने, कम से कम एक लोटा पानी ल तो पियातिस, दाई के कोरा के करजा ल चुकातिस। किसुन ह अतेक टूट गे रिहिस संझा बिहनिया स्कुल के दुवारी में बैठके सबो लईका मन ल काहय, बेटा हो पढव त अईसे पढव जेमे संसकार रहय, अपन दाई ददा के जेमे मान संमान होवय, अऊ अपन देश के माटी से लगाव रहय, नईतो अड़हा राहव तेने बने।

विजेंद्र वर्मा अनजान
ग्राम-नगरगाँव (रायपुर)
मोबाइल-9424106787



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मुख्यमंत्री ह करिस सन् 2017 के सरकारी कैलेण्डर अउ डायरी के विमोचन

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रायपुर 03 जनवरी 2017। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह आज इहां मंत्रालय (महानदी भवन) म राज्य सरकार के कैलेण्डर सन् 2017 के सालाना कैलेण्डर अउ डायरी के विमोचन करिस। एकर छपई अउ प्रकाशन राजस्व विभाग के शासकीय मुद्रणालय ह करे हे। मुख्यमंत्री के कार्यालय म आयोजित विमोचन के छोट‍कुन कार्यक्रम म स्वास्थ्य मंत्री अजय चन्द्राकर, राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री पुन्नूलाल मोहले, स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप, लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशीला साहू, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री दयालदास बघेल, वन मंत्री महेश गागड़ा, मुख्य सचिव विवेक ढांड मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अमन कुमार सिंह, राजस्व विभाग के सचिव के.आर. पिसदा संचालक जनसम्पर्क राजेश सुकुमार टोप्पो घलव उपस्थित रहिन। मुख्यमंत्री ह ये समें म उपस्थित जमो लोगन मन ल नवा बछर के बधाई अउ शुभकामना दीस।

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छत्तीसगढ़ राज्य अल्प संख्यक आयोग के प्रतिनिधि मंडल ह मुख्यमंत्री ले करिस सौजन्य भेंट

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प्रदेश म पंजाबी साहित्य अकादमी के स्थापना के घोषणा खातिर मुख्यमंत्री ल आभार





रायपुर 03 जनवरी 2017। आज संझा इहां मंत्रालय (महानदी भवन) म उकंर कार्यालय म छत्तीसगढ़ राज्य अल्प संख्यक आयोग के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह केम्बों के सियानी म आयोग के प्रतिनिधि मंडल ह सौजन्य मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ले भेंट करिन। उमन छत्तीसगढ़ म पंजाबी साहित्य अकादमी के स्थापना के घोषणा अउ मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अंतर्गत पटना साहिब बर तीर्थ यात्री ट्रेन के व्यवस्था खातिर मुख्यमंत्री ल आभार प्रकट करिन। प्रतिनिधि मंडल म राष्ट्रीय सिख संगत के प्रदेशाध्यक्ष इंदरवीर सिंह बत्रा, उपाध्यक्ष अवतार सिंह बागल संग विजय साहू अउ विनोद मिश्र घलव उपस्थित रहिन। आप मन ल बता दन के सोमवार दू जनवरी के दिन महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशीला साहू ह हरियर झंडा देखाके पटना साहिब बर जवईया तीर्थ यात्री ट्रेन ल दुर्ग ले रवाना करे रहिन हे।




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मुख्यमंत्री के अध्यक्षता म 336 करोड़ के निवेश प्रस्ताव उपर एमओयू

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केन्द्र सरकार के नवरत्न कम्पनी हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कोति ले राज्य म बनाये जाही पीओएल डिपो अउ एक निजी कम्पनी कोति ले नया रायपुर म लगाए जाही एलईडी लाईट निर्माण संयंत्र




रायपुर, 03 जनवरी 2017। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के अध्यक्षता म आज संझा इहां मंत्रालय (महानदी भवन) म आयोजित बैठक म लगभग 336 करोड़ रूपए के पूंजी निवेश खातिर छत्तीसगढ़ सरकार के संग दू समझौता ज्ञापन (एमओयू) उपर दस्‍खत करे गीस। ये समझौता ज्ञापन मन के अनुसार भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के नवरत्न कम्पनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) कोति ले राज्य म पेट्रोलियम, ऑइल अउ लुब्रीकेंट (पीओएल) डिपो के स्थापना करे जाही। एकर खातिर कम्पनी कोति ले 324 करोड़ रूपया के निवेश करे जाही। बैठक म नया रायपुर के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर म एलईडी लाइट बनाए के कारखाना लगाए खातिर छत्तीसगढ़ सरकार अउ निजी क्षेत्र के एक ठन कम्पनी मिलेनियम इन्फ्राटेक के बीच एमओयू होईस। ये प्रोजेक्ट उपर संबंधित कम्पनी कोति ले 12 करोड़ रूपए के पूंजी लगाये जाही। दूनों नवां परियोजना मन म अड़बड़ झन इहां के रहईया मनखे मन ल प्रत्यक्ष अउ अप्रत्यक्ष रोजगार मिलही।

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) कोति ले पीओएल डिपो जांजगीर-चांपा जिले के नया बाराद्वार रेलवे स्टेशन तीर स्थापित करे जाही। ये परियोजना 115 एकड़ म बनही जमा रेलवे स्लाइडिंग घलव शामिल हे। छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (सीएसआईडीसी) कोति ले आगूच ले एचपीसीएल ल 100 एकड़ जमीन आवंटित करे जा चुके हे, संगें-संग ये परियोजना खातिर अकतिहा 15 एकड़ जमीन के आबंटन एको हप्‍ता के भीतर कर दे जाही। ये डिपो के स्थापना ले राज्य के भंडार कोति ईंधन के उपलब्धता सुनिश्चित होही।




छत्तीसगढ़ सरकार कोति ले ये समझौता ज्ञापन मन उपर वाणिज्य और उद्योग विभाग के सचिव सुबोध कुमार सिंह ह, एचपीसीएल कोति ले कार्यपालन निदेशक (संचालन, विपणन और इंजीनियरिंग) अनिल पांडेय अउ मिलेनियम इंफ्राटेक कोति ले कम्पनी के निदेशक नारिंजन जिन्दल ह दस्‍खत करिन। बैठक म छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (सीएसआईडीसी) के अध्यक्ष छगनलाल मूंदड़ा, राज्य सरकार के मुख्य सचिव विवेक ढांड, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक मुकेश कुमार सुराना, छत्तीसगढ़ सरकार के संचालक उद्योग कार्तिकेय गोयल अउ बड़े अधिकारी मन उपस्थित रहिन। हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक मुकेश कुमार सुराना ह बताइस के कम्पनी कोति ले लउहे छत्तीसगढ़ म घरेलू गैस सिलेंडर वाले एलपीजी बॉटलिंग संयंत्र के घलव स्थापना करे जाही।




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समीक्छा : दोहा के रंग

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साहित्य के छंद के अपन अलगे महत्ता हवय। छंद ह साधना के विसय आय, बेरा-बेरा म छत्तीसगढ़ी म छंद लेन के काम होवत रहे हे, फेर आज के नवा पीढ़ी ह छंद के नाव ले सुनके भागथे। अइसन बेरा म रमेेश चौहान के दोहा गीत संगरा- दोहा के रंग के परकासन ये बात द्योतक हे कि अभी घलो छंद के महत्ता कम नइ होय हे, ओकर लिखईया भले कम होगे हे। दोहा के रंग ल चौहान बड़ सुग्घर ढंग ले अलग- अलग खंड म बांट के लिखे हवय। खंड “अ” म दोहा छंद के सिल्प बिधान दे गे हवय। दोहा काला कहिथे, दोहा कतका परकार के होथे, कतका मातरा के होथे, दोहा कईसे लिखे जाथे अउ दोहा लिखे के कोन-कोन से नियम धियम हे तेला विस्तार ले समझाय गे हवय। मात्रिक छंद म मातरा गिने के तरीका, लघु अउ गुरु लगाय के तरीका, तुकांत के नियम, समचरण अउ विषम चरन ल बिस्तार से समझाय गे हवय। अलग-अलग संदर्भ ग्रंथ ले दोहा सिल्प विधान के जानकारी ल चौहान जी बड़ मिहनत ले संग्रहित करे हवय। छंद सिखैया मन बर ये बड़ उपयोगी साबित होही। दोहा- गीत, दोहा-ददरिया, दोहा-सिंहावलोकनी अउ दोहा मुक्तक ल उदाहरन सहित समझाय गे हवय।

खण्ड- “अ” में दोहा छंद के शिल्प विधान दे गे हवय । दोहा काला कहिथे, दोहा कतका परकार के होथे, कतका मातरा के होथे, दोहा कईसे लिखे जाथे अउ दोहा लिखे के कोन-कोन से नियम धियम हे तेला विस्तार ले समझाय गे हवय। मात्रिक छंद म मातरा गिने के तरीका, लघु अउ गुरू लगाय के तरीका, तुकान्त के नियम, सम चरण अउ विषम चरण ल बिस्तार से समझाय गे हवय। अलग अलग संदर्भ ग्रंथ ले दोहा शिल्प विधान के जानकारी ल चौहान जी बड मिहनत ले संग्रहित करे हवय। छंद सिखैया मन बर ये बड उपयोगी साबित होही। दोहा-गीत, दोहा-ददरिया, दोहा-सिंहावलोकनी अउ दोहा मुक्तक ल उदाहरण सहित समझाय गे हवय।

खण्ड- ब ” दोहावली” आय जेमा कुल मिलाके 349 दोहा संग्रहित हवय। दोहा ह अलग-अलग विषय जइसे-अध्यात्म, मया पिरीत, बेजा कब्जा,गाँव अउ किसान, शिक्षक दिवस, मडसम,आतंकवाद, टूटत परिवार, संस्कार,रामकथा, सहिष्णुता,काम बुता सहित अन्य विषय म लिखे गे हवय।

खण्ड “स’ दोहा गीत जेमा कुल 43 गीत समावेशित हवय जेमा अलग-अलग विषय, परिवेश, परब, तीज त्योहार, धार्मिक स्थल आदि ल लेके दोहा गीत रचे गे हवय।

खण्ड “द’ दोहा-ददरिया आय येहा लेखक के नवा प्रयोग आय काबर ददरिया म दोहा के प्रयोग हवय। नायक अउ नायिका के सवाल अउ जवाब दोहा म करे गे हवय जेन ह मोर जानबा म छत्तीसगढी म पहिली प्रयोग आय। खण्ड “‘इ’ म दोहा मुक्तक अउ सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक हवय। पुस्तक के कुछ बानगी देखव :-

मजदूर के पीरा ल देख के चौहान जी लिखथे –

लात परे जब पीठ मा,पीरा कमे जनाय ।
लात पेट मा जब परय,पीरा सहे न जाय ॥।

बेजा कब्जा ले व्यथित होके कवि लिखथे –
तरिया नरवा छेक के ,दे हे ओला पाट ।
कहाँ हवे पानी भला,कहाँ हवे गा घाट ।।

तंबाकू ,मदिरा जइसन दुर्व्यवसन के भयावहता के चित्रण देखव-
दारू मंद के लत लगे,मनखे मर-मर जाय ।
जइसे सुख्वा डार हा, लुकी पाय बर जाय ।।

छ.ग.के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मन के सुग्घर बरनन चौहान जी अपन दोहा म करथे –
दामाखेडा धाम मा,हे साहेब कबीर ।
ज्ञानी ध्यानी मन जिहाँ, बइठे बने फकीर ।।

रमेश चौहान जी नवा पीढी के प्रतिनिधित्व करथे ,छत्तीसगढी साहित्य म छंद विधा ल पोठ करे के काम चौहान जी करे हवय। दोहा गागर म सागर भरे के विधा आय वो दृष्टिकोण से चौहान जी के कुछ दोहा म थोकिन कसावट के जरूरत महसूस करेंव फेर उँकर मेहनत अउ नव प्रयोग सराहनीय हवय। कव्हर पेज सुग्घर कलात्मक हे, कुल मिला के पुस्तक ह संग्रहणीय हे। उन ला बधाई अउ शुभकामना।

अजय अमृतांशु”

साहित्यकार – रमेश चौहान
पुस्तक दोहा के रंग
साहित्यकार -रमेश चौहान
प्रकाशक -वैभव प्रकाशन रायपुर
मूल्य -100/- मात्र




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उज्ज्वला योजना म अभी तक 6.40 लाख गरीब परिवार के महिला मन ल निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन

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मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के अध्यक्षता म समीक्षा बैठक

रायपुर 4 जनवरी 2017। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह आज बिहनिया इहां अपन घर के कार्यालय म आयोजित बैठक म प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के समीक्षा करिस। खाद्य विभाग के अधिकारी मन बैठक म बताताईन के ये योजना के शुरू होए के करीब साढ़े चार महीना के भीतर राज्य म लगभग छह लाख 40 हजार गरीब परिवार मन ल महिला मन के नाम म निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन देहे गए हे। उमन ल डबल बर्नर चूल्हा अउ पहिली सिलेण्डर निःशुल्क देहे गए हे। छत्तीसगढ़ म प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सर्वोच्च प्राथमिकता वाले ये योजना के तहत दू बछर म 25 लाख गरीब परिवार ल सिरिफ 200 रूपए के पंजीयन शुल्क म मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन देहे के लक्ष्य हावय। योजना के शुभारंभ 13 अगस्त को राजधानी रायपुर म मुख्यमंत्री के अध्यक्षता म आयोजित समारोह म केन्द्रीय पेट्रोलियम राज्यमंत्री धर्मेन्द्र प्रधान हर करे रहिस। मुख्यमंत्री ह आज के समीक्षा बैठक म अधिकारी मन ल रसोई गैस कनेक्शन लउहे बांटें के निर्देश दिस। डॉ. सिंह ह कहिस के चालू वित्तीय वर्ष म दस लाख कनेक्शन के वितरण के लक्ष्य हावय। एकर विरूद्ध आयल कंपनिय मन ल 10 लाख 53 हजार आवेदन मिले हे। उमन निर्धारित लक्ष्य के अनुसार मार्च तक दस लाख कनेक्शन के वितरण सुनिश्चित करे के निर्देश दीन।




डॉ. सिंह ह कहिन के रसोई गैस सिलेंडर मन के बॉटलिंग क्षमता बढ़ाए अउ प्रदेश के दुर्गम क्षेत्र मन म रसोई गैस वितरक मन के नियुक्ति के प्रक्रिया म घलव तेजी लाए के जरूरत हवय। बस्तर अउ सरगुजा संभाग सहित आन संभाग मन के दुर्गम क्षेत्र मन म कृषि उपज मंडी समिती मन, सहकारी समिती मन अउ महिला स्व-सहायता समूह मन ल घलव वितरक बनाये जाए। बैठक म अधिकारी मन बताइन के राज्य के दुर्गम क्षेत्र मन म ले सरगुजा संभाग के सात जिला मन म 15 वितरक, सरगुजा संभाग के पांच जिला मन म 14, बिलासपुर संभाग के दो जिला म 9, दुर्ग संभाग के दो जिला म 6 अउ रायपुर संभाग के 3 जिला म 6 नवा रसोई वितरक बनाए जाही। मुख्यमंत्री ह एकर खातिर जमो जरुरी प्रक्रिया ल पूरा करे अउ अप्रैल तक 50 नवा वितरक मन के नियुक्ति सुनिश्चित करे के घलव निर्देश दीस।

खाद्य अधिकारी मन बैठक म बताइन के रायपुर के तिल्दा म भारत पेट्रालियम कंपनी के नवा बाटलिंग प्लांट इही साल सितंबर महीना तक काम करे लगही। एकर संगें-संग कोरबा जिला के गोपालपुर म इंडियन आयल कंपनी अउ हिन्दुस्तान पेट्रालियम कंपनी के नवा बाटलिंग प्लांट जांजगीर म लगाए के कार्रवाई प्रगति म हे। अभी सिलतरा, मंदिर हसौद, रसमड़ा अउ भिटौली म चार बॉटलिंग प्लांट काम करत हे। जेकर हर महीना कुल बाटलिंग क्षमता पंद्रह लाख गैस सिलेंडर के हे। जेला जरुरत के मुताबिक बढ़ाए जा सकत हे। अभी मांग के अनुसार सिलेंडर मन के पर्याप्त आपूर्ति करे जावत हे।




बैठक म इहू बताए गीस के प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना लागू होए के बाद कइ आयल कंपनी मन कोति ले अगस्त महीना म 28 हजार, 380, सितंबर महीना म 83 हजार 775, अक्टूबर महीना म एक लाख 14 हजार 461, माह नवंबर महीना म एक लाख 26 हजार 251 अउ दिसंबर महीना म एक लाख 87 हजार 313 रसोई गैस बांटे गइस। बैठक म मुख्य सचिव विवेक ढांड, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अध्यक्ष अमन कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव सुबोध कुमार, स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव विकासशील, सहकारिता के सचिव डी.डी. सिंह, संचालक जनसंपर्क राजेश सुकुमार टोप्पो, संस्थागत वित्त के संचालक डॉ. कमलप्रीत सिंह, खाद्य विभाग के विशेष सचिव मनोज सोनी, खाद्य विभाग के संचालक नीलम एक्का, अउ उप सचिव शिवानंद तायल संग आयल कंपनी मन के अधिकारी उपस्थित रहिन।




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छत्तीसगढ़ी के सर्वनाम

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मैं / मैं हर (मैं) – मैं दुरूग जावत रहेंव/ मैंं हर दुरूग जावत रहेंव।
हमन (हम) – हमन काली रईपुर जाबो।
तैं / तें हर (तुम) – तैं का करत हस? / तैं हर का करत हस?
तुमन (आप लोग) – तुमन कहां जावत हव। (बहुवचन)/ तुमन बने दिखत हव। (एकवचन)
ओ / ओ हर (वह) – ओ खावत हे। / ओ हर खावत हे।
ओमन (वे) – ओमन नई खईस।
ए,/ एहर (यह) – ए कुकुर आए। / ए हर कुकुर आए। (एकवचन)
एमन (ये) – एमन बिलासपुर ले आवत हें। (बहुवचन)

छत्‍तीसगढ़ी भाषा संबंधी हमारेे इस प्रयास में कोई त्रुटि या कमी हो तो कृपया टिप्‍पणी करके सुझाव देवें।



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नवा बइला के नवा सिंग

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सियान मन के सीख




सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन एक ठन हाना पारय। कहय-बेटा! नवा बइला के नवा सिंग, चल रे बइला टिंगे-टिंग। फेर संगवारी हो हमन उॅखर हाना ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। जब नवा जिनिस के बात आथे तब हमर मन म अपने-आप नवा खुसी के लहरा समा जाथे। चाहे वो नवा बछर होय के नवा घर होय। नवा के नाव लेते हमर मन हरियर हो जाथे। संगवारी हो जब हमर मन म खुसी होथे तब हमर उत्साह घलाव दुगुना हो जाथे अउ जब हमन कोनो काम ला उत्साह के संग करथन तब हमन ला वो काम में सफलता घलाव आसानी से मिल जाथे।




संगवारी हो अगर अंतस ले सोचे जाय त हमर जिनगी के हर स्वास नवा होथे, हमर हर पल, हर छिन नवा होथे, हमर हर दिन, हर महीना, हर बछर नवा होथे काबर के जउन भी समय एक बार गुजर जाथे वो हर फेर लहुट के दुबारा कभू नई आवय। कबीर दास जी के दोहा हावय- स्वास-स्वास में नाम ले, वृथा स्वास मत खोय। न जाने किस स्वास का, आवा होय न होय।। संगवारी हो हमन ला अपन जिनगी के हर पल, हर छिन ला नवा मोहलत समझ के जागृत अवस्था में जी लेना चाही। जब हमन अपन जिनगी ला जागृत अवस्था में जीबो तब हमन सोझ रद्दा म रेंगबो अउ जब हमन अपन हर स्वास ला नवा समझ के जीबोन जब हमर मन मा कतका उत्साह के संचार होही एखर कल्पना नई करे जा सकय। हमर समाज बर, हमर देस बर अउ दुनिया बर भलाई के काम करना आसान नई हे। एखर बर हमन ला बहुत अवरोध-विरोध के सामना करे बर परथे। फेर जेखर जिनगी में नवापन होथे, मन में उत्साह होथे, उमंग होथे ओखर आगू म कोनो बाधा टिक नई पावय। सियान बिना धियान नई होवय। तभे तो उॅखर सीख ला गठिया के धरे मा ही भलाई हावै। सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावै।

रश्मि रामेश्वर गुप्ता



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राजिम महाकुंभ कल्प 10 फरवरी ले

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त्रिवेणी संगम म लक्ष्मण झूला

राजिम महाकुंभ कल्प 10 फरवरी ले 24 फरवरी तक

रायपुर, 05 जनवरी 2017। धार्मिक न्यास और धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ह काली रतिहा छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध तीर्थ राजिम म माघी पून्‍नी ले महाशिवरात्रि तक आयोजित होवईया राजिम महाकुंभ कल्प के तैयारी के समीक्षा करिन। राजिम महाकुंभ 10 फरवरी माघ पून्‍नी ले शुरू होही अउ महाशिवरात्रि के दिन 24 फरवरी को एकर समापन होही।

राज्य शासन कोति ले महानदी, पैरी अउ सोंढूर नदी मन के पवित्र संगम म राजिम के पुरखौती मेला ल सन् 2005 ले कुंभ के रूप म आयोजित करे जात रहिस हे। ये आयोजन के बारा बछर येसाल पूरा होवत हे। येला सुरता राखत इंहा सालाना मेला महाकुंभ कल्प के रूप म मनाये के निर्णय लेहे गए हे। धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री अग्रवाल ह आयोजन स्थल के दौरा घलव करिन अउ राजीव लोचन मंदिर परिसर के तीर संबंधित अधिकारी अउ जनप्रतिनिधी मन के बैठक लीन। अग्रवाल ह बैठक म कहिन के राजिम के त्रिवेणी संगम म कुंभ आयोजन के ये बारवां बछर आए। ये खातिर ये साल महाकुंभ के भव्य स्वरूप म आयोजन होही। अग्रवाल ह कहिन कि राज्य सरकार ह राजिम कुंभ ल संत-महात्मा मन के भावना के अनुरूप कल्प के नाम घलव देहे हे। उमन कहिन के शासकीय विभाग, जनप्रति अउ आम नागरिक मन के सहयोग ले ये साल के आयोजन ल अउ अच्‍छा बनाना हे। उमन बताइन के राज्य सरकार ह त्रिवेणी संगम म लक्ष्मण झूला बनाए खातिर 25 करोड़ रूपया के मंजूरी देहे हे। आगू बछर त्रिवेणी संगम म कुलेश्वर मंदिर ले लोमश ऋषि आश्रम अउ लोमश ऋषि आश्रम ले राजीव लोचन मंदिर परिसर के तीर तक नदिया म सीमेंट कांक्रीट के सड़क बनही। एकर खातिर घलव राज्य सरकार ह 25 करोड़ रूपया पास करे हे।

धार्मिक न्यास मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के अध्यक्षता म जनप्रतिनिधी अउ अधिकारी मन के बैठक के संगें-संग तैयारी मन के समीक्षा

बैठक म पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री दयालदास बघेल, महिला एवं बाल विकास मंत्री अउ गरियाबंद जिला के प्रभारी मंत्री श्रीमती रमशिला साहू, संसदीय सचिव तोखन लाल साहू, संसदीय सचिव गोवर्धन मांझी, अपेक्स बैंक के अध्यक्ष अशोक बजाज, राजिम विधायक संतोष उपाध्याय, जिला पंचायत गरियाबंद के अध्यक्ष श्रीमती श्वेता शर्मा संग स्थानीय जनप्रतिनिधि मन उपस्थित रहिन। इंखर अलावा रायपुर संभाग के कमिश्नर बृजेश चंद्र मिश्रा, कलेक्टर रायपुर ओ.पी. चौधरी, कलेक्टर गरियाबंद श्रीमती श्रुति सिंह, कलेक्टर धमतरी सी.आर. प्रसन्ना अउ रायपुर, महासमुन्द, धमतरी अउ गरियाबंद जिला के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अउ संबंधित विभाग मन के वरिष्ठ अधिकारी घलव बैठक म संघरिन।

धार्मिक न्यास मंत्री अग्रवाल ह कहिन के राजिम कुंभ के बारा बछर होए के सेती ये साल भव्य रूप म आयोजन करे जाही। जेमा विश्व प्रसिद्ध संत-महात्मा मन के प्रवचन होही। महाकुंभ के आयोजन ल देखत हर विभाग ल पाछू बछर ले 25 परसेंट जादा अच्‍छा व्यवस्था सुनिश्चित करना होही। अग्रवाल ह लोक निर्माण विभाग, वन विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, पुलिस विभाग, खाद्य विभाग, स्वास्थ्य विभाग, परिवहन, संस्कृति, पर्यटन, विद्युत विभाग, जल संसाधन विभाग के अधिकारी मन से महाकुंभ के प्रस्तावित तैयारी मन के जानकारी घलव लीन। अग्रवाल ह कहिन के मेला म साफ-सफाई, सुरक्षा, पेयजल, यातायात व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा खातिर विशेष ध्यान देहे के जरूरत हावय। उमन राजिम कोती अवईया अउ जवईया चारो मुड़ा के सड़क मन के मरम्मत करे के आदेस दीन। एकर संगें-संग मेले के दौरान राजिम नवापारा के जमो मंदिर मन अउ संगम के तीनों पुल म अंजोर के सही व्यवस्था करे ल कहिन।

अग्रवाल ह विश्व प्रसिद्ध साधु-संत मन के आगमन ल ध्‍यान म रखत संत-समागम स्थल अउ मुख्य मंच म अउ जादा सुविधा वाले व्यवस्था करे के आदेस दीन। उमन कहिन के जमो विभाग के तैयारी हर हाल म 30 जनवरी तक पूरा हो जाना चाहिए। उमन त्रिवेणी संगम के खाल्‍हे बने एनीकट के साफ-सफाई करे के तको आदेस दीन। उमन बैठक के पाछू मुख्य मंच के निर्माण कार्य के जायजा तको लीन। संस्कृति मंत्री दयालदास बघेल अउ महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशिला साहू ह बैठक में कहिन के राजिम कुंभ के कारन छत्तीसगढ़ के प्रसिद्धी देश-दुनिया म फैले हे। बारवां बछर के आयोजन ल अउ जादा भव्य बनाए खातिर सब के सहयोग के जरूरत हावय। बैठक के आखरी म राजिम विधायक संतोष उपाध्याय ह आभार व्यक्त करिन।

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छत्तीसगढ़ के तीज तिहार- मड़ई मेला

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कोनो तीज तिहार होय, अंचल के रीत-रिवाज जहां के संस्कृति अऊ परम्परा ले जुड़े रथे। सबो तिहार म धार्मिक-सामाजिक संस्कार के संदेश हमला मिलथे। तिहार मनाय ले मनखे के मन म बहुते उमंग देखे जाथे। आज मनखे ला काम बूता के झमेला ले फुरसद नइ मिले। ओला तिहार के ओखी म एक-दू दिन काम-बूता ले उरिन होके घूमे-फिरे अऊ अपन हितु-पिरितु संग मिले भेंटे के मौका मिलथे। तिहार के ओखी घर-दुवार के साफ-सफाई लिपाई-पोताई हो जथे। गांव म डीह डोंगर के देवी देवता के ठऊर ल बने साफ करके लिपई पोतई करथें। देवता धामी के बने मान-गौन होथे तब उहू मन बस्ती अवइया बिघन बाधा बर छाहित रथे। इही पाय के हमर पुरखा मन तीज तिहार मनाय के परम्परा चलाय हें, जेमा एक ठन तिहार गांव के मड़ई मेला ल घलो माने जाथे।
मड़ई मेला परब मनाय के चलन कब ले शुरू होय हे, येखर कोनो ठोस परमान तो नइ मिलय फेर सियान मन अपन पुरखा मन ले सुने मुंहजबानी कथा अइसन किसम के बताथें। द्वापर जुग म भगवान कृष्ण हा देवराज इन्द्र के पूजा नई करके गोबरधन पहाड़ के पूजा करिस, तहान इन्द्र ह अपने अहंकार के मारे मुसलाधार बारिस करके सब गोप-ग्वाल ल विपत म डार दिस। तब भगवान कृष्ण ह अपने छिनी अंगरी म गोबरधन पहाड़ ल उठाके सबके रक्षा करिस। संगे-संग गोप-ग्वाल मन ल अपन-अपन लऊठी पहाड़ म टेकाय बर कहिके एकता म कतका ताकत हे येकर मरम बताइस। ओ दिन विपत ले बांचे के खुशी म गोप-ग्वाल खूब नाचे गाये लगिन। उही दिन ले राऊत नाचा अऊ मड़ई मनाय के परम्परा शुरु होइस।
जिहां तक हमर छत्तीसगढ़ के बात हे, देवारी तिहार म गोबरधन के पूजा करथन। किसान के नवा फसल आथे, ओकर बाद म मड़ई मेला मनाय के सिल-सिला शुरु हो जथे। ओ जुग म भगवान कृष्ण ह प्रकृति के पूजा करके इन्द्र के अहंकार ल टोरिस अऊ ग्वाल बाल के रक्षा करिस तब कृष्ण ल अपन रक्षक मान के ओकर पूजा करिन। उही पाय के आज घलो गऊ माता के चरवाहा मन भगवान के कथा ले जुड़े दोहा बोलथें अऊ नाच-कूद के खुशी मनाथे। अब भगवान कृष्ण के संगे-संग अऊ कतकोन देवी देवता के पूजा अऊ मान गौन करथें। देवी देवता के चिन्हारी के रूप में मड़ई बैरक सिरजा के मड़ई मेला के तिहार ल सामूहिक रूप म मनाय जाथे।




मड़ई मेला के परब हमर जम्मो छत्तीसगढ़ म मनाय जाथे भले विधि-विधान म थोर-बहुत अंतर रथे। ये तिहार ल मनाय के तारीख तिथि पहिली ले तय नइ राहय फेर अतका बात जरूर हे, जे गांव म जौन दिन हाट बजार होथे उही दिन मड़ई मनाथें। जेन नान्हे गांव म हाट बजार नइ होय उहां कोनो दिन अपन सहूलियत देख के मड़ई तिहार मना लेंथे। कोनो-कोनो गांव जिहां हफ्ता म दू बेर हाट बजार लगथे अऊ बस्ती बड़े होथे उहा दू बेर मड़ई मेला के परब मना लेथें। येकर उलट कोनो-कोनो गांव म अपन गांव के परम्परा के मुताबिक कुछ साल के अन्तराल म मनाय जाथे। जइसन के जिला मुख्यालय गरियाबंद म तीन बच्छर म मड़ई मेला मनाय के परम्परा चलत हे। उही जिला के पांडुका गांव म छेरछेरा पुन्नी के बाद अवइया बिरस्पत (गुरुवार) के दिन मड़ई पक्का रथे। कोनो ला बताय के जरूरत नइ राहय। कई ठन गांव म हमर देश के परब गणतंत्र दिवस के दिन बड़ धूमधाम ले मड़ई मेला के तिहार मनाथे।
मड़ई मेला के तइयारी बर गांव के सियान पंच सरपंच एक जगा सकलाथें अऊ एक राय होके चरवाहा मन ला बताथें। दिन तिथि बंधाथे तहान मड़ई मेेला के जोखा गड़वा बाजा, नाच पेखम के बेवस्था अऊ जरूरी जिनिस ल बिसाके लानथे। अलग-अलग गांव म अलग-अलग देवी देवता बिराजे रथे। जइसन के महावीर, शीतला माता, मावली माता, सांहड़ा देवता के संगे-संग गांव के मान्यता के मुताविक अऊ देवी-देवता जेमे बावा देवता, हरदेलाल, राय देवता, नाग-नागिन देवता, बाई देवता अइसने कई किसम के नाव सुनब म आथे, ऊंकरो मान गौन करथें। गांव म कतको झन अपन पुरखौती देवी देवता मानथे जेला देवताहा जंवरहा कथे ओमन मड़ई बैरक राखे रथें उंकरो मान गौन करथें। मंडई म परमुख शीतला माता, मावली माता, महावीर, कोनो के पोगरी देवी देवता के मड़ई रथे। दू ठन कंदई मड़ई रथे जेमा कपड़ा के पालो (ध्वजा) नइ राहय। कंदई मड़ई म कंदई के अनगिनत पालो लगे रथे। डांग (बांस) के बीचोंबीच म चार पांच जगा ढेरा खाप पंक्ति लगा के ओमा मोवा डोरी गांथ के कंदई के पालो लगाय रथे। ओकर ऊपरी फोंक म मयूर पांख के फुंचरा बांधे रथे जेहा सबो मड़ई के शोभा बढ़ाथे।
मंड़ई मेला के परब म पौनी पसारी के मदद लेना बहुत जरूरी रथे। पौनी पसारी म गांव के पुजारी बईगा, किसान के गाय चरवाहा राऊत अऊ देवी देवता के पूजा पाठ बर दोना-पतरी देवइया नाऊ ठाकुर के सहयोग जरूरी होथे। इंकर बिना मड़ई के परब नई मना सकय। मड़ई के कामकाज करइया गांव के अगला मन पूजा पाठ के जिनिस, नरियर, सुपारी, धजा, वइसकी, लिमऊ बंदन, गुलाल, हूम धूप, अगरबत्ती के जोखा कर के राखे रथे। मड़ई के दिन सबले पहिली नरियर सुपारी अऊ बाजा-गाजा संग गांव के बइगा ल नेवता देथें, तब बईगा हा गांव के सब देवी देवता ल जेकर जइसन मान-गौन होथे ओ जिनिस ला भेंट कर के नेवता देथे। तहान गांव के परमुख सियान मन ला पिंवरा चाऊंर अऊ सुपारी भेंट कर के नेवता देथें। मंड़ई के दिन बाजार चौक म बिहिनियां ले दूकान वाला बैपारी मन अपन सामान लान के अपन दुकान सजा के तइयारी कर लेथें। जइसने बेरा चढ़त जाथे ओइसने बाजार के रौनक बढ़ते जाथे। मड़ई म मिठई, दुकान, खिलौना दुकान, मनियारी दुकान, होटल, पानठेला, किराना दुकान अऊ संगे संग साग-भाजी के बेचइया मन के पसरा घलो लगथे। मड़ई के दिन सबो दुकान के सामान खूब बेचाथे। वैपारी मन खूब आमदनी कमाथें। लोगन के मन बहलाय बर ढेलवा रहचुली झुलइया घलो आथें फेर अब ओहा धीरे-धीरे नंदावत हे।




संझाती बेरा नेवताये पहुना मन ओसरी-पारी आवत जाथे। ऊंकर मन बर सुन्दर मंच बनाके बईठे बर कुरसी, दरी बिछाय रथे। पहुना के आते साथ गुलाल लगा के स्वागत करके बइठारथें उही बेरा राऊत मन मड़ई (बैरक) लेके बाजा-गाजा संग नाचत-कूदत आथें अऊ अपन राउत नाचा के कला देखाथें। उहां ले राउत मन बिदा होके मड़ई ला ऊंकर ठऊर म अमराके ओती मंच म बईठे पहुना मन मड़ई मेला के विषय म भासन उद्बोधन देथे। ओकर बाद पहुना मन ला एक-एक नरियर दे के बिदा करथें।
मड़ई मेला के परब हमर छत्तीसगढ़ के अलग पहिचान बनाथे। हमर छत्तीसगढ़ के कतको रीति रिवाज हा आज के नवा जमाना म नंदावत हे ये हमर बर संसो के बात हे। हमर छत्तीसगढिय़ा बुद्धिजीवी मन ला हमर पुरखौती संस्कार अऊ परम्परा ल संजोके राखे बर ठोस उदिम करे बर जरूरी है। संगे संग हर तीज तिहार म मंद मऊहा अऊ जुवा के रोकथाम बर हमला जागरुक होना बहुते जरूरी हे।
नोहर लाल साहू अधमरहा
गांव हसदा
मगरलोड जिला धमतरी (छ.ग.)




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यमराज ह पिकनिक मनाय जब धरती म आइस

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धरती में खास करके भारत में देवारी तिहार के तैयारी चलत रहिस। रंग रोगन फटाका झालर बलफ से दुकान मन ला सजाय जावत रहिस हे। हीरकयमराज हा दूरबीन लगाके धरती कुती ला देखिस अउ उदास होगे। आगू में जुगाली करत यमवाहन (भैंसा) खड़े रहिस हे। मालिक यमराज के उदास चेहरा देख के वो हा चिन्ता में पडग़े। यमराज हा बहुत सेण्अमेण्टल होगे रहिस हे। भैंसा जी बोलिस का बात ये महाराज आप बहुत उदास दिखत हो? यमराज बोलिस-वाहन, सबके पूजा होथे सिरिफ मोर पूजा कोनो नइ करय। यमराज के आंसू डबडबागें। भैंसा जी थोकिन हंसिस, थोकिन देर तक नेता मन के पान चबाय के अंदाज में जुगाली करिस अउ रस ला गुटके के बाद बोलिस। तुंहरो पूजा होथे महराज फालतू टेंसन लेके उदास मत होवव। धरती में खास करके भारत में नरक चतुर्दसी के दिन सबो जनता तुंहर याद करथे। न तुंहर मंदिर हे, न कथा होवय न आरती तभो ले जनता अपन लंबा उमर के परार्थना तुंहर से करथे। बिसवास नइ होवत हे तब चलौ ये दरी भारत के दौरा में निकले जाय। यमराज थोकिन खुस हो के बोलिस सिरतोन काहत हस वाहन? के मोर मन रखे बर अइसन बोलत हस? भैंसा जी बोलिस हण्ड्रेड एण्ड टेन परसेण्ट सही बात ये महराज। अब तुमन ये मत पूछौ के मैं हा वो करिया भंइसा ला भैंसा जी काबर लिखत हौं। अरे भई परान लेबर जब यमराज आथे तब वोला अपन पीठ में चढ़ाके कोन हा लाथे? उही करिया भ्ंइसा हा लाथे ना? अरे भई मैं तो वो करिया भंइसा ला परसन्न करना चाहत हौं ताकि जब मोर परान हरे के बारी आवत तब वो हा थोकिन बिलम जावय। कोनो मेर थोकिन सुरता लेवय या रस्ता में खड़े होके देर तक चुरुक-चुरुक पिसाब करय या कोनो स्मार्ट भैंस ला देख े बिदक जावय अउ बारा महीने में बारा तरीके से तुझको पियार करुंगा रे….. ढिंग चिंगा…. वाले गाना ला भैंस के पाछू-पाछू रेंगत गावय अउ यमराज ला मोर पता के बजाय दूसर के पता में ले जा के भटका देवय। अरे एक दिन भी बिलम जही तब मैं हा एक ठन कविता या लेख तो अउ लिख सकत हौं ना?
के बीच सहमति बनगे के धरती में भारत वष्ज्र्ञ के दौरा करे जाय। यमराज बोलिस अरे यार भारत तो ठी हे ये वर्ष माने तो साल होथे न? भैंसा जी कहिस महराज वर्ष के एक अर्थ भू खण्ड भी होथे। भारत वर्ष माने भारत-भूमि। यमराज फेर परस्न करिस-तोला कोन बतइस हे? भैंसा जी बोलिस एक दिन मैं हा स्कूल के पिछोत में चरत रेंहेंंव अउ पाटकर सर हा हिन्दी के पीरेउ में पढ़ावत रहिस हे तब सुने रहेंव।…. अच्छा तब तो माने ला लगही। अइच्दा अब ये बता के यात्रा बर का-का समान धरके जाय बर परही? जेखर से कोनो तकलीफ झन होवय। भैंसा जी कहिस महराज वइसे तो सबे समान धरती में मिल जथे फेर भी कुद रखना है तब तुंहर मजी मई, मैं का बोलंव? मैं तो सिरिफ दही भर ले के जाइूं काबर के भारत में दही या तो मिलय नहीं या मिलथे तेन हा दूध पावडर के बने रहिथे। दूध पावडर के दही हा थोकिन बिसरइन आथे, मोला परसंद नइ आवय। किरिस्न भगवान के जमाना का गय, दूध-दही के नहिया सुख गे। दूधवाले मन सबो दूध ला पइसा के लालाच में डेरी में बेंंच देथे, ओखर लइका मन ीाी दूध-दही बर लुलवा जथे। मोला दूध के संग मुर्रा अडबड़ मिठाथे।
यमराज प्ूछिस रम रखैं के व्हिस्की? भैंसा जी कहिस महराज ओखरो जरूरत नइये। उहां गांव-गांव में दारू खुलेआम मिल जथे। दूध नई मिलही पर दारू चोबीसों घण्टा मिल जथे। आजकल तो जेबमें कनिहा में खोंच के लोगन घर पहुंच सेवा दे बर लग गेहे। हां कुद चिल्हर पइसा जरूर रखे बर परही काबर के उहां चिल्हर अउ छोटे नोट के भारी कमी हे, तेखर सिती दुकानदार मन टोकन थम्हा देथे। यमराज फेर पूछिस एकाध अप्सरा रख लौं, मनोरंजन बर? वोला भैंस में बइठा के ले चलथन। तैं भैंसी के संग वेलेण्टाइन डे मनाबे अउ मैं अप्सरा के संग केसिनो या डान्सबार जाहूं। वो मोला सीला के जवानी… अउ मुन्न बदनाम हुई… गाना में डान्स देखाही। भैंसा जी बोलिस महराज अप्सरा के भी जरूरत नइये उहां बड़े-बड़े सहर के होटल मन में एखर मन के रैकेट चलथे। ए टू जेड ग्रुप के मिल जथे। जहां तक भैंस के बात हे तब भारत के हर सहर में पांच-पांच ठन खटाल हे। उहा एक से एक स्मार्ट भैंस हे। बेनी जइसे सींगवाले, कोस्टक जइसे सींगवाले, मच्छर अगरबत्ती जइसे सींगवाले, छोटे, मंझोले, बड़े सबो साईज के भैंस उपलब्ध हे। यमराज फेर बोलिस अरे यार टेंसन में मोर माथा बहुत पिराथे, मस्तक सूल हर पावडर रख लेथौ। भैंसा जी बोलिस महराज टेंसन मत ले। उहां के झण्डू बाम बहुत फेमस हे। इहां तक मुन्नीबाई तको हा झण्डू बाम लगा अउ पीरा गायब।




देर तक बहस करे के बाद यात्रा सुरु होगे। रस्ता में यमराज बोलिस-वाहन रस्ता कइसे कटही? हिन्दी फिलिम के कोना गाना याद होही ते सुना। भैंसा जी बोलिस हम गाना सुरु करबो तक सबके कान फट जही, बरम्हा जी हा हमन ला बेसुरा ही पेदा करे हे। मैं कुद चुटकुला सुना देथौं-परीक्षा में एक ठन परस्न आय रहिस लौह पुरुस के काम अर्थ होथे? एखर अर्थ होथे के दृढ़ विचार वाले आदमी ला लौह पुरुष कहे जाथे पर लइका लिखे रहिस जेन लोहा खरीदोि अउ लोहा बेंचथे वोला लौह पुरुष कहे जाथे। विज्ञान में एक परस्न आय राहय, रमन प्रभाव काला कहिथे? डॉ.सी.वी.रमन हा समुद्र के पानी के रंग नीला होय के एक सिद्धान्त निकाले रहिस जेला रमन प्रभाव कहे गीस। लइका किखे राहय एक रुपिया अउ दू रुपिया वाले चांउर से छ.ग. से गरीबी दूर होगे, इही रमन प्रभाव ए। गाय के निबंध में एक लइका लिखे राहय गाय हमारी माता है, हमको कुद नहीं आता है। गुरुजी लिख दीस बैल तुम्हारा बाप है, नम्बर देना पाप है अब गाय हा माता होइस तब भैंस हा बड़े दाई होगे अउ छेरी हा काकी होगे काबर के एखरो मन के दूध हमन पीािन। यमराज हा खूब ठहाका मार के हांसिस। अइसे तइसे उन भारत के सीमा में आगे। भैंसा जी पूछिस महराज भारत के कोन से राज्य लेण्ड करौं? यमराज हा सोच बिचार के कहिस यार भारत के सबो राज्य के दौरा तो कर चुके हन। नवा राज बने हे उंहे ले चल-झारखण्ड, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़। भैंसा जी बोलिस झारखण्ड अउ उत्तराखण्ड बर रिवर्स गेयर लगाय बर परही जेमा तकलीफ होही काबर के कल एक ठन भैंस हा मोर पाछू कोती ला सींग में हकन देहे। घाव में दवई लगाय हौं पर दरद अभी कम नई होय हे। कल मैं मर्डर पिच्चर देख के थोकिन बहक गे रेहेंव। अब सामने छत्तीसगढ़ हे उंहे ले चलथौं। एक्सीलेटर दबइस अउ पहुंचगे छत्तीसगढ़।
छत्तीसगढ़ में राउत मन देवारी के तैयारी में लगे राहय। छत्तीसगढ़ आते साठ यमराल ला हजामत बनवाय के सुरता आइस। एक ठन सेलून के पास रुक गे पर यमरानी के हाथ के बने कच्चा अइरसा खाय के कारन पेट में कुद गुडग़ुड होए लगिस लकर-धक सुलभ में घुसके फुलफोर्स के ताकत लगाइस तब थोकिन बने लागिस। सुलभ से निकलिस तब भैंसा जी एक ठन फरमाइस कर दीस-सीतल सेलून में मोर आगू के सफेद बाल ला डाई लगवा के करिया करवा देतेव महराज। सफेद चेंदुवा ला देख के सबो भैंसी मन मोला डोकरा होगे अइसे समझथे अउ बनत बात हा बिगड़ जथे। मोर करिया सरीर में ये सफेद चेंदुवा हा सफेद दाग कस अलकरहा लगथे। यमराज के मइनता भोगा गे। जोर से दपकारिस चुप बे, सिर से पांव तक तै करियाच करिया हस। रात के अंधियार में उही चेंदुवा ला देख के तोला खोजथौं, उहू ला करिया कर देबे तब मोला अंधरौटी आ जही भैंसा जी उदास होगे। यमराज हा चापलूसी करत बोलिस देख वाहन वो हा सफेद बाल नोहय, तोर माथा के चन्दा ए, पुन्नी के चन्दा वाला वोइसने परकासित राहन दे। पुन्न के चन्दा सबो ला इन मिलय। इहां तक संकर जी भी हा दूज के चन्दा से काम चलावत हे। तैं पुन्नी ला अमावस में काबर बदलना चाहत हस यार?
सेलून से निकल के कुद आघू बढिऩ तब राउत मन सोहई सजावत रहिन। भैसा जी ला खुस करे बर यमराज बोलिस-वाहन तोर बर ये गतहार खरीद दौं का? भैंसा जी बोलिस महराज तोर जनरल नालेज बहुत कमजोर हे। येला तो भैंसी मन पहिनथे। यमराज परस्न करिस काबर? जवाब मिलिस काबर के ये हा भैंस अउ गाय मन के मंगलसूत्र ए, अउ मंगलसूत्र औरत मन पहिनोि पुरुस मन नहीं।
आघ्ज्ञू गीस तब एक ठन टाकीज मिलिस जिहां तकदीरवाला फिलिम चलत रहिस हे। उहा अड़बड़ भीड़ देख के यमराज पूछिस इहां अतेक ट्रेफिक जमा काबर हे? भैंसा जी बममतइस के इहां पिच्चर चलत हे ये टाकीज ए। काभू पार्टी आफिस में कभी पिच्चर हॉल में टिकिट पाए बर लाईन लगाय बर पइथे। दूनों झन मनखे रूप धरके पिच्चर हॉल में घसगे। पिच्चर के फेमस सीन आय के बाद यमराज पूछिस ये कोन एक वाहन? भैंसा जी कहिस वोखर डॉयलाग नइ सुने का हम है यम, यम है हम? ये कादर खान ए जेन यमराज के रोल करत हे। ये पिच्च ला बने देख ले, यमराज ला का-का करना चाही तेन येमा बताय गेहे। पिच्च्र छुटते ही दूनों झन मतांल कोती खरीदी करे बर चल दीन। बने-बने जिनिस देखके यमराज हा यमरानी बर समान खरीदे लगिस, भैंसा जी हा अपन भैंसबाई साहब बर खरीदिस। दूनों झन देवारी के खूब मजा लीन। यमराज ला गपागप होटल के केक अड़बड़ पसंद आइस, खाइस अउ लेगे बर भी खरीदिस।




यमपुरी पहुंच के यमरानी के जन्म दिन के केक काटे गीस। भैंसा जी हा अपन पुछी ला एण्टीना कस ठाढ़ करके घोलण्ड के वोखर पांव परिस अउ पेंउंस के डबबा गिफ्ट करिस। हैप्पी बर्थ डे टू यू मैडम कहिके जुगाली कर-करके हकन के गबर-गबर खाके केके के आनन्दर ले बर धर लीस। यमराज ला थोकिन संतोस होइस के चलौ कोनो न कोना बहाना लोग मोरो पूजा करथे। ओती भैंसा जी हा अपन भैंसबाई साहब ला सोहई गिफ्ट दीस। भैंसबाई साहब एकदम सरप्राइज होगे पूछिस व्हाट इज दीस? भैंसाजी बोलस डा………र …लि… ग ये मंगलसूत्र ए, छत्तीसगढ़ से स्पेसली तोर बर लाय हौं। ये बेसरम के फूल ए बिना पानी डारे भी जिन्दा रहिथे, हमर बारी में लगा देबे। तोर खोपा में लाय के काम दीही। कल एला पहिन के यमरानी घर बइठे बर चल देबे, अइसन कलरफुल मंगलसूत्र तो ओखरो जघा नई ए, अउ खोपा में बेसरम फूल के गजरा लगाय बर झन भुवाबे। पंड़वा के दाई, पारा मोहल्ला के सबो भैंसी मन तोर सन्दरता ला देख के दंग रहि जही अउ जलन घलो मरही। मैं हा लइका मन बर किसम-किसम के खजानी लाय हौं, अइसे कहिके झोला से ठेठरी खुरमी, अइरसा, चंउसेला, पपची, मुर्रालाडू, भक्कालाडू, उसनाय केंवट कांदा ला उलद दीस। ये खेड़ा ए भैंसा प्रजाति बर एकदम पोष्टिक हे। बने जतन के रख।
तैं मोर कतका खियाल रखथस, आई लव यू कहिके भैंसबाई हा भैंसा जी के छाती से चिप गे। भैसा जी हा गाना गाए बर धर लीस… रूप तेरा मस्ताना, प्यार मेरा दीवाना… भूल कोई हमसे न हो जाए…. अउ एखर बार का होइस होही तेखर कल्पना तुमन कर सकथौ। सबोच बात ला मही थोर बतावत रहूं जी?

डॉ.राजेन्द पाटकर ‘स्नेहिल’
हंस निकेतन-कुसमी, व्हाया-बेरला



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छत्तीसगढ़ म ठेकेदार ह केबल ल काट के ठप कर दीस जियो 4जी के सर्विस

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रायपुर। मुकेश अंबानी के जियो 4जी सर्विस ले देशभर म छा जाए के सपना ल छत्तीसगढ़ म इही कंपनी के एक वेंडर ह कई घंटा बर चिभोर दीस। वो ह जियो 4जी के केबल ल कई जघा काट दीस, एकर ले कई घंटा तक राजधानी रायपुर म जियो जी सर्विस ठप्‍प रहिस। कोतवाली पुलिस ह ये मामला म ठेकेदार सोहैल कुरैशी ल गिरफ्तार करे हे। ठेकेदार उपर टेलीफोन कानून के तहत मामला दर्ज करे गए हे। बताथें के जियो कंपनी कोति ले महाप्रबंधक अमन सिंह ह ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज कराये रहिस हे। आरोपी हर राजेंद्र नगर अउ टैगोर नगर म जियो के केबल ल कटवा देहे रहिस तेखर सेती 15 घंटा तक जिओ के सर्विस बंद रहिस। सोहैल ल पांच महीना पहिली ठेका देहे गए रहिस हे। नवंबर म कंपनी के अधिकारी मन संग ओखर मीटिंग भोपाल म होईस जिहां ओला काम के बारे म बताये गए रहिस।




इहां ओकर काम म कमी-बेसी उपर अधिकारी मन आपत्ति जताईन अउ ओला काम रोके बर बोलिन अउ पेमेंट ले लेहे ल बोलिन। बताथें के कंपनी ले पैइसा ल लेकेे ठेकेदार के विवाद चलत जउन सुलझत नइ रहिस जेकर खातिर सौहैल ह केबल ल नुकसान पहुंचाइस। कम्‍पनी ह लउहे बिरसपत बिहनिया तक सर्विस ल दूबारा चालू कर दे रहिस हे।



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सुघ्‍घर रैली अउ रींगी-चींगी नाच संग राज्य स्तरीय युवा उत्सव सुरू

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जमो 27 जिला के साढ़े ग्यारह सौ जवान संघराईन





बेलासपुर, 06 जनवरी 2017। प्रदेश सरकार के खेल अउ युवा कल्याण विभाग कोति ले आयोजित 17वां तीन दीन के प्रदेश स्तरीय युवा उत्सव सुरू हो गए हे। खेल अउ युवा कल्याण मंत्री भईयालाल राजवाड़े, लोक सभा सांसद लखन लाल साहू अउ राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष कमल चंद्र भंजदेव के विशेष उपस्थिति म मुख्य अतिथि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ह आयोजन के शुभारंभ करिन। जिला मुख्यालय बिलासपुर के बहतराई म आउटडोर स्टेडियम म चलत ये आयोजन म छत्तीसगढ़ के जमो 27 जिला के एक हजार 154 युवा प्रतिभागी 18 आन-आन सांस्कृतिक प्रतियोगिता मन म भाग लेवत हें। शुभारंभ समारोह म रंगारंग लोकनृत्य के संग प्रतिभागी मन रिंगी-चींगी कुरथ-कपड़ा म सुघ्‍घर रैली निकालीन।

इमन लोकनृत्य अउ लोकगीत के संगें-संग शास्त्रीय गायन, सितार वादन, बांसुरी, तबला, मृदंगम, हार्मोनियम, गिटार आदि वाद्य यंत्र मन म घलव अपन कला प्रतिभा के प्रदर्शन करत हें। छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य के संग मणिपुरी, ओड़िशी, भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी नृत्य अउ नाटक के घलव छत्तीसगढ़ के युवा मन मंचन करत हें। येमा चुने युवा मन ल रोहतक (हरियाणा) म होवईया राष्ट्रीय युवा उत्सव म संघरे के मौका मिलही। राष्ट्रीय युवा उत्सव 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के जयंती के समय म आयोजित करे जाही। राज्य स्तरीय युवा उत्सव के सुरूवात करत माई पहुना धरमलाल कौशिक ह कहिन के ये प्रकार के आयोजनों ले युवा मन के रचनात्मक प्रतिभा ल प्रोत्साहन मिलथे।





कौशिक ह स्वामी विवेकानंद के व्यक्तित्व अउ कृतित्व के उल्लेख करत उमन ल युवा मन के प्रेरणास्त्रोत बताइन। खेल अउ युवा कल्याण मंत्री भईयालाल राजवाड़े ह कहिन के युवा पीढ़ी हमार संस्कृति अउ परम्परा के सम्वाहक आंय। उमन आघू कहिन के राज्य स्तरीय युवा उत्सव म प्रदेश के आन-आन जिला के युवा एक-दूसर के जिला के बारे म बने जान समझ पाहीं। प्रदेश सरकार के मन हवय के युवा मन ल, अपन दबे सृजनात्मक प्रतिभा ल आघू लाए के मौका मिलय। इही उद्देश्य ले ये आयोजन हर बछर करे जाथे। शुभारंभ समारोह ल छत्तीसगढ़ राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष कमलचंद्र भंजदेव, लोक सभा सांसद लखन लाल साहू, खेल अउ युवा कल्याण विभाग के सचिव सोनमणि बोरा अउ कलेक्टर बिलासपुर अन्बलगन पी. ह घलव सम्बोधित करिन। खेल अउ युवा कल्याण विभाग के सचिव सोनमणि बोरा ह बताईन के राज्य स्तरीय युवा उत्सव म चुने गए युवा मन ल रोहतक म होवइया राष्ट्रीय युवा उत्सव म भेजे खातिर विशेष रेल के व्यवस्था करे जावत हे।

युवा उत्सव के शुभारंभ समारोह म आयोजित रैली म जशपुर जिला ल पहिली इनाम मिलिस। उहां के टीम ल दस हजार रूपए के पुरस्कार देहे गईस। साढ़े सात हजार रूपया के दूसरा दनाम दंतेवाड़ा के टीम ल अउ पांच हजार रूपया के तीसरा पुरस्कार मुंगेली जिला के टीम ल मिलिस। शुभारंभ समारोह म नगर निगम बिलासपुर के महापौर किशोर राय, राज्य युवा आयोग के सदस्य, संभागीय कमिश्नर श्रीमती निहारिका बारिक सिंह अउ आन वरिष्ठ अधिकारी अउ बहुत झन जनप्रतिनिधि, प्रबुद्ध नागरिक मन उपस्थित रहिन।




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