अँइठी (वि.) |
गोल मुड़ी हुई, ऐंठ कर बनाई हुई, एक आभूषण। |
अइलहा (वि.) |
कुम्हलाया हुआ। |
अइलाना (क्रि.) |
कुम्हलाना। (सं.) उबाली गई तिवरा मटर, अरहर आदि की कच्ची फली। |
अँकरी (सं.) |
घास की जाति का एक अनाज जिसमेँ छोटे-छोटे गोल दाने होते हैं। |
अँकबार (सं.) |
1. आलिंगन 2. दोनों भुजाओं के अन्दर भर जानेवाली फसल की मात्रा। |
अँकवारना (क्रि |
आलिंगन करना, अंक में भरना, परस्पर लिपट कर भेंट करना, गले मिलना। |
अँकुआ (सं.) |
ऑंकने, दागने के लिए प्रयुक्त छोटा हँसिया। दे. ‘अँकुआना’ |
अँकुआना (क्रि.) |
मोच या सूजन को जलाने की स्थिति तक हँसिया आदि से सेकना। |
अँकवाना (क्रि.) |
दे. ‘अँकुआना’ |
अँकोइ (सं.) |
हम्माल का अंकुश। |
अँखियाना (क्रि.) |
आँख से इशारा करना, आँख मारना, आँख मटकाना। |
अँगठा (सं.) |
1. अँगूठा 2. अँगूठे की छाप। |
अँगठी (सं.) |
अँगुली। |
अँगना (सं.) |
आँगन। (सं.) दे. ‘अँकवार’। |
अँगरक्खा (सं.) |
अँगरखा। दे. ‘सलूखा’। |
अँगरना (क्रि.) |
1. गलना 2. ठिठुरना। |
अँगरा (सं.) |
अंगार, जलते कोयले का छोटा-सा टुकड़ा, धधकते उपले का टुकड़ा। |
अँगरी (सं.) |
दे. ‘अँगठी’। |
अँगरेजी मिर्चा (सं.) |
छोटी किन्तु तीखी मिर्च की एक प्रजाति। |
अँगाकर (सं.) |
कंडे की आग में पकाई गई पिसे चावल और बासी भात से बनाई गई मोटी रोटी। |
अँगेठा (सं.) |
जलती हुई मोटी और भारी लकड़ी, अँगीठी। |
अँगेठी (सं.) |
जलती हुई पतली लकडी। |
अँगेरना (क्र. |
1. अंगीकार करना 2. प्रस्तुत होना। |
अँगोछना (क्रि.) |
अंगों को गीले कपडे या तौलिए से पोंछना। |
अँगोछी (सं.) |
1. छोटी धोती जिससे घुटनों तक का भाग ढकता है २. अँगोछा। |
अँगौछी (सं.) |
(दे. अँगोछी |
अँचरा (सं.) |
आँचल, साडी का एक छोर। |
अँचोना (क्रि.) |
1. भोजन करके हाथ-मुँह धोना। |
अँजुरी (सं.) |
दोनों हाथों को संपुटित्त करके बनाई गई अंजलि। |
अँजोर (सं.) |
उजाला, प्रकाश। |
अंजोरी (वि.) |
चाँदनी भरी शुक्ल पक्ष की रात। |
अँजोरी पाख (सं.) |
शुक्ल पक्ष। |
अँराना (क्रि.) |
सूखना। |
अँटियाना (क्रि.) |
1. अवयवों आदि का अकड़ना 2. अँगड़ाई लेना। |
अँठियाना (क्र. |
(दे. ‘अटियाना’ |
अँड़वा (सं.) |
अंडा । |
अँड़वारी (सं.) |
अंडेवाली मछली। अँडि़याना (क्रि. ) 1. अकड़ना 2. ऐंठना 3. अँगड़ई लेना। |
अँदोहल (सं.) |
1. शोर 2. कलरव। |
अँधउर (स. |
ऑंधी। |
अँधरा (वि.) |
अन्धा। |
अँधरोटी (सं) |
आँखों में दोष के कारण अन्धकार-सा प्रतीत होने की स्थिति, आँखों में अन्धकारमयता की स्थिति, रतौंधी। |
अँधवा (सं.) |
अन्धा सर्प, अन्धा व्यक्ति (वि.) अन्धा, नेत्रहीन। |
अँधाना (क्रि.) |
औंधाना। |
अँधियार (सं.) |
अन्धकार। |
अँधियारी (सं.) |
1. घर का वह अँधेरा कमरा जहाँ अचार आदि रखा जाता है, भंडारगृह 2. छोटी अलमारी (वि.) अँधेरी। |
अँधियारी पाख (सं.) |
कृष्ण पक्ष। |
अँयरी (सं.) |
एक चिडिया जिसकी गरदन और पूँछ काफी लम्बी होती है। |
अँवरा (सं.) |
आँवला। |
अंकाल (सं.) |
अकाल, अभाव का काल। |
अंजन (सं.) |
1. आँखों को आँजने का साधन जैसे-काजल 2. एक प्रकार का धान। |
अँजरी (सं.) |
अंजलि। (दे. ‘अँजुरी’ |
अंझा (सं.) |
अभाव, अनुपस्थिति। |
अंटा (वि.) |
टेढ़ा, टेढ़ी। |
अंडस (सं.) |
अड़चन, बाधा। |
अंडा (सं.) |
1. एरंड 2. अंडा। |
अंडा भाजी (सं.) |
फूलगोभी के पत्ते। |
अंडी (सं.) |
1. छोटा एरंड 2. रेशम से निम्न कोटि का एक प्रकार का वस्त्र जिसे पवित्र माना जाता है। |
अंतस (सं.) |
अंतर्मन, हृदय, मन। |
अंताज (सं.) |
अनुमान। |
अंते (क्रि.) वि. |
अन्यत्र। |
अंते-तते (क्रि.) वि. |
यहाँ-वहाँ। |
अंथऊ (सें. |
शाम का भोजन। |
अंदोहल (सं.) |
दे. ‘अँदोहल’। |
अंधड्ड (सं.) |
आँधी। |
अंधन (सं.) |
अदहन, दाल भात पकाने के लिए अन्न को पात्र में डालने से पूर्व पानी के उबलने की स्थिति। |
अंधेर (सें. |
अन्याय, मनमाना, ज्यादत्ती, अति। |
अंस (सं.) |
1, अंश 2. परिवार। |
अइतबार (सं.) |
इतवार का दिन, रविवार। |
अइताचार (सं.) |
अत्याचार। |
अइलाना (क्रि.) |
कुम्हलाना, मुरझाना। |
अइसन (वि.) |
ऐसा, अई (अव्य.) अरे, अरी। |
अउ (समु. |
1. और 2. और भी, अधिक। (वि.) अन्य। |
अउठ (वि.) |
साढे तीन। (सं.) 1. काई, जल में पैदा होनेवाली वनस्पति विशेष, पानी में डुबकी मारनेवाली एक छोटी चिडिया। |
अकइसी (सं.) |
एकादशी। (वि.) इक्कीसवाँ। |
अकतरिया (सं.) |
ग्रामीण औरतों की विशेष ढंग की चप्पल जिसे बरसात में पहना जा सकता है। |
अकतहा (वि.) |
अधिक, अतिरिक्त। |
अकतियार (सं.) |
शक्ति, अधिकार। |
अकती (सं.) |
अक्षय तृतीया का पर्व जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन गाँव के नौकरों का कार्यकाल समाप्त होता है। |
अकन (अव्य.) |
परिमाण द्योतक ‘सा’। दे. ‘कन’। |
अकबकाना (क्रि.) |
स्तब्ध रह जाना, घबरा जाना, हक्का-बक्का रह जाना। |
अकबकासी (सं.) |
घबराहट। |
अकबार (स. |
अखबार, समाचार-पत्र। |
अकरस (सं.) |
अंतिम वर्षा, रबी फ्रसल के समय की वर्षा, बेमौसम का पानी, पानी का थम-थम कर बरसना। (वि.) केवल एक ही, अकेला, मात्र, इकलौता। |
अकलउती (वि.) स्त्री. |
इकलौती। |
अकलमुंडा (वि.) |
एकांतप्रिय, आत्मकेंद्रित व्यक्ति, दूसरों की चिंता न करने वाला। भकसी (सं.) फल तोइने के लिए बनाई गईं जाली लगी मोटी (दे. , जिससे फल टूट कर नीचे न गिर कर जाली में ही गिरे। |
अकाऱरथ (वि.) |
व्यर्थ। |
अकास (सं.) |
आकाश । |
अकेल्ला (वि.) |
अकेला, एकाकी। |
अखरना (क्रि.) |
बुरा लगना, खलना, अप्रिय अनुभव करना, पश्चाताप होना। |
अगड्डाही (सं.) |
बड्डी आग। |
अगम (वि.) |
अगम्य, अथाह, अनुमान से परे। |
अगमुत्ता (वि.) |
आग में मूतने वाला, अत्यधिक शैतान, एक गाली। |
अगा (अव्य.) |
संबोधन शब्द ‘ए’। |
अगाड़ी (क्रि.) वि. |
आगे, सामने, आगे। |
अगास दिया (सं.) |
आकाशदीप। |
अगियाना (क्रि.) |
1. जलन का अनुभव होना 2. जल उठना 8. आगबबूला होना। |
अगीत (क्रि.) वि. |
दे. ‘अगाडी’। |
अगोरना (क्र. |
प्रतीक्षा करना, बाट देखना। |
अग्घन (सं.) |
अगहन मास। |
अग्याँ (सं.) |
1. आज्ञा, आदेश बालतोड़, फोड़ा। |
अग्यारा (वि.) |
ग्यारह की संख्या। |
अघरिया (सं) |
एक जाति विशेष। |
अघात (स. |
चोट, प्रहार। |
अघात ले (वि.) |
बहुत, खूब। (क्रि.) वि. छकने तक, मन के भर तक, पूरा संतुष्ट या तृप्त होने तव थकने तक। |
अघाना (क्रि.) |
1. छक जाना, ऊब जान तृप्त हो जाना 1. थकना। |
अघाय (वि.) |
पेट भरा हुआ। |
अघुआ (वि.) |
सामने रहने वाला, लीडर। |
अघुआना (क्रि.) |
जागे हो जाना। |
अघोरी (वि.) |
ऐसा व्यक्ति जो खूब खाक भी अतृप्त रहे। |
अचंभों (सं.) |
आश्चर्य, विस्मय। |
अचवानना (क्रि.) |
खाट के पैताने की ररस्स खींचना, अलवायन कसना। |
अचहड़-पचहड़ (वि.) |
1. पाँच से अधिक 2. ढेर सारा। |
अचहर-पचहर (वि.) |
दे. अचहड़-पचहड़ |
अचानचकरित (वि.) |
अचंभित, विस्मित, चकित । (क्रि.) वि. अचानक। |
अचोना (क्रि |
खाने के बाद हाथ-मुँह धोना। |
अजरहा (वि.) |
बीमार, रुग्ण । |
अजरा (सं.) |
1. रोग 2. दो धानों का मिश्रण 3. योंहीं, बिना नापे तौले 4. अंदाज से। |
अजार (सं.) |
पेट की एक प्राणधातक बीमारी। |
अजारा (वि.) |
बिना माप या तोल के केवल अंदाज से प्रदत्त । |
अटकपारी (सं.) |
अधकपारी, आधे कपाल का दर्द जो सूर्योदय के समय शुरू, मध्याह्न में सर्वाधिक और शाम को कम हो जाता है। |
अटरकर (सं.) |
अनुमान, अटकल। |
अटकन-बटकन (वि.) |
थोड़ा-बहुत। |
अटकार (सें. |
1. बाधा, बंधन, रुकावट, हरजा 2. आवश्यकता। |
अटकाव (सं.) |
हरजा। |
अटर्रा (सं.) |
नीबू की जाति का खट्टा मीठा स्वाद वाला एक फल। |
अटाटूट (वि.) |
1. प्रचुर परिमाण में 2. अपार। |
अटाटोर (सं.) |
दे. ‘अटाटूट’। |
अठुरिया (सं.) |
आठ दिनों का समूह। |
अठोरिया (सं.) |
दे. अठुरिया |
अड़कड़ी (सं.) |
इधर-उधर भाग जाने के अभ्यस्त जानवर को रोकने के लिए पैरों में बाँधी जानेवाली लम्बी लकड़ी। |
अड़गड़ (सं.) |
दरवाजे में रोक के लिए लगाया गया बाँस, अर्गला। |
अड़गड़ी (सं.) |
1. अर्गला 2. दे. ‘गड़गड़ी’। |
अड़गसनी (सं.) |
अरगनी, कपड़ा सुखाने के लिए बाँधा गया बाँस। |
अड़बड़ (सं.) |
भीड। (वि.) प्रचुर, बहुत। |
अड़हा (वि.) |
मूर्ख, संस्कारहीन, बिना पढा-लिखा, जिद्दी। |
अड़हा बइद (सं.) |
नीम हकीम। |
अड़ानी (वि.) |
अनाड़ी, अनजान। |
अड़ीसा (सं.) |
चावल और गुड से चना पकवान। दे. ‘अनरसा’। |
अइरसा (सं.) |
दे. अड़ीसा |
अड़ुक (वि.) |
इतना। दे. ‘अतका’। |
अढ़ई (वि.) |
ढाई, अढ़ाई। |
अढ़ाम (सं.) |
ढाई, व्यक्ति के जमीन पर गिर पडने से उत्पन्न ध्वनि, धड़ाम। |
अढ़ैया (वि.) |
ढाई दिन के अंतर से आनेवाला ज्वर। |
अढ़ोना (क्रि.) |
आदेश देना। |
अतकहा (वि.) |
कुछ अधिक, ज्यादा। |
अतका (वि.) |
1. थोड़ा 2. इतना 3. इस सीमा तक। |
अतकी (वि.) |
थोड़ा। दे. ‘अतका’। |
अतकेच (क्रि.) वि. |
इतना ही। |
अतको मा (क्रि.) वि. |
इतने पर भी। |
अतमयती (सं.) |
1. जातीयता, आत्मीयता 2. स्वजातीय सहभोज ।–(वि.) आत्मीय, प्रिय। |
अत्तर (सं.) |
इत्र। |
अतेक (वि.) |
दे. ‘अतका’। |
अत्तहा (क्रि.) वि. |
पहले के। |
अथान (सं.) |
अचार। |
अदरा (सं.) |
आर्द्रा नक्षत्र। — (वि.) नौसिखिया। |
अदहरा (सं.) |
कंडे का अलाव, जीर्ण-शीर्ण। |
अदियावन (वि.) |
जिसे देखकर दया उत्पन्न हो, दयनीय। |
अद्धर (वि.) |
1. अलग, पृथक 2. ऊँचा। |
अधकपारी (सं.) |
1. आधे कपाल में दर्द का रोग 2. आधाशीशी। |
अधिया (सं.) |
कृषि उपज का आधा भाग। — (वि.) आधा लेनेवाला। |
अन (उप.) |
नहीं। उदा.–अनदेखना, अनभल। |
अनख (सं.) |
ईष्या, जलन। |
अनगैंइहाँ (वि.) |
दूसरे गाँव का। |
अनगोडवा (वि.) |
ऊटपटाँग, अव्यवस्थित, बेसिर-पैर का। |
अनचिन्हार (वि.) |
अपरिचित। |
अनठेहरा (वि.) |
1. तिरछा देखने वाला, जिसकी पुतलियाँ स्थिर न हाँ 2. टेढा, भेंगा 3. बनती हुई बात में टाँग अड़ाने वाला 4. लक्षणा में बात कहने वाला। |
अनते (वि.) |
अन्यत्र, दूसरे स्थान पर। |
अनदेखना (वि.) |
ईष्यालु, दूसरे को काम करते देखकर स्वयं वही करके टाँग अड़ाने वाला। |
अनपचन (सं.) |
अनपच, अजीर्ण। |
अनबोला (सं.) |
1. शत्रुता 2. मान, क्रोध आदि के कारण बातचीत बन्द होने की स्थिति। |
अनभल (सं.) |
बुराई, अहित। |
अनभरोसिल (क्रि.वि.) |
शायद। |
अनमन (वि.) |
उदास। |
अनरसा (सं.) |
चावल, गुड और खसखस के मिश्रण से बना एक पकवान, इंदरसा। |
अनवट (सं.) |
एक आभूषण। |
अनवासना (क्रि.) |
नई वस्तु का उपयोग प्रारंभ करके उसकी नवीनता को समाप्त करना। |
अनाचार (सं.) |
अत्याचार, पाप का कृत्य परंपरा-विरुद्ध कार्य। |
अनाथिन (सं.) |
अनाथ (महिला |
अनानास (सं.) |
अनन्नास। |
अपंगहा (वि.) |
पंगु। |
अपखया (वि.) |
1. अभक्ष्य भक्षण करने वाली 2. स्त्रियों की एक गाली। |
अपजस (सं.) |
अपयश, बदनामी। |
अपन (सर्व.) |
अपना। |
अपन-विरान (सर्व.) |
अपना-पराया। |
अपया (सं.) |
बदनामी, अवगुण। |
अपरस (सं.) |
चमडी का एक रोग जिसमें त्वचा से भूरे रंग की परत-सी निकलती है। |
अपहाँस (सं.) |
उपहास। |
अपासी (सं.) |
आबपाशी, सिंचाई। — (वि.) सिंचाई की व्यवस्था युक्त। |
अप्पत (वि.) |
जिद्दी, बेशर्म। |
अबिरथा (वि.) |
व्यर्थं, बेकार का। |
अबेर (सं.) |
देर, विलंब। |
अबेरहा (वि.) |
देर से आनेवाला। |
अब्बड़ (वि.) |
दे. ‘अड़बड़’। |
अभियावन (वि.) |
भयावना, डरावना। |
अभिच (क्रि.) वि. |
अभी ही, अभी-अभीद्य। |
अमचुर (सं.) |
कच्चे आम के टुकडों को सुखा कर बनाया गया चूर्ण, अमचूर। |
अमरइया (सं.) |
आम्र-कुंज आम के वृक्षों का बाग, अमराई। |
अमरना (क्रि.) |
पहुँचना, ऊँचाई पर स्थित वस्तु को प्रयत्नपूर्वक स्पर्श करना अथवा इस प्रकार उसे प्राप्त करना। |
अमरित (सं.) |
अमृत। |
अमरोइया (वि.) |
पहुँचाने वाला। |
अमली (सं.) |
इमली । |
अमसरा (सं.) |
पके हुए आमों के रस को सुखा कर जमाया गया खाद्य, अमावट, अमरस। |
अमाना (क्रि.) |
समाना, घुसना। |
अम्मठ (वि.) |
खट्टा, खट्टे स्वाद वाला। |
अम्मठ (वि.) |
दे. ‘अम्मट’। |
अम्मर (सं.) |
अमृत। — (वि.) अमर। |
अयरी (सं.) |
आरी। |
अरई (सं.) |
जुते हुए पशुओं को हाँकने के लिए प्रयुक्त डंडा जिसके एक सिरे पर कील लगी होती है। |
अरकटहा (वि.) |
लक्ष्यहीन, दिशाहीन। |
अरथ (सं.) |
अर्थ। |
अरमपपई (सं.) |
पपीते का वृक्ष या उसका फल। |
अरसी (सं.) |
अलसी। |
अरिया (सं.) |
आला। |
अरूआ (सं.) |
बिना उबाले धान से कूटा गया चावल। |
अर्र (अव्य.) |
जुते हुए बैल को दाहिने से बाएँ हाँकने के लिए प्रयुक्त ध्वनि। दे. ‘तत्ता’। |
अलकर (वि.) |
कष्टदायक, असुविधाजनक, गुप्त, कष्टसाध्य। |
अलकरहा (वि.) |
अनपेक्षित। |
अलखा (सं.) |
अंचल। |
अलगा (सं.) |
चप्पल, जूता। |
अलटना (क्रि |
उमेठना। |
अलथी-कलथी (सं.) |
छटपटाहट, तड़पन। |
अलबेला (वि.) |
अल्हड़। |
अलमल (वि.) |
पर्याप्त, संतोषप्रद मात्रा में। |
अलबाइन (वि.) |
ऊधमी, शैतान। दे. अलवाईन |
अलवा-जलवा (वि.) |
ऐसा-वैसा, व्यर्थ का, हीन कोटि का। फालतू। |
अलबान (सं.) |
1. शाल 2. रुमाल। दे. अलवान |
अलहन (सं.) |
विपदा, संकट, झंझट, दुर्घटना। |
अलाउंस (सं.) |
घोषा, एनाउंस। |
अलाल (वि.) |
आलसी, सुस्त। |
अलिन-गलिन (सं.) |
गली-गली। |
अलोना (वि.) |
नमक रहित, स्वादहीन। |
अल्लर (वि.) |
सुस्त। दे. ‘उल्लुर’। |
अल्होरना (क्रि |
अन्न आदि के ढेर से कचरे को अलग करने की प्रक्रिया। |
अवइया (वि.) |
आनेवाला। |
अवतरना (क्रि.)) |
जन्म लेना, उत्पन्न होना। |
अवाज (सं.) |
आवाज। |
असंख (वि.) |
असंख्य, अनगिनत। |
अस (सं.) |
अस्थि। — (वि.) दे. अइसन |
असकट (सं.) |
ऊब, परेशानी, उकताहट, आलस्य। |
असकटना (क्रि.) |
तंग होना, ऊब जाना, उकता जाना। |
असकरवा (सं.) |
नियोजित परिवार। (वि.) एकाकीं। |
असकराना (क्रि.) |
1. कपड़े की तह खोलना। एक पर्त में फैलाकर रखना, बिछाना, फैलाना। |
असकरिया (सं.) |
एक तल्लेवाला जूता। दे. अकतरिया, पनही। — (वि.) कूटने की पहली प्रक्रिया का चावल। |
असकरी (वि.) |
इकहरा कपडा़। |
असकिटियाना (क्रि.)) |
दे. ‘असकटाना’। |
असकुड़ (सं.) |
बैलगाडी के पहिए में उपयोग में आनेवाला लोहे का डंडा। दे. अछौद |
असगुन (सं.) |
अपशकुन। |
असढि़या (सं.) |
आषाढ का प्रभावी विषयुक्त सर्प विशेष। दे. ‘धमना’। |
असत (सं.) |
झूठ। |
असती (वि.) |
दे. ‘अधोरी’। दे. ‘असत्ती’। |
असत्ती (वि.) |
1. स्त्रियों की एक गाली। 2. चरित्रहीन। 3. बहुत तंग करने वाली। . |
अस्थान (सं.) |
स्थान, जगह। |
असन (वि.) |
दे. अइसन |
असनान (सं.) |
स्नान। (सं.) दे. ‘असनान’। |
असरोना (क्रि.) |
प्रतीक्षा करना, आशा लगाना। |
अलबार (सं.) |
सवार, सवारी करने वाला, चढ़ा हुआ व्यक्ति। |
असाद (वि.) |
आलसी, साफ-सफाई न रखनेवाला। असाधु। |
असीस (सं.) |
आशीष, आशीर्वाद। |
असुधहा (वि.) |
अशुद्ध, अस्वच्छ। |
असोडढिया (सं.) |
दे. ‘असढिया’। |
असोना (क्रि |
अन्न को साफ करना, अनाज उड़ाना। दे. ‘ओसाना |
अहमी (वि.) |
घमंडी। |
अहिवात (सं.) |
सुहाग, सौभाग्य। |
अहिवाती (वि.) |
सौभाग्यवती। |