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Channel: gurtur goth
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धीर लगहा तैं चल रे जिनगी

धीर लगहा तैं चल रे जिनगी, इहाँ काँटा ले सजे बजार हवय। तन हा मोरो झँवागे करम घाम मा, देख पानी बिन नदिया कछार हवय।। मया पीरित खोजत पहाथे उमर, अऊ दुख मा जरईया संसार हवय।। कतको गिंजरत हे माला पहिर फूल के,...

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रंग डोरी होली

रंग डोरी-डार ले गोरी, मया पिरीत के संग म, आगे हे फागुन मोर नवा-नवा रंग म। झूमे हे कान्हा-राधा के संग म, मोर संग झुम ले तै, रंग के उमंग म। रंग ले भरे गोरी, तोर लाल-लाल गाल हे, होरी म माते, तोर रंग के...

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बुरा ना मानो होली है

होली हे भई होली हे, बुरा न मानों होली हे। होली के नाम सुनते साठ मन में एक उमंग अऊ खुसी छा जाथे। काबर होली के तिहार ह घर में बइठ के मनाय के नोहे। ए तिहार ह पारा मोहल्ला अऊ गांव भरके मिलके मनाय के तिहार...

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जनतंत्र ह हो गय जइसे साझी के बइला

मोटा थे नेता, जनता खोइला के खोइला बिरथा लागथे एला सँवारे के जतन, जैसे अंधरा ल काजर अँजाई हे।। करलइ हे भैया करलइ हे। छोटे -छोटे बात के बड़े- बड़े झगड़ा हे अपन -अपन गीत अउ अपन -अपन दफड़ा हे मनखे-मनखे बीच खाई...

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होरी तिहार के ऐतिहासिक अउ धार्मिक मान्यता

हमर भारत भुइया के माटी म सबो धरम सबो जाति के मनखे मन रइथे। अउ सबो धरम के मनखे मन अपन अपन तिहार ल अब्बड़ सुग्घर ढंग ले मनाथे। फेर हमर भारत भुईया म एक ठन अइसन तिहार हे जेन ल सबो धरम के मनखे मन मिलजुल के...

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धूवा मारे : विष्णुपद छंद

(भ्रूण हत्या) धूवा मारे काबर पापी,पाबे का मन के ! बेटा मिलही ता का करबे,चलबे का तनके !!1!! बेटी-बेटा मा भेद करे,लाज कहाँ लगही ! नाक-कान तो बेंचे बइठे,कोन भला ठगही !!2!! नारी-नारी बर जी जलथे,मोर इही...

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होली के दोहा

ब्रज मा होरी हे चलत, गावत हे सब फाग। कान्हा गावय झूम के, किसम-किसम के राग।। 1।। राधा डारय रंग ला, सखी सहेली संग। कान्हा बाँचे नइ बचय, होगे हे सब दंग।।2।। ढोल नगाड़ा हे बजत, पिचकारी में रंग। राधा होरी...

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प्रेम रंग

प्रेम रंग में अइसे रंगाहु तोला प्रेम रंग में। कभू झन निकले गोरी। मोर मया के रंग ह वो।। मया बढ़ाये रइबे। झन छूटे संग ह वो।। एसो के होली म गोरी। रंग गजब लागहु वो।। आके तोर पारा म गोरी। रंग तोला लागहु वो।।...

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दोहा : गरमी अऊ पानी

गरमी आवत देख के, तोता बोले बात। पाना नइहे पेड़ मा, कइसे कटही रात।। झरगे हावय फूल फर, कइसे भरबो पेट। भूख मरत लइका सबो, जुच्छा हावय प्लेट।। नदियाँ नरवा सूख गे, तरिया घलव अटाय। सुक्खा होगे बोर हा, कइसे...

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कहानी : असली होली

एक ठन नानकुन गाँव रिहिस, जिहाँ के जम्मो झन बने-बने अपन जिनगी ल जियत रिहिस। जम्मो पराणि मन ह मिर-जुल के रहत रहै। उहाँ एक झन डोकरी दई घलो रहै, जेखर कोनो नी रिहिस। ऊखर बेटा-बहु मन ह शहर म रहै बर चल दे...

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किताब कोठी : सियान मन के सीख

भूमिका रश्मि रामेश्वर गुप्ता के “सियान मन के सीख” म हमर लोकज्ञान संघराए हे। ऋषि-मुनि के परंपरा वेद आए अउ ओखर पहिली अउ संगे-संग चलइया ग्यान के गोठ-बात सियान मन के सीख आए। हमर लोकसाहित्य अउ लोकसंस्कृति म...

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किताब कोठी : विमर्श के निकष पर छत्तीसगढ़ी़

विमर्श के निकष पर छत्तीसगढ़ी़ डॉ. विनोद कुमार वर्मा (छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, छत्तीसगढ़ शासन, रायपुर से अनुदान प्राप्त ) प्रकाशक : वदान्या पब्लिकेशन नेहरु नगर बिलासपुर मो. 77710-30030 मुद्रक : अंकुर...

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छत्तीसगढ़ी गीत-ग़ज़ल-कविता

होगे होरी तिहार होगे – होगे होरी के, तिहार गा। कखरो बदलिस न,आदत ब्यवहार गा। करु बोली मा,अउ केरवस रचगे। होरी के रंग हा, टोंटा मा फँसगे। दू गारी के जघा, देय अब चार गा। कखरो बदलिस न,आदत ब्यवहार गा। टेंड़गा...

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छत्तीसगढ़ के गिरधर कविराय –जनकवि कोदूराम “दलित”

(118 वाँ जयंती मा विशेष) 1717 ईस्वी मा जन्में गिरधर कविराय अपन नीतिपरक कुण्डलिया छन्द बर जाने जाथें। इंकर बाद कुण्डलिया छन्द के विधा नँदागे रहिस। हिन्दी अउ दूसर भारतीय भाखा मा ये विधा के कवि नजर मा नइ...

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अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस म दोहा : बेटी

दोहा (बेटी) झन मारव जी कोख मा ,बेटी हे अनमोल। बेटी ले घर स्वर्ग हे, इही सबो के बोल।।1।। बेटी मिलथे भाग ले,करव इँकर सम्मान। दू कुल के मरजाद ये,जानव येहू ज्ञान।।2।। बेटी आइस मोर घर,गज़ब भाग हे मोर। घर...

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मोर महतारी

मोर महतारी बढ़ दुलारी, मया हे ओखर मोर बर भारी। अंचरा म रखे के मोला, झुलाथे मया के फुलवारी। महेकत रइथे मोर दाई के, घर अंगना अउ दुवारी।।। जग जानथे महतारी ह, होथे सब्बो ल प्यारी। कोरा म धर के लइका ल, जिनगी...

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कुकुर के महिमा

भईगे महुं ल कुछु, बोले बर नई मिलिस त सोचेंव, चल बाहिर म हवा खा आवं, बिहनचे उठेंव, बिन दतुन मुखारी घसे, किंदरे कस निकल गयेंव। रददा म काय देखत हंव!!! द दा रे आनि-बानि के टुकुर टुकुर देखत मनखे असन फबित...

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सर्वगामी सवैया : पुराना भये रीत

(01) सोंचे बिचारे बिना संगवारी धरे टंगिया दूसरो ला धराये। काटे हरा पेंड़ होले बढ़ाये पुराना भये रीत आजो निभाये। टोरे उही पेंड़ के जीव साँसा ल जे पेंड़ हा तोर संसा चलाये। माते परे मंद पी के तहाँ कोन का हे...

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सब हलाकानी हे

ददा के गोठ ल बेटा नइ भावय। घरो घर सास अउ बहू के कहानी हे। कतेक ल बताबे मितान? सब हलाकानी हे!!! लटपट लटपट टुरा दसमी पढे हे। बिहाव बर छोकरी खोजे म परसानी हे। कतेक ल बताबे मितान? सब हलाकानी हे!!! फोकट के...

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सुरता : जन कवि कोदूराम “दलित”

अलख जगाइन साँच के,जन कवि कोदू राम। जन्म जयंती हे उँकर,शत शत नमन प्रणाम। सन उन्नीस् सौ दस बछर,जड़ काला के बाद। पाँच मार्च के जन्म तिथि,हवय मुअखरा याद। राम भरोसा ए ददा, जाई माँ के नाँव। जन्म भूमि टिकरी...

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